भारत में रोहिंग्या मुसलमानों की स्थिति एक बार फिर से चर्चा में है. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली से रोहिंग्या मुसलमानों के संभावित निर्वासन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है.
अब यह सवाल उठ रहा है कि भारत में शरणार्थी के रूप में रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों का भविष्य क्या होगा?
रोहिंग्या मुसलमानों के प्रतिनिधि ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. उन्होंने कहा था कि म्यांमार में जारी हिंसा और नरसंहार के कारण उन्हें भारत में शरण मिलनी चाहिए. उनका कहना था कि उन्हें शरणार्थी का दर्जा दिया जाए, जिससे वे भारत में सुरक्षित रह सकें.
सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. अदालत का कहना है कि भारत के संविधान में केवल भारतीय नागरिकों को ही देश में रहने का अधिकार प्राप्त है.
न्यायमूर्ति सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता और एन. कोटेश्वर सिंह की पीठ ने इस मामले पर सुनवाई की. पीठ ने कहा कि भारत के संविधान के तहत केवल भारतीय नागरिकों को देश में रहने का अधिकार है. विदेशी नागरिकों के मामलों में भारतीय कानून के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी.
वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंसाल्विस और वकील प्रशांत भूषण ने तर्क दिया कि रोहिंग्या मुसलमानों को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (UNHCR) ने शरणार्थी के रूप में मान्यता दी है. उनके पास शरणार्थी कार्ड भी हैं, इसलिए उन्हें भारत में रहने का अधिकार मिलना चाहिए.
भारत सरकार ने इस मामले में अपनी स्थिति साफ की है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि भारत ने 1951 के यूएन शरणार्थी संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. इसलिए UNHCR द्वारा दी गई शरणार्थी मान्यता भारत के लिए बाध्यकारी नहीं है.
उन्होंने यह भी कहा कि रोहिंग्या मुसलमान विदेशी नागरिक हैं और भारत का संविधान उन्हें विशेष शरणार्थी अधिकार नहीं देता.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की विस्तृत सुनवाई के लिए 31 जुलाई की तारीख तय की है. इस दिन इस मुद्दे पर और चर्चा की जाएगी.
अदालत ने फिलहाल स्पष्ट किया है कि रोहिंग्या प्रवासियों को जीवन का अधिकार मिल सकता है, लेकिन उनका मामला विदेशी नागरिकों से संबंधित है और उनके खिलाफ विदेशी अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी.
इस फैसले के बाद यह सवाल उठता है कि भारत में शरणार्थियों की स्थिति क्या होगी? किस तरह की नीति बनाई जाएगी, जो विदेशी नागरिकों और शरणार्थियों के अधिकारों के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा को भी ध्यान में रखे?
If they are foreigners, they have to be deported: Supreme Court in Rohingya case
— Bar and Bench (@barandbench) May 8, 2025
Centre said India is not a party to the UN Refugee Convention, and UNHCR cards of the refugees are disputed.
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