केदारनाथ धाम यात्रा पर लगा ब्रेक, बारिश और भूस्खलन से बिगड़े हालात
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केदारनाथ धाम की यात्रा एक बार फिर प्रकृति के कहर का शिकार हो गई है। शनिवार, 14 जून की देर रात से शुरू हुई मूसलाधार बारिश ने जंगलचट्टी के पास एक छोटे नदी-नाले में पानी का बहाव बढ़ा दिया।

भारी मात्रा में मलबा और पत्थर गिरने से केदारनाथ जाने वाला पैदल मार्ग पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है। इस दुर्घटना में एक श्रद्धालु की जान चली गई है, जबकि दो अन्य गंभीर रूप से घायल हुए हैं।

रुद्रप्रयाग पुलिस के अनुसार, जंगलचट्टी क्षेत्र में गदेरा उफान पर आ गया, जिससे मलबा और चट्टानें पैदल मार्ग पर आ गिरीं। तीन श्रद्धालु इसकी चपेट में आ गए। एक व्यक्ति की मौके पर ही मृत्यु हो गई, जबकि दो घायलों को प्राथमिक उपचार के लिए नजदीकी अस्पताल में भेजा गया है।

प्रशासन ने स्थिति को देखते हुए सोनप्रयाग से केदारनाथ धाम तक की पैदल यात्रा को तत्काल प्रभाव से रोक दिया है। यात्रियों से अपील की गई है कि वे जहाँ हैं वहीं सुरक्षित रहें और पास के होटल, धर्मशालाओं या सुरक्षित स्थानों में ठहरें।

रास्ते में फंसे यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें उन्हें सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने में जुटी हैं।

केदारनाथ जा रहे एक हेलिकॉप्टर को भी रास्ते में आपातकालीन लैंडिंग करनी पड़ी, लेकिन पायलट की सतर्कता से पांच यात्रियों की जान बच गई।

मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों में उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में भारी बारिश और तूफान की चेतावनी जारी की है। प्रशासन ने श्रद्धालुओं से मौसम के पूर्वानुमान के अनुसार ही यात्रा की योजना बनाने और जोखिम भरे क्षेत्रों में न जाने की अपील की है।

15 और 16 जून को सभी चार्टर और शटल हेलिकॉप्टर सेवाएं भी बंद रहेंगी।

आर्यन एविएशन की चारधाम यात्रा के लिए सभी उड़ान सेवाएं पहले ही निलंबित कर दी गई हैं, एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना के बाद जिसमें पांच यात्रियों और एक क्रू सदस्य की मौत हो गई थी। इस घटना में सुरक्षा नियमों का उल्लंघन पाया गया, जिसके चलते दो पायलटों के लाइसेंस भी छह महीने के लिए सस्पेंड कर दिए गए हैं।

केदारनाथ यात्रा को लेकर एक बार फिर गंभीर संकट खड़ा हो गया है। मौसम की मार और अस्थिर पहाड़ी भूगोल यात्रियों के जीवन के लिए खतरा बन रहे हैं। प्रशासन और पुलिस की टीमें सक्रिय हैं, लेकिन यात्रियों को भी सावधानी बरतनी होगी और धैर्य रखना होगा। चारधाम यात्रा को केवल सुरक्षित मौसम और परिस्थितियों में ही आगे बढ़ाने की सलाह दी जाती है।

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