भारत-पाकिस्तान तनाव: पड़ोसी किसके साथ, किसके खिलाफ?
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भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है, जिसका असर पूरे क्षेत्र पर पड़ना तय है. दोनों देशों ने हाल ही में एक-दूसरे पर कार्रवाई करने का दावा किया है.

भारत के रक्षा मंत्रालय ने दावा किया है कि विश्वसनीय जानकारी के अनुसार लाहौर में एक एयर डिफ़ेंस सिस्टम को नष्ट कर दिया गया है. वहीं, पाकिस्तान ने भारत पर 25 ड्रोन मार गिराने का दावा किया है, जिनकी पुष्टि नहीं हो पाई है.

इस बढ़ते तनाव पर दोनों देशों के पड़ोसी देशों का क्या रुख हो सकता है, इस पर विशेषज्ञों ने अलग-अलग राय दी है.

मिडिल ईस्ट इनसाइट्स प्लेटफ़ॉर्म की संस्थापक डॉक्टर शुभदा चौधरी का कहना है कि भारत और पाकिस्तान के पड़ोसी देशों में सामाजिक-आर्थिक रूप से कमजोर लोग अधिक हैं. लंबे समय तक संघर्ष चलने से इन लोगों पर आर्थिक रूप से बुरा असर पड़ेगा. कोविड महामारी के बाद से ही इन देशों की अर्थव्यवस्था संघर्ष कर रही है, इसलिए उनके लिए आर्थिक हित अधिक महत्वपूर्ण हैं.

शुभदा चौधरी के अनुसार, संघर्ष लंबा खिंचने पर नेपाल का भारत के साथ 60% व्यापार प्रभावित हो सकता है, जिससे पोर्ट और ट्रेड रूट में परेशानी होगी. भूटान का पर्यटन उद्योग भी प्रभावित हो सकता है, क्योंकि वह भारत की अर्थव्यवस्था पर निर्भर है.

दक्षिण एशिया की भू-राजनीति के जानकार धनंजय त्रिपाठी मानते हैं कि अफगानिस्तान को छोड़कर बाकी देश तटस्थ रहेंगे. छोटे पड़ोसी देश भारत के साथ आर्थिक गतिविधियों से जुड़े हैं. श्रीलंका और नेपाल जैसे देशों के लिए पर्यटन से होने वाली कमाई महत्वपूर्ण है, इसलिए वे चाहेंगे कि यह तनाव जल्द खत्म हो.

विदेश मामलों के जानकार कमर आगा का मानना है कि पड़ोसी देशों के साथ भारत का व्यवसायिक संबंध है. संघर्ष बढ़ने से अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी. बांग्लादेश को बड़ा नुकसान हो सकता है, क्योंकि उसकी मौजूदा सरकार पाकिस्तान के करीब जा रही है, जबकि भारत का बड़ा निवेश बांग्लादेश में है.

भारत और बांग्लादेश के बीच पहले संबंध अच्छे थे, लेकिन पिछले साल हुए आंदोलन के बाद बांग्लादेश में बनी अंतरिम सरकार के कई मुद्दों पर भारत से मतभेद हैं.

चीन का रुख पाकिस्तान के पक्ष में दिखता है, हालांकि उसने मौजूदा हालात पर चिंता जताई है. चीन के पाकिस्तान से करीबी संबंध हैं और भारत के साथ कारोबारी हित जुड़े हुए हैं. विशेषज्ञों को लगता है कि चीन कभी नहीं चाहेगा कि पाकिस्तान अस्थिर हो, जिससे उसके करोड़ों का निवेश बेकार हो जाए.

अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले की निंदा की है. उसने भारत के ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव पर चिंता जाहिर की है और दोनों देशों से बातचीत के जरिए मसला हल करने की अपील की है.

कमर आगा के अनुसार, अफगानिस्तान कभी भी पाकिस्तान के साथ अपनी सरहद यानी डूरंड रेखा को नहीं मानता है. अगर भारत-पाकिस्तान संघर्ष बढ़ता है तो अफगानिस्तान भारत के साथ खड़ा दिखेगा.

ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराग़ची ने हाल ही में पाकिस्तान और भारत की यात्रा की है. ईरान ने पहलगाम हमले की निंदा की है और तनाव कम करने में मध्यस्थता करने की पेशकश भी की है.

कमर आगा का कहना है कि ईरान भारत-पाकिस्तान संघर्ष को जल्द से खत्म होते देखना चाहेगा, क्योंकि इस क्षेत्र में संघर्ष बढ़ने से पाकिस्तान से सीमा साझा करने की वजह से ईरान पर भी असर पड़ सकता है.

रक्षा विशेषज्ञ संजीव श्रीवास्तव का कहना है कि दक्षिण एशिया के ज्यादातर देशों के साथ भारत के अच्छे संबंध रहे हैं और संघर्ष बढ़ने से इन देशों की चिंता बढ़ेगी.

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