बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम में उम्मीद से ज्यादा फैंस के पहुंचने के कारण बेकाबू भीड़ पर लाठीचार्ज हुआ, जिसके बाद संवेदनहीनता की हदें पार हो गईं।
कल रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) ने पंजाब को हराकर आईपीएल का खिताब जीता। आज बेंगलुरु में विक्ट्री परेड निकाली गई। इस परेड को देखने गए लोगों में से 11 की भगदड़ में मौत हो गई और 20 से ज्यादा घायल हो गए।
स्टेडियम के बाहर भारी भीड़ आईपीएल की ट्रॉफी जीतने वाले स्टार क्रिकेटर्स को देखने के लिए जमा थी। गेट नंबर 18 और 19 के बीच बड़ी संख्या में लोग स्टेडियम के अंदर जाना चाहते थे और इस कोशिश में एक दूसरे के ऊपर गिर गए। इतनी बड़ी संख्या में लोगों को संभालने के लिए पर्याप्त पुलिस बल मौजूद नहीं था।
सवाल उठता है कि क्या प्रशासन को नहीं मालूम था कि यहां इतनी बड़ी संख्या में लोग आएंगे? मालूम तो होगा, फिर भीड़ को संभालने के लिए जरूरी इंतजाम क्यों नहीं किये गए?
चिन्नास्वामी स्टेडियम में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू के फैंस की भीड़ जब स्टेडियम में घुसने की कोशिश करने लगी तो बेंगलुरु पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। पुलिस के लाठीचार्ज की वजह से स्टेडियम के बाहर अफरातफरी मच गई और भगदड़ हुई।
विधानसभा में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार मौजूद थे, जहां पुलिस के पुख्ता इंतजाम थे। अगर ऐसी ही व्यवस्था स्टेडियम के पास होती तो शायद इतना बड़ा हादसा नहीं होता।
प्रशंसक पिटते रहे, सड़कों पर गिरकर कुछ की जान चली गई, कुछ बेहोश हो गए, लेकिन जश्न नहीं रुका। घायलों को अस्पताल ले जाया गया। जो लोग अपनी पसंदीदा टीम की जर्सी पहनकर पहुंचे थे, उनमें से कुछ के शव कफन में ढककर वापस गए।
कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डी के शिवकुमार स्टार क्रिकेटर्स के साथ फोटो खिंचवा रहे थे, जबकि जनता की जान बचाने के लिए पुलिस को जरूरी निर्देश देने चाहिए थे। हजारों लोग स्टेडियम के अंदर जश्न मना रहे थे।
विराट कोहली और अनुष्का शर्मा फ्लाइंग किस देते दिखाई दे रहे थे। जिन 11 लोगों की इस भगदड़ में मौत हुई, उन्हें उनका कोई ख्याल नहीं आया।
हालांकि इन खिलाड़ियों का जश्न कल मैच जीतने के बाद सबको अच्छा लगा, लेकिन आज अपने ही प्रशंसकों की मौत के बाद स्टेडियम में इस तरह की खुशियां अच्छी नहीं लग रही होंगी।
इस भगदड़ के लिए जिम्मेदार कौन है? कर्नाटक की सरकार, बेंगलुरु पुलिस, RCB की फ्रेंचाइजी या कर्नाटक क्रिकेट एसोसिएशन?
कर्नाटक सरकार से प्लेयर्स के वेलकम सेरेमनी के लिए पुख्ता इंतजाम क्यों नहीं किए गए, यह सवाल पूछा जाना चाहिए। जहां VIP मौजूद थे वहां ऐसे इंतजाम किए गए की कोई दिक्कत नहीं हुई, लेकिन जहां आम लोगों का जमावड़ा था, वहां सुरक्षा के कोई इंतजाम ही नहीं थे।
कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि 5 हजार पुलिसवालों को तैनात किया गया था, जबकि 3 लाख लोगों की भीड़ आई थी। क्या इतने पुलिसकर्मी 3 लाख लोगों को संभालने के लिए काफी थे? डीके शिवकुमार कह रहे हैं कि लाठीचार्ज करने के ऑर्डर्स नहीं थे, लेकिन तस्वीरों में तो दिख रहा है कि आम लोगों पर पुलिस ने जमकर लाठियां भांजी।
सरकार के साथ-साथ सवाल तो बेंगलुरु पुलिस से भी पूछे जाने चाहिए। बेंगलुरु की टीम 29 मई को ही फाइनल में पहुंच गई थी, यानी जीत के 50% चांस थे। ऐसे में पुलिस के पास तैयारियों के लिए चार दिन का वक्त था।
चिन्नास्वामी स्टेडियम में अंदर जाने के लिए 6 गेट हैं, ऐसे में पुलिस ने हर गेट के हिसाब से भीड़ को डायवर्ट क्यों नहीं किया? अगर पता था की भीड़ ज्यादा होने वाली है तो फिर इवेंट के लिए वेन्यू को चेंज क्यों नहीं किया गया?
RCB के मैनेजमेंट और प्लेयर्स से सवाल पूछा जाना चाहिए कि बाहर उनके फैंस दबकर मर गए और वे अंदर सेलिब्रेट करते रहे। अगर पता था कि चिन्नास्वामी स्टेडियम में इतने लोगों के लिए जगह नहीं है तो फिर सोशल मीडिया के जरिए लोगों से न आने की अपील करना क्या उनकी जिम्मेदारी नहीं थी?
कर्नाटक में हुए इस भगदड़ से तो यही साबित हो रहा है कि किसी को भी आम जनता से मतलब ही नहीं था।
#DNAWithRahulSinha | विजय जुलूस..कैसे बना मौत का जुलूस ? स्टेडियम में जश्न..बाहर मौत का मातम #DNAWithRahulSinha #DNA #Bengaluru #RCB@RahulSinhaTV pic.twitter.com/qGR79zMXJc
— Zee News (@ZeeNews) June 4, 2025
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