पहलगाम में उजड़ गई दुनिया: पति को खोने वाली नेहा ने बताई दर्दनाक कहानी
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जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया है। इस हत्याकांड में कई लोगों ने अपने प्रियजनों को खो दिया है। छत्तीसगढ़ के रायपुर के रहने वाले व्यवसायी दिनेश मिरानिया की भी इस हमले में जान चली गई।

उनकी पत्नी नेहा मिरानिया ने उस खौफनाक मंजर को बयां करते हुए कहा कि पहलगाम जाकर उन्होंने अपनी दुनिया ही उजाड़ ली। नेहा ने बताया कि उनके पति वैष्णोदेवी जाना चाहते थे, लेकिन बच्चों ने कश्मीर घूमने की इच्छा जताई, जिसके बाद उन्होंने पहलगाम और गुलमर्ग का प्लान बनाया।

नेहा ने 22 अप्रैल के उस भयावह दिन का जिक्र करते हुए बताया कि उन्हें उस दिन गुलमर्ग जाना था। उन्होंने कहा कि निकलने में थोड़ी देर हो गई। बच्चे जिप लाइनिंग और अन्य एक्टिविटी करना चाहते थे, जिसके कारण समय बीत गया और वे सब अलग-अलग हो गए। नेहा वॉशरूम गईं और तभी उन्होंने फायरिंग की आवाज सुनी। उन्हें पता चला कि आतंकियों ने हमला कर दिया है।

नेहा ने बताया कि जब वो वॉशरूम से बाहर निकलीं, तो उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है। उन्होंने कहा कि वे हमेशा ऐसी घटनाएं फिल्मों और खबरों में देखती थीं, लेकिन कभी नहीं सोचा था कि वे खुद खबर बन जाएंगी। हमले के बाद सब लोग तितर-बितर हो गए थे। नेहा ने वॉशरूम जाते वक्त अपना मोबाइल और पर्स अपने पति को दे दिया था, इसलिए उनके पास कुछ भी नहीं था। वहां मौजूद लोग उन्हें नीचे की ओर भागे।

नेहा ने बताया कि लोगों ने उनसे कहा कि वे वहां से निकल जाएं, क्योंकि उनकी फैमिली भी नीचे चली गई होगी। उनका मन नहीं मान रहा था, लेकिन डर के कारण वे नीचे चली गईं। रास्ते में, उन्होंने लोगों के मोबाइल से फोन करने की कोशिश की। किसी का नेटवर्क नहीं लग रहा था, लेकिन आखिरकार उनके बेटे से बात हो गई। बेटे ने बताया कि वह नीचे आ गया है, लेकिन पापा और लक्षिता ऊपर ही हैं। नेहा ने गुस्से में पूछा कि वह अपने पापा और लक्षिता को छोड़कर कैसे आ गया। बेटे ने बताया कि जब पहली गोली चली तो वह उसके बगल से गुजरी और उसके छींटे उस पर आए, जिसके बाद घोड़े वाले भैया उसे लेकर नीचे आ गए।

नेहा ने बताया कि पहलगाम हॉस्पिटल के बाहर उन्हें उनकी बेटी मिली, जिसके हाथ में चोट थी और कपड़े खून से सने थे। बेटी ने बताया कि पापा को गोली लगी है। यह सुनकर नेहा डर गईं, क्योंकि उनके पति को ब्लड क्लॉट की समस्या थी और उन्हें खून पतला करने की दवा लेनी पड़ती थी।

नेहा ने बताया कि उन्होंने हर जगह मदद के लिए गुहार लगाई, लेकिन सरकार ने उन्हें क्लब हाउस में भेज दिया। वे वहां गईं, लेकिन फिर वापस आ गईं। स्थानीय लोगों ने उनकी बहुत मदद की। उन्होंने बंद दुकान खोलकर उन्हें सिम और मोबाइल दिया। होटल वाले भैया ने उनकी बेटी को खाना खिलाया और उन्हें चाय पिलाई।

नेहा ने बताया कि रात साढ़े सात-आठ बजे कुछ लोग नीचे आए और उनसे पूछा गया तो उन्होंने बताया कि लोगों का एक आखिरी ग्रुप नीचे आया है और वे उनमें चेक कर सकती हैं। नेहा ने उनसे पूछा कि वे क्या लेकर आए हैं, उसमें बॉडी है या क्या है, लेकिन उन्होंने कुछ भी बताने से इनकार कर दिया। थोड़ी देर बाद, उनके बेटे का कॉल आया और उसने कहा कि मम्मी एक बार आ जाओ। जब नेहा वहां गईं तो उनके पति का शव सामने था।

सरकार से उम्मीद के सवाल पर नेहा ने कहा कि सरकार तो कर रही है। अमित शाह जी वहां (पहलगाम) आए थे और उन्होंने उनके पति को शहीद जैसी विदाई दी। इसलिए, उन्हें उम्मीद है कि सरकार उनके पति को शहीद का दर्जा देगी। उन्होंने कहा कि उन्हें जो खोना था, वो उन्होंने खो दिया है।

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