भारत के दोस्त आर्मेनिया का पाकिस्तान से समझौता: क्या बदलेगा काकेशस का समीकरण?
News Image

दक्षिण काकेशस में एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए, भारत के रणनीतिक साझेदार आर्मेनिया ने पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने का फैसला किया है। दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने चीन में औपचारिक रूप से इसकी घोषणा की। यह घटनाक्रम क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकता है, क्योंकि आर्मेनिया पारंपरिक रूप से भारत के करीब रहा है, जबकि पाकिस्तान उसे मान्यता नहीं देता था।

आर्मेनिया के इस निर्णय से रूस, तुर्की और ईरान की सीमा से लगे इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में भारत के लिए समीकरण बदल सकते हैं।

आर्मेनिया और पाकिस्तान के बीच राजनयिक संबंध स्थापित करने के मुद्दे पर दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच एक फोन पर चर्चा हुई थी। दशकों में यह दोनों पक्षों के बीच पहली सीधी बातचीत थी।

इसके बाद, चीन में एससीओ शिखर सम्मेलन के मौके पर, आर्मेनिया के विदेश मंत्री अरारत मिर्जोयान और पाकिस्तानी विदेश मंत्री इशाक डार ने तियानजिन में राजनयिक संबंध स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए।

आर्मेनिया और पाकिस्तान के बीच पहले राजनयिक संबंध नहीं थे। पाकिस्तान, अज़रबैजान के साथ भौगोलिक निकटता के कारण आर्मेनिया को एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में मान्यता नहीं देता था। सोवियत संघ के विघटन के बाद आर्मेनिया और अज़रबैजान स्वतंत्र राष्ट्र बने। दोनों देशों के बीच नागोर्नो-काराबाख मुद्दे पर टकराव है। पाकिस्तान इस मुद्दे पर अज़रबैजान का समर्थन करता रहा है, जबकि आर्मेनिया को भारत से हथियार और समर्थन मिलता रहा है।

हालांकि, अमेरिका की मध्यस्थता और तुर्की के सहयोग से हाल ही में आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच शांति समझौता हुआ है, जिसके बाद तेजी से हालात बदले हैं। अर्मेनियाई और पाकिस्तानी विदेश मंत्रियों के बीच बातचीत को अज़रबैजान और तुर्की के साथ संबंधों को सामान्य बनाने की अर्मेनियाई रणनीति के तहत देखा जा रहा है।

येरेवन से एक अर्मेनियाई सूत्र के अनुसार, पाकिस्तान और आर्मेनिया के बीच राजनयिक संबंधों का भारत-आर्मेनिया संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा। आर्मेनिया दशकों से अजरबैजान और तुर्की के बजाय कश्मीर मुद्दे पर भारत का समर्थन करता रहा है। बीते कुछ वर्षों में भारत ने आर्मेनिया को हथियार भी दिए हैं। हालांकि, दक्षिण काकेशस में बदलती परिस्थिति और आर्मेनिया-पाकिस्तान संबंधों का भारत के दृष्टिकोण पर प्रभाव जरूर पड़ेगा।

चीन ने आर्मेनिया और अजरबैजान को एससीओ सदस्य बनाने के प्रस्तावों का समर्थन किया है। चीन और आर्मेनिया के नेताओं ने तियानजिन में एक नई रणनीतिक साझेदारी स्थापित की है। इस वर्ष की शुरुआत में अजरबैजान और चीन ने भी रणनीतिक साझेदारी स्थापित की थी। जॉर्जिया के साथ मिलकर ये दोनों देश रूस को दरकिनार करते हुए मध्य एशिया के रास्ते चीन को यूरोप का रूट दे सकते हैं।

कुछ अन्य वेब स्टोरीज

Story 1

माँ, मोदी और वो पल... 1992 का दुर्लभ वीडियो वायरल!

Story 1

स्वदेशी रक्षा में बड़ी छलांग: DRDO ने उद्योग को सौंपी 3 उन्नत तकनीकें

Story 1

दिल्ली में यमुना का कहर: जलस्तर 207 मीटर पार, लोग बिस्किट के सहारे जीने को मजबूर

Story 1

शेरनी ने शेरनी को जन्म दिया है, मेमने को नहीं : टोटी चोरी विवाद पर BJP विधायक केतकी सिंह का करारा जवाब

Story 1

अमेरिकी ट्रेड वार के बीच मोदी बने यूरोप की शांति की चाबी , जर्मनी ने लगाया दांव

Story 1

जीएसटी सुधार: हर घर का सपना होगा साकार, जानिए कितना होगा फायदा

Story 1

लव मैरिज के 4 महीने बाद, सिपाही की पत्नी का सनसनीखेज वीडियो, यूपी पुलिस हैरान!

Story 1

पंजाब सरकार की अनूठी पहल: बाढ़ पीड़ितों तक ड्रोन से पहुंचाई जा रही राहत सामग्री

Story 1

क्या तेजस्वी तोड़ पाएंगे नीतीश का तिलिस्म? बिहार के राजनीतिक समीकरणों का विश्लेषण

Story 1

मूडीज का दावा: क्या ट्रंप ने डुबो दी अमेरिकी अर्थव्यवस्था? मंदी की ओर अग्रसर अमेरिका