क्या ट्रंप-पुतिन मुलाकात भारत के लिए फायदेमंद है? तेल पर लगने वाले टैरिफ में क्या बदलाव होंगे?
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अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने कहा था कि दुश्मन को दोस्त बना लेना उसे नष्ट करने का सबसे अच्छा तरीका है. क्या मौजूदा राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप उसी राह पर चल रहे हैं? कुछ दिनों पहले तक रूस को युद्ध बंद न करने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दे रहे ट्रंप ने अब यू-टर्न ले लिया है.

अलास्का में ट्रंप ने पुतिन के साथ ऐसा तालमेल दिखाया जैसे दो बिछड़े दोस्त मिल रहे हों. उन्होंने पुतिन का ऐसा शानदार स्वागत किया जो पहले कभी किसी राष्ट्रअध्यक्ष का नहीं हुआ.

यह पहली बार था जब ट्रंप किसी देश के नेता को रिसीव करने एयरपोर्ट पर मौजूद थे. पुतिन के लिए रेड कारपेट बिछाई गई थी और ट्रंप खुद उनकी अगवानी के लिए खड़े इंतजार करते दिखे.

पुतिन रेड कारपेट पर तेजी से आगे बढ़ रहे थे और ट्रंप इत्मिनान से उनका इंतजार कर रहे थे. पुतिन के करीब आते ही ट्रंप ने तालियां बजानी शुरू कर दीं. दोनों नेताओं ने गर्मजोशी से हाथ मिलाया और मुस्कुराकर अभिवादन किया. ट्रंप और पुतिन ने 11 सेकंड तक हाथ पकड़े रखा.

इसके बाद, फोटो के लिए आगे बढ़ते ही आसमान में तेज आवाज सुनाई पड़ी. अमेरिका के सबसे आधुनिक विमान B-2 बॉम्बर और F-22 रैप्टर पुतिन को सलामी देते हुए गुजरे. पुतिन के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई.

दोनों नेता एक प्लेटफॉर्म पर खड़े हुए, जिस पर अलास्का 2025 लिखा था, यानी ट्रंप जानते थे कि यह मुलाकात हमेशा इतिहास में दर्ज होगी.

एक और सरप्राइज था: पुतिन की कार एयरपोर्ट पर मौजूद थी, लेकिन ट्रंप उन्हें अपनी कार बीस्ट में लेकर वार्ता के लिए निकले.

वार्तास्थल पर pursuing peace का संदेश लिखा था, यानी दोनों नेता शांति के लिए खुले मन से बातचीत करने पहुंचे थे. 3 घंटे की वार्ता के बाद ट्रंप ने ब्रीफिंग के दौरान पुतिन को ज्यादा बोलने का मौका दिया. पुतिन ने 8 मिनट और ट्रंप ने सिर्फ 4 मिनट बात की.

पुतिन के रवाना होते समय भी अमेरिका के F-22 रैप्टर विमानों ने उनके प्लेन को गार्ड किया.

ट्रंप को पुतिन से दोस्ती में क्या मिलेगा? यूक्रेन युद्ध खत्म होने पर ट्रंप की शांति दूत वाली छवि मजबूत होगी. अमेरिकी जनता युद्ध से थकी हुई है.

रूस दुनिया का प्रमुख तेल और गैस उत्पादक देश है. अगर पुतिन अमेरिका में सस्ती दरों पर तेल और गैस की आपूर्ति करते हैं, तो अमेरिका में गैसोलीन की कीमतें कम हो जाएंगी. इससे अमेरिका में महंगाई भी कम हो जाएगी.

अमेरिकी कंपनियां जैसे शेल, कटरपिलर और बोइंग फिर से रूस में व्यापार कर सकती हैं, जिससे अमेरिका को 6 से 10 अरब डॉलर का लाभ हो सकता है.

अगर ट्रंप यूक्रेन और NATO से रूस का समझौता करवा देंगे, तो इसके बदले रूस को चीन की मदद करने से रोकने की डील कर सकते हैं.

अमेरिका और रूस के बीच हथियारों की New START Treaty 2026 में समाप्त हो रही है. अगर ये डील फिर से हो जाती है, तो ट्रंप की वैश्विक स्तर पर जिम्मेदार और मजबूत नेता की छवि मजबूत होगी, जिससे उनका शांति का नोबेल पुरस्कार जीतने का सपना भी पूरा हो सकता है.

ट्रंप और पुतिन के बीच डील तय हो चुकी है. अगर ट्रंप जेलेंस्की और यूरोप को भी इसके लिए तैयार कर लेते हैं, तो उन्हें इसका फायदा ही फायदा मिलेगा.

क्या टैरिफ में होगा बदलाव? रूस से तेल लेने वाले देशों पर ट्रंप के टैरिफ में क्या बदलाव होगा? ट्रंप ने कहा है कि टैरिफ को लेकर वे 2 से 3 हफ्तों में फैसला ले सकते हैं.

ट्रंप के इस बयान से भारत के लिए तीन हालात बनते हैं: 25% अतिरिक्त टैरिफ हटाया जा सकता है, टैरिफ कम किया जा सकता है या रूस के तेल पर प्रतिबंध हटा दिया जाए, जिससे टैरिफ की जरूरत नहीं रहेगी.

अगर ट्रंप ने टैरिफ रद्द करके द्विपक्षीय व्यापार समझौते को अपनाया, तो इससे अमेरिकी और भारतीय निर्यात दोनों को राहत मिलेगी. खासकर भारत से अमेरिका जाने वाले कपड़े, चमड़े और ज्वैलरी पर ड्यूटी का बोझ कम हो जाएगा.

कुछ अनुमानों के अनुसार, इम्पोर्ट और एक्सपोर्ट ड्यूटी कम करने पर दोनों देशों के बीच व्यापार 4 गुना बढ़ सकता है. वर्ष 2024 में भारत और अमेरिका ने 130 बिलियन डॉलर का व्यापार किया था. अगर कम ड्यूटी लगाई गई, तो ये आंकड़ा 2030 तक 500 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है.

उड्डयन, ड्रोन और सेमीकंडक्टर जैसे क्षेत्रों में व्यापार बढ़ने से अमेरिका में रोजगार की दर भी बढ़ सकती है. अगर भारत को अमेरिका से निर्यात बढ़ा, तो ट्रंप दोनों देशों के बीच व्यापार में अमेरिकी घाटे को भी कम कर सकते हैं.

ट्रंप ने कहा है कि पुतिन से मुलाकात के बाद उन्हें लगता है कि भारत रूस से तेल लेना बंद कर देगा. इसलिए चीन पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने का फैसला अभी रोक दिया गया है.

अब सबकी नजर जेलेंस्की और ट्रंप की मुलाकात पर है. अगर जेलेंस्की ने ट्रंप का युद्धविराम प्रस्ताव स्वीकार कर लिया, तो दुनिया एक बड़े आर्थिक युद्ध से बच जाएगी. वरना ट्रंप की टैरिफ वाली सनक किसी भी हद को पार कर सकती है.

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