उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में ADM संतोष बहादुर सिंह और सपा सांसद इकरा हसन के बीच तीखी बहस ने सनसनी मचा दी है। ADM ने खुद को स्वतंत्र घोषित करते हुए सांसद को कार्यालय से बाहर कर दिया। यह घटना कैमरे में कैद हो गई और अब प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं।
विवाद उस समय शुरू हुआ जब सांसद इकरा हसन और छुटमलपुर नगर पंचायत की अध्यक्षा शमा परवीन किसी प्रशासनिक समस्या के समाधान के लिए ADM संतोष बहादुर सिंह से मिलने पहुँचीं। ADM का रवैया असहयोगात्मक और अपमानजनक था। उन्होंने कहा, यह कार्यालय मेरा है... मैं स्वतंत्र हूं... मेरे मन में जो आएगा, मैं वो करूंगा... आप बाहर जाइए। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
सांसद इकरा हसन और उनके समर्थकों का आरोप है कि ADM ने उनकी मुस्लिम और विपक्षी पहचान के आधार पर यह व्यवहार किया। सांसद का कहना है कि वह एक निर्वाचित जनप्रतिनिधि हैं और जनता की समस्याएं लेकर प्रशासन के पास पहुँचना उनका संवैधानिक अधिकार है। अगर एक सांसद के साथ ऐसा सलूक हो सकता है, तो आम जनता को कौन सुनता होगा?
वायरल वीडियो में ADM सांसद को डांटते और उनकी बातों को अनसुना करते नजर आ रहे हैं। विपक्ष ने इसे प्रशासनिक तानाशाही करार देते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कार्रवाई की मांग की है।
जब मीडिया ने ADM संतोष बहादुर सिंह से सवाल किया तो उन्होंने कहा, मैंने किसी के साथ गलत व्यवहार नहीं किया। सांसद जी को कोई असुविधा नहीं हुई। उन्होंने वायरल वीडियो को संदर्भ से काटा गया बताया।
समाजवादी पार्टी ने इस घटना को लोकतंत्र के खिलाफ बताया। कानूनी जानकारों का मानना है कि ADM द्वारा सांसद को कार्यालय से बाहर निकालना संविधान के अनुच्छेद 105 और 194 के विरुद्ध है, जो जनप्रतिनिधियों को विशेषाधिकार देता है।
यह मामला जाति, धर्म और राजनीतिक पक्षपात के आधार पर प्रशासनिक निर्णयों को प्रभावित करने वाली मानसिकता को उजागर करता है। एक ओर ADM जैसे अधिकारी खुद को कानून से ऊपर मानते हैं, वहीं दूसरी ओर जनता के प्रतिनिधियों को अपमान का सामना करना पड़ता है।
सोशल मीडिया पर लोग दो खेमों में बंटे हैं। कुछ लोग ADM को साहसी अधिकारी कह रहे हैं, जो राजनेताओं की दखलंदाजी को बर्दाश्त नहीं करता। वहीं दूसरे पूछ रहे हैं कि क्या यही लोकतंत्र है जहाँ एक महिला सांसद को बेइज्जती झेलनी पड़े?
सांसद इकरा हसन ने पूरे प्रकरण की शिकायत मुख्य सचिव और मुख्यमंत्री से करने की बात कही है। राजनीतिक हलकों में भी यह मामला जोर पकड़ रहा है और आगामी विधानमंडल सत्र में इसे उठाए जाने की संभावना है।
ADM संतोष बहादुर सिंह का व्यवहार एक गंभीर चेतावनी है कि सत्ता का केंद्रीकरण और मैं ही कानून हूं जैसी सोच लोकतंत्र की जड़ों को कमजोर कर सकती है। यह मामला हर भारतीय जनप्रतिनिधि की अस्मिता से जुड़ा है। लोकतंत्र में प्रशासन और राजनीति को संतुलन के साथ चलना होता है, न कि टकराव के साथ।
*यहां से बाहर निकलिए... कार्यालय मेरा है...मेरे मन में जो आएगा मैं वो करने के लिए स्वतंत्र हूं,
— Saba Khan (@sabakhan21051) July 16, 2025
इन शब्दों के साथ ADM सन्तोष बहादुर सिंह ने सांसद इकरा हसन को कार्यालय से बाहर निकाल दिया,
इकरा हसन के साथ छुटमलपुर नगर पंचायत की अध्यक्षा शमा परवीन भी थी,
पहले तो ADM साहब ने मुस्लिम… pic.twitter.com/ku91nu89hA
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