डेनियल पर्ल पत्रकारिता की दुनिया में साहस, सत्य और समर्पण का प्रतीक थे। अमेरिकी पत्रकार और वॉल स्ट्रीट जर्नल के दक्षिण एशिया ब्यूरो प्रमुख रहे पर्ल की हत्या एक महत्वपूर्ण अध्याय है वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का।
2002 में पाकिस्तान के कराची में उनकी हत्या ने पूरी दुनिया को झकझोर दिया था। हाल ही में भारतीय सेना की कार्रवाई ने इस हत्या के मुख्य साजिशकर्ता को ढेर कर डेनियल पर्ल को न्याय दिलाया है।
डेनियल पर्ल का जन्म 10 अक्टूबर, 1963 को न्यू जर्सी, अमेरिका में हुआ था। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट करने के बाद, उन्होंने वॉल स्ट्रीट जर्नल में अपने करियर की शुरुआत की। उनकी खोजी पत्रकारिता ने उन्हें जल्द ही एक प्रतिष्ठित पत्रकार बना दिया।
पर्ल न केवल खबरों को कवर करते थे, बल्कि वे उन कहानियों को उजागर करने में विश्वास रखते थे जो समाज को बदल सकती थीं। 2001 में, 9/11 के हमलों के बाद, पर्ल को दक्षिण एशिया ब्यूरो प्रमुख के रूप में भारत के मुंबई में तैनात किया गया।
उस समय, वह आतंकवाद और अल-कायदा के नेटवर्क पर गहन रिसर्च कर रहे थे। उनकी एक खोजी कहानी उन्हें पाकिस्तान के कराची तक ले गई, जहां उनकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई।
जनवरी 2002 में, डेनियल पर्ल कराची में थे, जहां वह ब्रिटिश नागरिक रिचर्ड रीड (जूता बम हमलावर) और अल-कायदा के बीच संबंधों की जांच कर रहे थे। 23 जनवरी को, वह एक इंटरव्यू के लिए निकले, जो असल में उनके लिए एक जाल था।
इस्लामिक आतंकवादियों ने उनका अपहरण कर लिया। अपहरणकर्ताओं ने पर्ल की तस्वीरें जारी कीं, जिसमें वह हथकड़ियों में जंजीरों से बंधे थे, और उनके हाथ में उस दिन का डॉन अखबार था।
उनकी रिहाई के लिए मांगें रखी गईं, जिसमें अमेरिकी पत्रकारों को पाकिस्तान में प्रवेश पर रोक और ग्वांतानामो बे में बंद आतंकियों की रिहाई शामिल थी।
पर्ल की पत्नी मारियान, उनकी सहकर्मी असरा नोमानी और अमेरिकी दूतावास ने उनकी रिहाई के लिए हरसंभव कोशिश की, लेकिन अपहरणकर्ताओं ने कोई दया नहीं दिखाई।
1 फरवरी, 2002 को, डेनियल पर्ल की निर्मम हत्या कर दी गई। अल-कायदा के वरिष्ठ नेता खालिद शेख मोहम्मद ने ग्वांतानामो बे में स्वीकार किया कि उसने स्वयं पर्ल का सिर कलम किया था। उनकी लाश कराची के बाहरी इलाके में मिली, और यह घटना पत्रकारिता जगत के लिए एक काला अध्याय बन गई।
For too long we did not see justice for the evil beheading of Daniel Pearl.
— Ellie Cohanim (@EllieCohanim) May 8, 2025
Personally grateful to government of @PMOIndia.
Daniel Pearl forever memorialized by his last words echoing thousands of years of Jewish history & persecution: “My father is Jewish, my mother is… pic.twitter.com/bWcnndlOy9
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