डोनाल्ड ट्रंप के एक और फैसले ने पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है. क्या किसी देश की सेना में विदेशी आतंकवादियों को भर्ती करना सही है? सामान्य तौर पर इसका उत्तर नकारात्मक ही होगा. लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीरियाई सेना में विदेशी आतंकियों की भर्ती को मंजूरी दे दी है.
सीरिया के राष्ट्रपति अहमद हुसैन अल-शरा ने सीरियाई सेना में विदेशी आतंकवादियों को भर्ती करने की एक योजना बनाई है. इस योजना के तहत सीरिया की सेना में एक जिहादी रेजिमेंट होगी. ट्रंप ने इस योजना को मंजूरी देकर यह स्पष्ट कर दिया है कि उन्हें आतंकवादियों से कोई आपत्ति नहीं है.
अमेरिका की सरकार ने सीरिया में लड़ने वाले विदेशी आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाया था. इसीलिए इन आतंकवादियों को सेना में शामिल करने के लिए ट्रंप की सहमति जरूरी थी.
सोचिए, जो आतंकवादी दुनिया के विभिन्न देशों से आकर सीरिया में लड़े, वे अब सीरियाई सेना में शामिल हो जाएंगे, कर्नल और जनरल बन जाएंगे. बड़े-बड़े आतंकवादी जो अब तक सीरिया को बर्बाद कर रहे थे, अब सीरियाई फौज की वर्दी पहनकर उस देश का आधिकारिक हिस्सा बन जाएंगे.
सीरिया के राष्ट्रपति अल-शरा खुद भी जिहादियों के साथ मिलकर लड़ चुके हैं. पहले उन्होंने आतंकी संगठन ISIS के साथ मिलकर सीरिया में जंग लड़ी और बाद में एक और चरमपंथी संगठन HTS की स्थापना की. अब राष्ट्रपति बनने के बाद वे अपने साथी जिहादियों को सेना में शामिल करने के लिए ऑफर लेटर दे रहे हैं.
दावा किया जाता है कि सीरिया में गृहयुद्ध के दौरान लगभग 40,000 से अधिक विदेशी आतंकवादी पहुंचे थे. वर्तमान में भी लगभग साढ़े तीन हजार विदेशी जिहादी हैं, जिनमें से अधिकांश चीन और आसपास के देशों से आए उइगर मुस्लिम हैं. इन विदेशी जिहादियों को अब सीरियाई सेना की 84वीं डिवीजन में शामिल किया जाएगा.
सीरिया के रक्षा मंत्रालय का दावा है कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो ये जिहादी किसी अन्य आतंकी समूह में शामिल होकर सीरिया के लिए खतरा बन सकते हैं.
दुनिया भर की सेनाएं अपनी सीमाओं की रक्षा करने के लिए जान कुर्बान कर देती हैं, लेकिन सीरिया की सेना में उन्हें शामिल किया जा रहा है जो कुछ दिनों पहले तक सीरिया को ही बर्बाद कर रहे थे. आशंका है कि ये विदेशी जिहादी सीरियाई सेना में टाइम बम की तरह धमाके करने का इंतजार करते रहेंगे.
अमेरिका एक तरफ दुनिया से आतंकवाद मिटाने की बात करता है, लेकिन हाल के समय में ट्रंप के फैसले आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले लग रहे हैं. जनवरी 2025 में अल-शरा ने खुद को सीरिया का राष्ट्रपति घोषित किया और मई में ट्रंप ने सीरिया से प्रतिबंध हटाने का ऐलान किया. 2019 में ट्रंप ने सीरिया से अमेरिकी सैनिकों को हटाने का एलान किया था, जिसके बाद सीरिया में आतंकियों को मुल्क पर कब्जा करने की खुली छूट मिली.
ट्रंप प्रशासन आज आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय फंडिंग दिलवा रहा है. वे मध्य पूर्व में ईरान के प्रभाव को कम करने की कोशिश कर रहे हैं. सीरिया में ईरान के संगठन हिजबुल्ला की मौजूदगी और प्रभाव को ट्रंप ने अल-शरा के माध्यम से नियंत्रित किया है. इसके साथ ही सीरिया के तेल भंडार भी अमेरिकी नियंत्रण में होंगे. सीरिया के पास दुनिया का 31वां सबसे बड़ा तेल भंडार है. सीरिया को अभी फंडिंग और अंतर्राष्ट्रीय पहचान चाहिए, जिसके लिए वह अमेरिका पर निर्भर होगा और अमेरिका की हर बात मानने के लिए मजबूर भी होगा.
#DNAWithRahulSinha | आतंकवादियों को कर्नल-जनरल बनाएंगे ट्रंप? आतंकवादियों के लिये ट्रंप क्या करके मानेंगे?
— Zee News (@ZeeNews) June 5, 2025
आतंकियों को सैनिक बनाने की सोच का DNA टेस्ट#DNA #USA #DonaldTrump #Syria@RahulSinhaTV pic.twitter.com/O8taRnun7G
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