RSS को समझना आसान नहीं, इसके जैसा दुनिया में कोई दूसरा नहीं: PM मोदी
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रसिद्ध अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रीडमैन के साथ एक विस्तृत बातचीत में अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं और विचारों को साझा किया। इस पॉडकास्ट में उन्होंने अपने बचपन, हिमालय में बिताए समय और सार्वजनिक जीवन की यात्रा पर चर्चा की।

मोदी ने कहा कि भारत गौतम बुद्ध और महात्मा गांधी की भूमि है, इसलिए जब भारत शांति की बात करता है, तो दुनिया सुनती है। उन्होंने भारत की संस्कृति, शांति और वैश्विक कूटनीति पर जोर देते हुए कहा कि जब वह विश्व के नेताओं से हाथ मिलाते हैं, तो यह केवल मोदी नहीं, बल्कि 1.4 अरब भारतीय करते हैं। उनकी ताकत उनके नाम में नहीं, बल्कि भारत की कालातीत संस्कृति और विरासत में निहित है।

अपने बचपन की कठिनाइयों को साझा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जिन्होंने अच्छे जूते पहने हैं, उन्हें उनकी कमी महसूस होती है, लेकिन जिन्होंने कभी जूते पहने ही नहीं, उन्हें इसका महत्व पता नहीं होता। यही उनका जीवन था।

पॉडकास्ट में प्रधानमंत्री मोदी ने अपने बचपन, हिमालय की यात्रा, संन्यास के विचार, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और हिंदू राष्ट्रवाद पर अपने विचार साझा किए। इसके अतिरिक्त उन्होंने महात्मा गांधी, भारत-पाकिस्तान संबंधों, यूक्रेन में शांति प्रयासों, चीन और शी जिनपिंग से संबंधों, 2002 के गुजरात दंगों, लोकतंत्र, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), शिक्षा और ध्यान जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर भी अपनी राय व्यक्त की।

तीन घंटे के इस पॉडकास्ट में पीएम मोदी ने कहा कि 140 करोड़ भारतीय उनकी ताकत हैं।

प्रधानमंत्री मोदी ने RSS से अपने जुड़ाव के बारे में बात करते हुए कहा कि वह स्वयं को सौभाग्यशाली मानते हैं कि उन्होंने RSS जैसे प्रतिष्ठित संगठन से जीवन का सार और मूल्य सीखा। उन्हें एक उद्देश्यपूर्ण जीवन मिला।

उन्होंने आगे कहा कि बचपन में RSS की सभाओं में जाना हमेशा अच्छा लगता था। उनके मन में हमेशा एक ही लक्ष्य रहता था, देश के काम आना। यही संघ (RSS) ने उन्हें सिखाया। RSS इस साल 100 साल पूरे कर रहा है। RSS से बड़ा कोई स्वयंसेवी संघ दुनिया में नहीं है।

मोदी ने कहा कि RSS को समझना आसान नहीं है, इसके कामकाज को समझना होगा। यह अपने सदस्यों को जीवन का उद्देश्य देता है। यह सिखाता है कि राष्ट्र ही सब कुछ है और समाज सेवा ही ईश्वर की सेवा है। हमारे वैदिक संतों और स्वामी विवेकानंद ने जो सिखाया है, संघ भी यही सिखाता है।

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