विषकन्या से फंसाकर रंगदारी: BJP नेता ने ढहाया 1500 करोड़ का साम्राज्य
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कानपुर में भाजपा नेता रवि सतीजा को झूठे रेप केस में फंसाने वाले अधिवक्ता अखिलेश दुबे और उसके साथी लवी मिश्रा पर कोर्ट में सबूत पेश किए गए, जिसके बाद न्यायिक रिमांड मंजूर हो गई।

अखिलेश दुबे विषकन्या जैसी लड़कियों का इस्तेमाल कर लोगों को फंसाता था, ब्लैकमेल करता था और रंगदारी न मिलने पर रेप का फर्जी केस करवा देता था। भाजपा नेता रवि सतीजा ने हार नहीं मानी और उनकी शिकायत ने अखिलेश दुबे के 1500 करोड़ के साम्राज्य को ढहा दिया।

अखिलेश दुबे ने कभी प्रैक्टिस नहीं की, लेकिन चर्चित मामलों की फर्द लिखकर उसने पुलिस में पैठ बनाई और संपर्कों का इस्तेमाल कर अपना साम्राज्य खड़ा किया। वह महिलाओं को भी ब्लैकमेल करता था, एक महिला होटल कारोबारी के विरोध करने पर उसने कथित तौर पर पीड़िता की गंदी किताबें छपवाकर बंटवा दी थी।

इस साजिश में अधिवक्ता अखिलेश दुबे, आयुष मिश्रा उर्फ लवी और शैलेंद्र यादव उर्फ टोनू शामिल हैं। पुलिस जांच में पता चला कि पहले भी ऐसे मामलों में लोगों को झूठे मुकदमों में फंसाकर पैसे वसूले जाते रहे हैं।

इस पूरे मामले की शुरुआत एक महिला की शिकायत से हुई, जिसके जरिये भाजपा नेता पर फर्जी रेप का आरोप लगाने की कोशिश की गई। अखिलेश दुबे और उसके साथियों ने केस खत्म कराने के लिए पैसे की मांग की और कई बार फोन पर धमकी दी गई, जिसकी रिकॉर्डिंग अब पुलिस के पास है।

अखिलेश दुबे ने वर्ष 2000 में साकेत नगर में साकेत धाम नाम से दफ्तर बनाया, जहां से उसका सिंडीकेट चलता था। रसूख इतना बढ़ा कि केडीए ने उसे पार्क तक लीज पर दे दिए, जिन पर उसने स्कूल और गेस्टहाउस खोल लिए।

कानपुर में दुबे ने पुलिस की आड़ में फर्जी FIR दर्ज कराना शुरू किया। जो भी उसके खिलाफ जाता, उसके खिलाफ झूठे रेप और SC-ST एक्ट के मुकदमे दर्ज कराकर जेल भिजवा देता था। पुलिस कमिश्नर अखिल कुमार ने SIT गठित की तो 54 झूठे रेप केस सामने आए, जिनमें 10-12 सीधे दुबे से जुड़े थे।

वह इन मुकदमों के लिए महिलाओं और लड़कियों को पैसे देकर इस्तेमाल करता था, एक FIR दर्ज कराने पर 50 हजार से एक लाख तक देता था। जांच की भनक लगते ही उसने अपने गैंग की लड़कियों को झारखंड और छत्तीसगढ़ भेज दिया।

दुबे की बेटी की शादी में 40-50 आईपीएस अफसर पहुंचे, एसपी और एएसपी स्तर के अफसर बारातियों की अगवानी करते नजर आए। दुबे ने पुलिस अफसरों की काली कमाई अपनी कंपनियों और जमीनों में लगाई।

दुबे अपने दफ्तर से ही पुलिस जाँच लिखता, फैसले करवाता और अफसरों का रूतबा तय करता था। आखिर भाजपा नेता रवि सतीजा की शिकायत पर उसे जेल भेजा गया, लेकिन जांच में साफ हुआ कि यह एक विशाल सिंडीकेट था।

पुलिस कस्टडी में मौजूद लड़की ने कबूल किया कि उसे वकील टोनू ने पैसे का लालच देकर अखिलेश से मिलवाया। दुबे के गैंग में मिस यूपी रह चुकी युवती भी शामिल थी, जिसे उसने विषकन्या का नाम दिया था।

दुबे मेरठ से कानपुर भागकर आया था और धीरे-धीरे अपराध की दुनिया में कदम रखकर उसने खुद को इतना बड़ा बना लिया था।

पुलिस ने रवि सतीजा, अखिलेश दुबे और लवी मिश्रा की कॉल डिटेल्स निकलवाई, जिसमें लगातार फोन पर बातचीत होने का पता चला। पुलिस ने कोर्ट में एक ऑडियो रिकॉर्डिंग और उसका लिखित रूपांतरण भी दाखिल किया है, जिसमें अखिलेश दुबे मुकदमे में FIR लगवाने की बात कर रहे हैं और धमकी भी दे रहे हैं।

भाजपा नेता ने बयान में कहा कि अखिलेश ने उन्हें कई बार धमकाया और किस्तों में रकम वसूली। इन सबूतों के आधार पर पुलिस ने मुकदमे में और गंभीर धाराएँ जोड़ीं।

एक महिला ने आरोप लगाया कि 2011 में अखिलेश ने उसकी शादी तुड़वाने का प्रयास किया था।

सीजेएम सूरज मिश्रा की कोर्ट ने अखिलेश दुबे और आयुष मिश्रा उर्फ लवी की 14 दिन की न्यायिक रिमांड मंजूर की। कोर्ट ने जेल अधीक्षक को अखिलेश को जरूरी दवाएँ उपलब्ध कराने और उसकी जाँच कराने के निर्देश दिए।

कचहरी परिसर में एक स्टिकर चर्चा का विषय बन गया, जिस पर लिखा था अधिवक्ता या मुखबिर?

भाजपा नेता से पचास लाख और एक अधिवक्ता से दस लाख की माँग ने कानपुर की कानूनी और राजनीतिक दुनिया को हिला दिया है।

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