सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फ़ैसला: आवारा कुत्तों को वापस छोड़ने के आदेश से मेनका गांधी खुश, राहुल गांधी ने सराहा
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सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों को लेकर अपने पुराने आदेश में बदलाव करते हुए एक नया निर्देश जारी किया है। अदालत ने कहा है कि कुत्तों को स्टरलाइज और वैक्सिनेट (नसबंदी और टीकाकरण) कर वापस छोड़ा जाए। साथ ही, हर इलाके में तय फीडिंग एरिया बनाया जाए, ताकि कुत्तों को कहीं भी खाना न खिलाया जाए।

बीजेपी नेता और पशु अधिकार कार्यकर्ता मेनका गांधी ने इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा, मैं इस फैसले से बहुत खुश हूँ। कुत्तों के काटने का कारण केवल विस्थापन और डर है। रेबीज़ से संक्रमित कुत्तों को छोड़ने का कोई सवाल ही नहीं है।

मेनका गांधी ने यह भी कहा कि अदालत ने अभी तक यह परिभाषित नहीं किया है कि आक्रामक कुत्ता किसे कहा जाएगा, इसे तय करना ज़रूरी है। निर्धारित फीडिंग एरिया बनाने का आदेश बिल्कुल सही है और निगमों को इसके लिए साइनबोर्ड भी लगाने होंगे।

अदालत के अनुसार, नगर निगमों को उचित एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) केंद्र स्थापित करने होंगे। केंद्र सरकार ने भी संसद में कहा है कि इस कार्यक्रम के लिए 2,500 करोड़ रुपये आवंटित किए जा रहे हैं। यह पहली बार है जब इतने बड़े पैमाने पर बजट का प्रावधान किया गया है।

मेनका गांधी ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अभी यह साफ नहीं किया है कि अग्रेसिव कुत्ते की परिभाषा क्या होगी, और इस पर आगे कमेटी फैसला लेगी।

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, कभी-कभी ऐसा होता है कि कोई व्यक्ति कुत्ते पर गिर जाए और कुत्ता काट ले, जबकि उससे पहले उसने कभी किसी को नुकसान न पहुँचाया हो। क्या ऐसे में उसे अग्रेसिव कहा जाएगा? यही तय करने की ज़रूरत है।

उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने सभी ऐसे मामलों को अपने पास रखने का फैसला किया है। साथ ही, कोर्ट ने निर्देश दिया है कि यदि कोई संस्था इस मामले में शामिल होती है तो उसे 25 हज़ार रुपये का भुगतान करना होगा, जबकि किसी व्यक्तिगत स्तर पर शामिल होने वाले व्यक्ति को 2 लाख रुपये देने होंगे।

मेनका गांधी ने कहा कि यह फैसला पशु अधिकारों और न्याय की दिशा में महत्वपूर्ण है और इससे आगे की स्थिति स्पष्ट होगी।

वहीं, उनके बेटे और पूर्व सांसद वरुण गांधी ने भी सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय को सराहा। उन्होंने कहा, आज हमें सुप्रीम कोर्ट के प्रति गहरी कृतज्ञता प्रकट करनी चाहिए। अपनी आत्म-सुधार की क्षमता दिखाकर उसने दूरदर्शिता, संवेदनशीलता और सच्ची उदारता का परिचय दिया है।

नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी इस फैसले का स्वागत किया। उन्होंने एक्स (X) पर लिखा- मैं आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट के संशोधित निर्देशों का स्वागत करता हूँ, क्योंकि यह पशु कल्याण और जन सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने की दिशा में एक प्रगतिशील कदम है। यह दृष्टिकोण न केवल करुणामय है, बल्कि वैज्ञानिक तर्क पर आधारित भी है।

सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मानवीय मूल्यों के अनुरूप फैसला दिया है। उन्होंने कहा, पिछला आदेश न केवल अमानवीय था बल्कि मानवीय मूल्यों के खिलाफ भी था। यह कोई डॉग लवर वर्सेस ह्यूमन लाइफ का मामला नहीं है। देश की नगर पालिकाएं अपनी जिम्मेदारी से बचती रही हैं, लेकिन अब सर्वोच्च अदालत ने स्पष्ट कर दिया है कि आवारा कुत्तों का पालन-पोषण, टीकाकरण और उनके लिए निर्धारित भोजन स्थल होना चाहिए।

कांग्रेस नेता पीसी शर्मा ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा, हिंसक कुत्तों को छोड़ेंगे तो समस्या खड़ी हो सकती है। केवल भोपाल में ही एक साल में 5,000 डॉग बाइट के मामले आए हैं। कई लोगों की जान जाती है और अस्पतालों में इंजेक्शन तक नहीं मिलते।

मेनका गांधी ने एबीसी (Animal Birth Control) कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इसका मतलब दरअसल स्टरलाइजेशन है। उन्होंने कहा कि केवल उन्हीं कुत्तों को पकड़ा जा सकता है, जो अभी तक स्टरलाइज नहीं हुए हैं। इसके लिए बने सेंटरों की हालत बेहतर करनी होगी, क्योंकि ज़्यादातर बहुत गंदे हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जब किसी कुत्ते को स्टरलाइज किया जाता है तो उसे उसकी पुरानी जगह पर वापस छोड़ना अनिवार्य है, न कि कहीं और ले जाकर छोड़ देना।

दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए डॉग लवर्स को बड़ी राहत दी है। अदालत ने आदेश दिया है कि पकड़े गए आवारा कुत्तों को टीकाकरण (Vaccination) के बाद वापस उसी इलाके में छोड़ा जाए, जहां से उन्हें पकड़ा गया था।

अदालत ने कहा है कि सार्वजनिक स्थानों पर आवारा कुत्तों को खाना खिलाना प्रतिबंधित रहेगा और कुत्तों के भोजन के लिए अलग से निर्धारित स्थान बनाए जाएंगे।

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