एक देश, एक कानून: क्या बीजेपी का बड़ा वादा पूरा होने वाला है?
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देशभर में वक्फ कानून को लेकर चल रहे विरोध-प्रदर्शनों के बीच, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code - UCC) को लागू करने की तैयारी कर रही है. मुर्शिदाबाद में दंगों तक की स्थिति बन गई है, और वक्फ कानून का मामला वर्तमान में अदालत में विचाराधीन है.

इस विवादास्पद मुद्दे पर अभी बिल पेश भी नहीं हुआ है, लेकिन मुस्लिम समुदाय की ओर से विरोध शुरू हो चुका है. आशंका है कि जैसे ही यह बिल संसद में पेश होगा, संसद से लेकर सड़क तक हंगामा शुरू हो सकता है.

बीजेपी ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट से एक वीडियो ट्वीट किया है, जिसमें विपक्षी दलों द्वारा मोदी 3.0 सरकार को कमजोर बताने और मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल की उपलब्धियों का उल्लेख है. वीडियो में नेशनल हेराल्ड केस में कार्रवाई, मेहुल चोकसी की बेल्जियम से गिरफ्तारी, तहव्वुर राणा को भारत लाना, संसद में वक्फ संशोधन बिल का पास होना, और दिल्ली, महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनावों में बीजेपी की जीत शामिल है. अंत में, Uniform Civil Code Loading... का संदेश दिया गया है, जो समान नागरिक संहिता की तैयारी का संकेत देता है.

इस ट्वीट की टाइमिंग महत्वपूर्ण है. बीजेपी वक्फ बिल आसानी से पास करवा चुकी है, जो गठबंधन सरकार में उसकी मजबूत स्थिति को दर्शाता है. बिहार और बंगाल चुनाव से पहले, समान नागरिक संहिता लागू करके बीजेपी एक खास वोट बैंक को एकजुट करना चाहती है और मुस्लिम महिलाओं में अपनी लोकप्रियता बढ़ाना चाहती है. समान नागरिक संहिता से मुस्लिम महिलाओं को बड़ा फायदा होने की संभावना है.

बीजेपी के घोषणा पत्र में हमेशा से UCC का मुद्दा रहा है. राम मंदिर और धारा 370 को हटाने जैसे वादे पहले ही पूरे हो चुके हैं.

समान नागरिक संहिता का मतलब है एक देश और एक कानून. इसे लागू करने पर विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना, और संपत्ति के बंटवारे से संबंधित कानून सभी धर्मों के नागरिकों के लिए समान होंगे.

वर्तमान में, भारत में मुस्लिम पर्सनल लॉ, ईसाई पर्सनल लॉ, पारसी पर्सनल लॉ, और हिंदू पर्सनल लॉ (जिसमें हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध धर्म के मामले शामिल हैं) लागू हैं. समान नागरिक संहिता के लागू होने पर ये सभी कानून समाप्त हो जाएंगे. इसके बजाय, IPC (भारतीय न्याय संहिता) की तरह, सभी अपराधियों को समान सजा दी जाएगी, चाहे वे किसी भी धर्म या जाति के हों.

संविधान में समान नागरिक संहिता को लेकर चर्चा हुई थी. संविधान सभा के कई सदस्य इसे लागू करने के पक्ष में थे. बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर भी चाहते थे कि यह संविधान में शामिल हो. सहमति न बनने पर, इसका उल्लेख नीति निदेशक सिद्धांतों के तहत किया गया. भारतीय संविधान के भाग 4 में अनुच्छेद 36 से लेकर 51 तक राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों का जिक्र है, और अनुच्छेद 44 में समान नागरिक संहिता का उल्लेख है. इसमें कहा गया है कि राज्य समान नागरिक संहिता को भारत में सुनिश्चित करने का प्रयास करेगा. चूंकि राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों को लागू करने की बाध्यता नहीं है, इसलिए अब तक इसे लागू नहीं किया गया है.

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