बिहार सरकार में कैबिनेट मंत्री सुरेंद्र मेहता अचानक सुर्खियों में आ गए हैं। तपती गर्मी में कंबल बांटने के कारण उनकी चर्चा हर तरफ हो रही है।
अप्रैल के महीने में, जब तापमान चरम पर है, सुरेंद्र मेहता को कंबल वितरित करते हुए देखा गया। मंत्री बनने के बाद मीडिया में उनकी इतनी चर्चा नहीं हुई थी, जितनी कंबल बांटने के बाद हो रही है। इसलिए इसे दांव और घाव दोनों की तरह देखा जा रहा है।
भाजपा के 46वें स्थापना दिवस पर, मेहता ने मंसूरचक प्रखंड के गोविंदपुर पंचायत में 700 लोगों को कंबल बांटे। गर्मी के मौसम में कंबल वितरण को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि क्या इस घटना ने उन्हें भाजपा के धानुक समाज का बड़ा नेता बना दिया?
सुरेंद्र मेहता बेगूसराय में एक कर्मठ नेता के रूप में जाने जाते हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने बछवाड़ा विधानसभा सीट से सीपीआई उम्मीदवार अवधेश राय को महज 484 वोटों से हराया था। भूमिहार बहुल बेगूसराय में सुरेंद्र मेहता का संघर्ष जिला भाजपा अध्यक्ष से लेकर मंत्री तक का रहा है। उनके इस सफर में उनकी जाति धानुक समाज का भी अहम योगदान रहा है।
बेगूसराय में धानुक जाति का काफी प्रभाव है, जिसके चलते उन्होंने अति पिछड़ों के नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई। 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी ने सुरेंद्र मेहता को मंत्री बनाया था। बिहार बीजेपी के इतिहास में पहली बार धानुक समाज से किसी विधायक को मंत्री बनाया गया।
बिहार में धानुक जाति की आबादी 2.14 फीसदी है और करीब एक दर्जन विधानसभा सीटों पर इनकी अच्छी-खासी मौजूदगी है। वहीं, अगर लोकसभा की बात करें तो बिहार की 7 लोकसभा सीटों मुंगेर, बेगूसराय, अररिया, पूर्णिया, कटिहार, सुपौल, झंझारपुर के अलावा खगड़िया संसदीय सीट की आबादी सवा लाख से ढाई लाख के बीच है। इसके साथ ही बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से करीब 65 विधानसभा सीटों पर धानुक जाति निर्णायक भूमिका निभाती है। ऐसे में बीजेपी ने इस जाति पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए सुरेंद्र मेहता को मंत्री बनाया।
जब उन्हें मंत्री बनाया गया, तब वे इतनी चर्चा में नहीं आए, लेकिन अब बिहार में चुनाव से पहले गर्मी में कंबल बांटकर वे काफी चर्चित हो गए हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि जिसकी ज्यादा चर्चा होती है, उसके जीतने के चांस ज्यादा होते हैं। इस लिहाज से गर्मी में कंबल बांटना सियासी दांव भी हो सकता है!
हालांकि, राजनीतिक पंडितों का यह भी मानना है कि यह दांव दोधारी तलवार से कम नहीं है। गर्मी में कंबल बांटना निगेटिव इंपैक्ट डाल सकता है। आरजेडी ने इसे मुद्दा भी बना दिया है। ऐसे में समझदार वोटर उनसे दूर भी जा सकते हैं, और यह दांव घाव साबित हो सकता है।
गर्मी में कंबल बांटने को लेकर मेहता ने सफाई दी है कि कंबल वितरण कार्यक्रम पहले से तय था, लेकिन किसी कारणवश स्थगित हो गया। जब कंबल खरीद लिए गए, तो उन्हें वितरित करने का निर्णय लिया गया।
मेहता ने यह भी कहा कि लाखों लोग ऐसे हैं जो आज भी पेड़ों के नीचे रहकर अपना समय गुजार रहे हैं। ऐसे में अगर उन्हें कंबल दिए गए हैं, तो इस पर हंगामा क्यों हो रहा है?
बेगूसराय के लोग सुरेंद्र मेहता को अच्छा नेता मानते हैं। मध्यम वर्ग से आने वाले मेहता का मंत्री बनने का सफर संघर्षपूर्ण रहा है। ग्रामीण इलाकों में उनकी जड़ें गहरी हैं। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत सीपीआई से की थी, लेकिन 2005 में भाजपा में शामिल होने के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
*बिहार में गर्मी की बढ़ती यातना 🌞 के बीच खेल मंत्री ने कंबल बांटकर मानसिक यातना का विश्व रिकॉर्ड बना दिया!
— Rashtriya Janata Dal (@RJDforIndia) April 8, 2025
अब लगता है केवल मुख्यमंत्री ही नहीं, उनके सारे मंत्री भी नरभसा गए हैं!
खेल मंत्री सुरेंद्र महतों ने बेगूसराय जिले के मंसूरचक प्रखंड के अहियापुर में तामझाम के साथ समारोह… pic.twitter.com/l9PfUcat6H
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