कोरोनिल: सवालों के घेरे में, फिर भी 69% मरीजों को 3 दिन में ठीक करने का दावा, आयुष मंत्रालय ने भी माना असर
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कोविड-19 महामारी के दौरान, जब पूरी दुनिया आधुनिक चिकित्सा के माध्यम से इलाज ढूंढ रही थी, पतंजलि द्वारा विकसित कोरोनिल किट ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया। यह दवा रोगियों के इलाज में सहायक बताई गई, लेकिन लॉन्च के साथ ही विवादों में घिर गई।

कोरोना वायरस एक गंभीर रोग है जो फेफड़ों और रेस्पिरेटरी एरियाज को संक्रमित करता है। इसने पूरी दुनिया में लाखों लोगों को प्रभावित किया। पतंजलि ने आयुर्वेद के माध्यम से इसका इलाज ढूंढने का दावा किया और कोरोनिल किट तैयार की।

कोरोना संक्रमण में गिलोय का काढ़ा, तुलसी, काली मिर्च जैसी जड़ी-बूटियों का सेवन और भाप लेना जैसे घरेलू उपाय सहायक होते हैं। इसी आधार पर पतंजलि ने कोरोनिल किट बनाई। इस किट में तीन दवाएं हैं, जो आयुर्वेदिक उत्पादों से निर्मित हैं।

23 जून, 2020 को योगगुरु बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद ने कोरोनिल किट लॉन्च की। कंपनी का दावा था कि यह कोविड-19 संक्रमण के इलाज में प्रभावी है। पतंजलि के अनुसार, कोविड से संक्रमित 95 मरीजों पर दवा का ट्रायल किया गया, जिनमें से 69% मरीज 3 दिनों में और 100% मरीज 7 दिनों में पूरी तरह ठीक हो गए।

कोरोनिल लॉन्च होने के बाद, मेडिकल जगत और मीडिया में सवाल उठने लगे। डॉक्टरों और विशेषज्ञों ने दवा के वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित होने का प्रमाण मांगा। दवा को पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन, हरिद्वार और नेशनल रिसर्च ऑफ मेडिकल साइंस, जयपुर ने मिलकर तैयार किया था, इसलिए वे भी सवालों के घेरे में आए।

भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने पतंजलि से स्पष्ट रूप से पूछा कि किन मानकों और प्रमाणों के आधार पर कोरोनिल को कोविड-19 की असरदार दवा बताया गया। मंत्रालय ने पतंजलि को कोरोनिल के प्रचार पर रोक लगाने के लिए भी कहा और ट्रायल के दस्तावेज मांगे। महाराष्ट्र और राजस्थान की राज्य सरकारों ने भी कोरोनिल की बिक्री और विज्ञापन पर रोक लगा दी थी।

पतंजलि के संस्थापक आचार्य बालकृष्ण ने ट्वीट कर स्पष्ट किया कि उन्होंने कभी नहीं कहा कि कोरोनिल कोविड-19 का इलाज है, बल्कि कंपनी का दावा था कि इसका उपयोग कोविड संक्रमित मरीजों पर किया गया, जिसके अच्छे परिणाम देखने को मिले हैं।

कोरोना वायरस के इलाज के तौर पर कोरोनिल के विज्ञापन पर रोक लगाने के बाद आयुष मंत्रालय ने इसे इम्युनिटी बूस्टर के तौर पर बेचने की अनुमति दे दी, लेकिन कोविड-19 के इलाज के तौर पर नहीं। केंद्रीय मंत्रालय ने यह भी पुष्टि की है कि पतंजलि इस उत्पाद को बेच सकती है, लेकिन कोरोना वायरस का इलाज बताकर नहीं।

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