सुप्रीम कोर्ट में एक हिन्दू संगठन ने वक्फ संशोधन कानून को चुनौती दी है, यह दावा करते हुए कि यह मुस्लिमों के अस्तित्व को खतरे में डालता है। क्या यह वाकई में हिन्दुओं का हितैषी संगठन है या फिर कोई और खेल चल रहा है?
केंद्र सरकार ने हाल ही में वक्फ संशोधन कानून लाया, जिस पर संसद में लंबी बहस हुई और संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने भी इस पर गहन अध्ययन किया। लेकिन, कई विपक्षी दलों और इस्लामी-लिबरल संगठनों ने इसका विरोध किया और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी।
अब श्री नारायण मानव धर्म ट्रस्ट नामक एक संगठन भी इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। उनका तर्क है कि श्री नारायण गुरु की शिक्षाओं के अनुसार, सभी व्यक्तियों और समाजों के हित एक-दूसरे पर निर्भर हैं, इसलिए वे इस मुद्दे पर चुप नहीं रह सकते।
हालांकि, इस संगठन के मुखिया जी. मोहन गोपाल हैं, जिनके अतीत और विचारधारा पर सवाल उठते हैं। क्या यह वाकई में श्री नारायण गुरु के सिद्धांतों का पालन करने वाला संगठन है या फिर एक छलावा?
जी. मोहन गोपाल पर हिन्दू राष्ट्र का विरोधी होने, राम मंदिर से घृणा करने और गरीबों के लिए EWS आरक्षण का विरोध करने के आरोप हैं। वे अक्सर हिन्दू राष्ट्र का मजाक उड़ाते रहे हैं और इसे न्यायपालिका को अपने कब्जे में लेने की साजिश बताते रहे हैं।
उन्होंने राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन भी दीये जलाने का विरोध किया था, यह दावा करते हुए कि यह नारायण गुरु की विचारधारा के विरुद्ध है। क्या यह व्यक्ति वास्तव में हिन्दुओं का प्रतिनिधित्व करता है?
जी. मोहन गोपाल कांग्रेस पार्टी के छात्र संगठन NSUI के अध्यक्ष भी रह चुके हैं और राहुल गांधी के करीबी सलाहकार माने जाते हैं। क्या यह सिर्फ एक राजनीतिक चाल है?
उनकी याचिका में कहा गया है कि वक्फ कानून इस्लामी कानूनों पर अपने नियम थोपता है, जो संसद के अधिकार क्षेत्र से बाहर है और संविधान का उल्लंघन करता है। यह मुस्लिमों के अधिकारों का उल्लंघन करता है और वक्फ वर्षों से उनका आर्थिक आधार रहा है।
क्या यह वाकई में हिन्दू संगठन है जो शरिया कानून को बचाने के लिए वक्फ का समर्थन कर रहा है? जी. मोहन गोपाल ने EWS आरक्षण का भी विरोध किया है और भारत में अल्पमत का प्रतिनिधित्व होने की बात कही है।
इन सभी तथ्यों को देखते हुए, यह स्पष्ट है कि श्री नारायण मानव धर्म ट्रस्ट और जी. मोहन गोपाल का एजेंडा कॉन्ग्रेस के एजेंडे से मेल खाता है। क्या यह वाकई में हिन्दुओं का हितैषी संगठन है या फिर एक राजनीतिक मोहरा?
G Mohan Gopal was the 2nd President of NSUI. He is one of the topmost academicians of India today#NSUIFoundationDay pic.twitter.com/AryKFKPQsY
— NSUI (@nsui) April 9, 2016
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