ईरान में आतंक: जैश अल-अदल कितना खतरनाक, पाकिस्तान से क्या है कनेक्शन?
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कुछ दिनों की शांति के बाद ईरान फिर से धमाकों से दहल उठा है। जाहेदान में हुए एक भीषण आतंकी हमले में कई लोग हताहत हुए हैं।

जानकारी के अनुसार, आतंकियों ने जाहेदान की एक कोर्ट में अंधाधुंध फायरिंग की, जिसमें लगभग 5 लोगों की जान चली गई और 13 घायल हो गए। जाहेदान, ईरान के अशांत सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है, जहां अक्सर आतंकवादी गतिविधियां होती रहती हैं। यह इलाका पाकिस्तान की सीमा के बेहद करीब है।

इस हमले की जिम्मेदारी जैश अल-अदल नामक एक संगठन ने ली है, जिसके तार पाकिस्तान तक फैले बताए जाते हैं। यह एक कट्टर सुन्नी चरमपंथी संगठन है और पहले भी कई हमलों में शामिल रहा है। इस संगठन का लक्ष्य सिस्तान और बलूचिस्तान को ईरान से आजाद कराना है।

जैश अल-अदल: कितना खतरनाक है?

जैश अल-अदल की स्थापना 2012 में हुई थी। यह संगठन जुनदुल्लाह नामक एक अन्य सुन्नी उग्रवादी समूह के सदस्यों द्वारा बनाया गया था, जिसके नेता अब्दोलमालेक रीगी को ईरान सरकार ने गिरफ्तार कर 2010 में फांसी दे दी थी।

अनुमान है कि इस संगठन में 500 से 600 लड़ाके हैं। हालांकि, यह संख्या अलग-अलग रिपोर्टों में अलग-अलग बताई गई है और संगठन का आकार अन्य बलूच अलगाववादी समूहों की तुलना में अपेक्षाकृत छोटा है। फिर भी, इस संगठन ने ईरान में कई हमलों को अंजाम दिया है।

ईरान से क्यों है दुश्मनी?

जैश अल-अदल और ईरान के बीच दुश्मनी के कई कारण हैं। यह एक बलूच सुन्नी जिहादी संगठन है जो ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत और पाकिस्तान के बलूचिस्तान क्षेत्र में सक्रिय है। यह समूह सिस्तान-बलूचिस्तान को एक अलग राष्ट्र बनाना चाहता है और खुद को बलूच लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने वाला बताता है।

ईरान में रहने वाले बलूच अधिकतर सुन्नी मुस्लिम हैं, जिनका मानना है कि शिया-प्रधान ईरान में उनके साथ भेदभाव होता है। ईरान से संघर्ष का एक कारण सुन्नी-शिया तनाव भी है। जैश अल-अदल सलाफी-वहाबी विचारधारा को मानता है और शिया बहुल ईरानी सरकार को अपना निशाना बनाता है।

पाकिस्तान की कमजोर सुरक्षा से पनप रहा संगठन

जैश अल-अदल को अपने ऑपरेशन चलाने और लड़ाकों को प्रशिक्षित करने के लिए पाकिस्तान के बलूचिस्तान में पाकिस्तानी सेना की कमजोर पकड़ से मदद मिलती है। यहां कई आतंकी संगठनों के ठिकाने मौजूद हैं। सिस्तान-बलूचिस्तान और पाकिस्तान के बीच की सीमा करीब 900 किमी लंबी है, जो जैश अल-अदल को सीमा पार हमले करने में मदद करती है।

ईरान का दावा है कि पाकिस्तान इस समूह को पनाह देता है, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव बना रहता है।

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