आ गया दुश्मन देशों का काल, 2500 किमी दूरी तक मार गिराएगा मिसाइल!
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भारत ने अपनी मिसाइल डिफेंस तकनीक को एक नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने ओडिशा तट से एकीकृत हवाई रक्षा हथियार प्रणाली (IADWS) का सफल परीक्षण किया है।

यह प्रणाली भारत के स्वदेशी मल्टी-लेयर एयर डिफेंस सिस्टम सुदर्शन चक्र का हिस्सा है, जो आने वाले समय में देश की हवाई सुरक्षा की रीढ़ बनने जा रही है।

IADWS यानी Integrated Air Defence Weapon System एक बहु-स्तरीय रक्षा प्रणाली है, जिसे पूरी तरह भारत में विकसित किया गया है। इसमें शामिल हैं: क्विक रिएक्शन सरफेस-टू-एयर मिसाइलें (QRSAM), व्हीकल माउंटेड Very Short Range Air Defence System (VSHORADS) और लेजर आधारित निर्देशित ऊर्जा हथियार (Directed Energy Weapons - DEW)।

इस प्रणाली को खासतौर पर दुश्मन के ड्रोन, लड़ाकू विमान, क्रूज मिसाइल और अन्य हवाई खतरों से निपटने के लिए डिजाइन किया गया है।

सुदर्शन चक्र भारत की एक अत्याधुनिक मिसाइल डिफेंस प्रणाली है, जिसे नाम दिया गया है भगवान विष्णु के अमोघ अस्त्र से प्रेरित होकर।

इसके कुछ खास फीचर हैं: 2500 किलोमीटर तक की रेंज में दुश्मन की मिसाइल को मार गिराने की क्षमता, 150 किलोमीटर की ऊंचाई तक हवा में किसी भी हवाई खतरे को इंटरसेप्ट करने की तकनीक, 5 किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से मिसाइल लॉन्च करने की क्षमता, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और लेजर-गाइडेड सिस्टम से लैस ग्राउंड-बेस्ड और स्पेस-बेस्ड हाइब्रिड सिस्टम - जिसमें रडार नेटवर्क और सैटेलाइट आधारित ट्रैकिंग शामिल है।

इस सिस्टम को 2026 तक पूरी तरह तैनात करने का लक्ष्य रखा गया है और इसकी अनुमानित लागत लगभग ₹50,000 करोड़ है।

इससे पहले भारत ने अपनी अग्नि-5 बैलिस्टिक मिसाइल का भी सफल परीक्षण किया था, जो 5,000 किमी से अधिक दूरी तक मार कर सकती है। यह परीक्षण भी ओडिशा के चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से किया गया था। इससे भारत की स्ट्रैटेजिक डिटरेंस और राष्ट्रीय सुरक्षा को नई मजबूती मिली है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस उपलब्धि पर DRDO, भारतीय सशस्त्र बलों और सहयोगी उद्योगों को बधाई दी। उन्होंने कहा, IADWS ने यह साबित किया है कि भारत अब बहुस्तरीय हवाई सुरक्षा में आत्मनिर्भर बन चुका है। यह प्रणाली देश की वायु सीमाओं की सुरक्षा को पहले से कहीं ज्यादा मजबूत बनाएगी।

भारत का सुदर्शन चक्र सिर्फ एक तकनीकी सफलता नहीं, बल्कि रणनीतिक आत्मनिर्भरता और सुरक्षा का प्रतीक है। दुश्मन के किसी भी हवाई खतरे को हवा में ही खत्म कर सकने वाली यह प्रणाली आने वाले वर्षों में देश की सबसे बड़ी सैन्य ढाल बनने जा रही है।

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