ट्रंप का दोहरा रवैया: भारत को रूसी तेल पर धौंस, खुद अमेरिका का मॉस्को से व्यापार 20% बढ़ा
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रूसी तेल खरीदने पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर सख्ती दिखाई है. उन्होंने रूस से व्यापार करने वाले देशों पर 25% का अतिरिक्त टैरिफ लगाने की धमकी दी है.

लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि खुद अमेरिका का मॉस्को के साथ व्यापार 20% बढ़ गया है. यह उछाल ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत से अब तक दर्ज किया गया है.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस बात का खुलासा अलास्का में 15 अगस्त को हुए शिखर सम्मेलन में किया. उन्होंने कहा कि अमेरिका में नई सरकार आने के बाद द्विपक्षीय व्यापार बढ़ने लगा है.

पुतिन ने बताया कि द्विपक्षीय विकास दर 20% है. उन्होंने कहा कि अमेरिका और रूस के निवेश और व्यावसायिक सहयोग में अपार संभावनाएं हैं, खासकर व्यापार, डिजिटल, उच्च तकनीक और अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्रों में.

पुतिन ने बताया कि जनवरी 2025 में डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद से अमेरिका के साथ रूस का व्यापार 20% बढ़ा है.

भारत ने भी पहले इस बात का खुलासा किया था, जब अमेरिका ने रूसी तेल और हथियारों की खरीद पर नाराजगी जताते हुए भारत पर टैरिफ को 25% बढ़ाकर 50% कर दिया था. यह अतिरिक्त टैरिफ 27 अगस्त से लागू होने वाला है.

पुतिन के खुलासे के बाद भारत में ट्रंप के फैसले को लेकर नाराजगी है. भारत ऊर्जा सुरक्षा के लिए रूसी तेल खरीदने के बावजूद दंडात्मक शुल्कों का सामना कर रहा है. विदेश मंत्रालय ने इस कदम को अनुचित बताया है.

मंत्रालय ने कहा कि भारत का आयात बाजार कारकों पर आधारित है और इसका उद्देश्य 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना है.

भारत की नाराजगी इसलिए भी है क्योंकि चीन और यूरोपीय संघ बिना किसी दंड का सामना किए भारी मात्रा में रूसी तेल का आयात कर रहे हैं, जबकि भारत को अतिरिक्त टैरिफ का सामना करना पड़ रहा है.

शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने भी अमेरिका के दोहरे मापदंड पर नाराजगी जताई है. उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा है कि पुतिन के अनुसार, अमेरिका-रूस द्विपक्षीय गैस व्यापार में 20% की वृद्धि हुई है. रूस के निर्यात बाजार में चीन की हिस्सेदारी 32% है, और यूरोपीय संघ की 62% है. 2024 में रूस से यूरोपीय संघ का LNG आयात 17.8 मिलियन टन तक पहुंच जाएगा. चतुर्वेदी ने सवाल उठाया कि हाई टैरिफ बिल का बोझ किस पर पड़ेगा.

अलास्का में हुए शिखर सम्मेलन में ट्रंप और पुतिन के बीच यूक्रेन युद्ध को सुलझाने के प्रयास पर भी बातचीत हुई थी. हालांकि, युद्धविराम को लेकर कोई बात नहीं बनी, लेकिन पुतिन ने अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार में तेजी लाने की घोषणा जरूर की.

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