भगोड़े नीरव मोदी को लंदन हाईकोर्ट से फिर झटका, 10वीं बार भी जमानत याचिका खारिज
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भगोड़े आर्थिक अपराधी नीरव मोदी को लंदन हाईकोर्ट ऑफ जस्टिस की किंग्स बेंच डिवीजन से गुरुवार को एक बड़ा झटका लगा. अदालत ने उसकी नई जमानत याचिका को खारिज कर दिया है.

नीरव मोदी लंदन की जेल में बंद है. वह अपने मामा मेहुल चोकसी के साथ मिलकर 13,000 करोड़ रुपए के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) धोखाधड़ी मामले में भारत में वांछित है.

नीरव मोदी ने लंदन की हाईकोर्ट में अपने प्रत्यर्पण अनुरोध पर फैसला आने तक जमानत पर रिहाई की मांग की थी.

सीबीआई ने एक बयान में कहा कि नीरव मोदी की नई जमानत याचिका को किंग्स बेंच डिवीजन, लंदन के हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया. यह उसकी 10वीं बार दायर की गई जमानत याचिका थी, जिसे कोर्ट ने ठुकरा दिया.

क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस के अधिवक्ता ने हाईकोर्ट में नीरव मोदी की दलीलों का कड़ा विरोध किया. सीबीआई की एक मजबूत टीम इस मामले में मदद के लिए लंदन गई थी.

नीरव मोदी (55) 19 मार्च, 2019 से ब्रिटेन की जेल में बंद है. उस पर घोटाले की कुल राशि में से 6498.20 करोड़ रुपए हड़पने का आरोप है. उसके प्रत्यर्पण को ब्रिटेन के हाईकोर्ट ने भारत सरकार के पक्ष में पहले ही मंजूरी दे दी है.

पीएनबी धोखाधड़ी मामले में सह-आरोपी नीरव मोदी के चाचा मेहुल चोकसी को बेल्जियम में अधिकारियों ने गिरफ्तार किया था, जहां वह इलाज के लिए गए थे.

दोनों पर फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग और विदेशी क्रेडिट लेटर का उपयोग करके पीएनबी से 13,000 करोड़ रुपए से अधिक की राशि हड़पने का आरोप है.

मुंबई में पीएनबी की ब्रैडी हाउस ब्रांच के अधिकारियों ने बिना किसी स्वीकृत सीमा या नकद मार्जिन के और डिफॉल्ट के मामले में किसी भी जांच से बचने के लिए बैंक की केंद्रीय प्रणाली में प्रविष्टि किए बिना अपनी फर्मों को लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) और विदेशी क्रेडिट लेटर (एफएलसी) जारी किए.

एलओयू एक बैंक द्वारा अपने ग्राहक की ओर से विदेशी बैंक को दी गई गारंटी है. यदि ग्राहक विदेशी बैंक को भुगतान नहीं करता है, तो दायित्व गारंटर पर आ जाता है.

पीएनबी की तरफ से जारी किए गए एलओयू के आधार पर, एसबीआई मॉरीशस, इलाहाबाद बैंक हांगकांग, एक्सिस बैंक हांगकांग, बैंक ऑफ इंडिया एंटवर्प, केनरा बैंक मामाना और एसबीआई फ्रैंकफर्ट ने धन उधार दिया था.

सीबीआई ने आरोप लगाया कि चूंकि आरोपी कंपनियों ने उक्त धोखाधड़ी वाले एलओयू और एफएलसी के खिलाफ ली गई राशि का भुगतान नहीं किया, इसलिए पीएनबी ने बकाया ब्याज सहित विदेशी बैंकों को भुगतान कर दिया, जिन्होंने बायर क्रेडिट को आगे बढ़ा दिया और पीएनबी द्वारा जारी किए गए धोखाधड़ी वाले एलओयू और एफएलसी के खिलाफ बिलों में छूट दे दी.

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