अग्नि-6 मिसाइल: भारत का सबसे घातक हथियार, क्या होने जा रहा है परीक्षण?
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भारत एक शक्तिशाली हथियार का परीक्षण करने की तैयारी में है, जिसके लिए हिंद महासागर में दो दिनों का नो फ्लाई जोन घोषित किया गया है। सरकार ने 20 और 21 अगस्त के लिए नोटिस टू एयरमैन (NOTAM) जारी किया है, जिसके अनुसार इस दौरान लगभग 4795 किलोमीटर का समुद्री क्षेत्र उड़ान के लिए प्रतिबंधित रहेगा। यह क्षेत्र ओडिशा तट से हिंद महासागर तक फैला हुआ है।

हालांकि, अभी तक आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है कि यह परीक्षण अग्नि-6 मिसाइल का ही है, लेकिन अटकलें हैं कि यह अग्नि सीरीज के छठे संस्करण का परीक्षण हो सकता है। इस मिसाइल को भारतीय सशस्त्र बलों में शामिल करने की योजना है।

अग्नि-6 मिसाइल की क्षमता

अग्नि-6 एक अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) है, जो अग्नि सीरीज का सबसे नवीनतम और आधुनिक संस्करण है। इस लंबी दूरी की मिसाइल को पनडुब्बियों से भी लॉन्च किया जा सकेगा। यह एक हाइपरसोनिक मिसाइल हो सकती है, जिसे जमीन, हवा और समुद्र से लॉन्च किया जा सकता है।

इस मिसाइल को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने डिजाइन किया है और भारत डायनामिक्स लिमिटेड ने बनाया है। इसका वजन 55,000 से 70,000 किलोग्राम हो सकता है और इसकी रेंज 8,000 से 12,000 किलोमीटर तक हो सकती है। इस मारक क्षमता के दायरे में यूरोप, एशिया और अन्य महाद्वीप आएंगे। मिसाइल की लंबाई 20 से 40 मीटर तक हो सकती है।

अग्नि-6 मिसाइल 1.5 से 3 टन तक का पेलोड ले जाने में सक्षम हो सकती है, जिसमें परमाणु या पारंपरिक वारहेड शामिल हैं। यह थलसेना, वायुसेना और जलसेना की ताकत में इजाफा करेगी।

हाइपरसोनिक स्पीड और MIRV तकनीक

अग्नि-6 मिसाइल मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (MIRV) तकनीक से लैस हो सकती है। इसका मतलब है कि मिसाइल अलग-अलग वारहेड से एक साथ कई लक्ष्यों को भेद सकती है।

इसमें हाइपरसोनिक स्पीड और मैन्यूवरेबल री-एंट्री व्हीकल (MARV) की क्षमता भी होगी, जिससे यह आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा देने में सक्षम होगी।

अग्नि-6 में मॉडर्न इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (INS), सैटेलाइट नेविगेशन (GPS/NaVIC) और रडार-बेस्ड गाइडेंस सिस्टम लगे होंगे, जो इसके निशाने को अचूक बनाएंगे। यह मिसाइल भारत की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को और मजबूत करेगी।

अग्नि-6 मिसाइल को परमाणु युद्ध की स्थिति में जवाबी हमला करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है, और यह पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित है।

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