अगर ऑपरेशन सिंदूर 7 दिन और चलता, तो आज हम... बलोच नेता का पीएम मोदी को खुला पत्र, दुनिया अचंभित!
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बलूचिस्तान के मानवाधिकार कार्यकर्ता और पत्रकार मीर यार बलूच ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक मार्मिक खुला पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने बलूचिस्तान पर पाकिस्तान द्वारा किए गए अत्याचारों और क्रूरताओं का विस्तृत वर्णन किया है।

बलूच नेता ने 1998 में बलूचिस्तान में पाकिस्तान द्वारा किए गए परमाणु परीक्षणों को नरसंहार की शुरुआत बताया है। उन्होंने दुनिया से पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को जब्त करने की पुरजोर अपील की है।

मीर यार बलूच ने प्रधानमंत्री मोदी से यह भी आग्रह किया है कि भारत बलूचिस्तान की आजादी की लड़ाई में खुलकर समर्थन करे। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सेना ने बलूच जमीन को तबाह कर दिया है।

पत्र में मीर यार बलूच ने 28 मई 1998 को बलूचिस्तान के चगाई में पाकिस्तान द्वारा किए गए परमाणु परीक्षणों का जिक्र करते हुए लिखा है कि नवाज शरीफ सरकार की मिलीभगत से पाकिस्तानी सेना ने बलूच जमीन को तबाह कर दिया। उन्होंने यह भी बताया है कि इन धमाकों के कारण चगाई और रस कोह की पहाड़ियों में आज भी विस्फोटकों की गंध आती है। इस परीक्षण के कारण कई खेत नष्ट हो गए, मवेशी मर गए, और बच्चे विकलांग पैदा हो रहे हैं।

बलूच नेता ने पाकिस्तानी सेना और आईएसआई पर आतंकवादी संगठन बनाने का सीधा आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया कि आईएसआई हर महीने एक नया आतंकवादी संगठन बनाती है और उसका इस्तेमाल भारत, अफगानिस्तान, बलूचिस्तान, यहां तक ​​कि अमेरिका और इजरायल के खिलाफ करती है। बलूच नेता ने पाकिस्तान को आतंकवाद का जनक बताते हुए कहा कि आतंकवाद तब तक खत्म नहीं होगा, जब तक इसकी जड़ें नहीं उखाड़ी जातीं।

बलूच नेता ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान बलूचिस्तान का सोना, तांबा, गैस, तेल और यूरेनियम लूटकर अपनी कमजोर अर्थव्यवस्था चला रहा है और इस पैसे से आतंकी संगठनों को फंड दे रहा है। उन्होंने चीन का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा कि चीन ने बलूचिस्तान में समुद्री अड्डे और एशिया का सबसे बड़ा एयरपोर्ट बनाया है। साथ ही चीन पाकिस्तान की सेना को हर स्तर पर समर्थन दे रहा है।

बलूच नेता ने यह भी कहा कि जब भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया था, तब बलूच लोगों ने खुलकर भारत का समर्थन किया था। उन्होंने यह भी कहा कि अगर ऑपरेशन सिंदूर एक सप्ताह और चलता, तो आज वे एक स्वतंत्र राष्ट्र के तौर पर भारत और दुनिया से बात कर रहे होते।

पत्र के अंत में उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से अपील की कि भारत को बलूचिस्तान के साथ आधिकारिक संबंध स्थापित करने चाहिए और दिल्ली में बैठक करनी चाहिए। उन्होंने बलूचिस्तान का दूतावास खोले जाने की भी मांग की है।

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