नेहरू ने लगाया था अंबेडकर पर गद्दारी का आरोप!
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नेहरू के 1946 के पत्र में बाबा साहेब को गद्दार बताए जाने का खुलासा, कांग्रेस का ढोंग बेनकाब

पत्र के अंशों को उजागर कर सोशल मीडिया पर उठ रहे हैं सवाल, क्या नेहरू ने अंबेडकर पर ब्रिटिशों से गठजोड़ का आरोप लगाकर गद्दार नहीं कहा?

हाल ही में, कांग्रेस अपनी पूरी कोशिश कर रही है कि वह बाबा साहेब अंबेडकर के प्रति अपने प्रेम को सबके सामने जताए। वह यह दिखावा कर रही है कि उनके अलावा कोई और बाबा साहेब को सम्मान नहीं देता। अमित शाह की एक अधूरी क्लिप साझा कर कांग्रेस अपना प्रचार-प्रसार कर रही थी, लेकिन इसी बीच जवाहरलाल नेहरू का एक पत्र सामने आया है जो बताता है कि कांग्रेस शुरुआत से ही बाबा साहेब के प्रति क्या विचार रखती थी।

यह पत्र जवाहरलाल नेहरू ने 20 जनवरी 1946 को अमृत कौर को लिखा था। इसे nehruselectedworks.com पर पढ़ा जा सकता है, लेकिन अब इसका स्क्रीनशॉट सोशल मीडिया पर भी वायरल हो रहा है। इस पत्र में जवाहरलाल नेहरू ने बाबा साहेब के बारे में बात करते हुए कहा था, ...मुझसे पूछा गया कि आखिर कांग्रेस क्यों अंबेडकर के पास नहीं जाती और उनसे सुलह कर लेती। मैंने उनसे कहा कि कांग्रेस ऐसा कुछ नहीं करने वाली। अंबेडकर ने लगातार कांग्रेस और कांग्रेस नेताओं का अपमान किया है। जब तक वह माफी नहीं मांगते तब तक कांग्रेस का उनसे लेना-देना नहीं है। मैंने निश्चित तौर पर यह नहीं कहा कि अनुसूचित जाति के लोगों को पूना पैक्ट के तहत राजनैतिक लाभ नहीं मिलेंगे। लेकिन मेरा पूरा जोर इस बात पर था कि अंबेडकर ने ब्रिटिश सरकार के साथ गठजोड़ किया था और कांग्रेस के खिलाफ थे। हम उनसे समझौता नहीं कर सकते।

इस पत्र के अंश को उजागर कर अब सोशल मीडिया पर कांग्रेस से सवाल उठाए जा रहे हैं। भाजपा नेता अमित मालवीय ने लिखा, यह सोच से भी परे है कि नेहरू ने अमृत कौर को लिखे पत्र में बाबा साहेब को गद्दार कहा और उन पर ब्रिटिशों से गठजोड़ करने का आरोप लगाया। संविधान के रचयिता बाबा साहेब और दलित समुदाय की इससे बड़ी बेइज्जती नहीं हो सकती।

अमिताभ चौधरी लिखते हैं, 1946 में अमृत कौर को लिखे गए पत्र में नेहरू ने अंबेडकर को गद्दार कहा था और उन पर ब्रिटिशों से गठजोड़ करने का आरोप लगाया था। आज उन्हीं के खून राहुल गांधी और कांग्रेस के लोग वीर सावरकर को भी ब्रिटिश एजेंट बोलते हैं।

इस पत्र के साथ सोशल मीडिया पर लोग यह सवाल भी उठा रहे हैं कि कांग्रेस आज जितना प्यार बाबा साहेब के लिए दिखा रही है, तो उसे यह भी बताना चाहिए कि क्या बाबा साहेब ने नेहरू के रवैये से तंग आकर 1951 में कानून मंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया था? क्या जब बाबा साहेब देश के पहले कानून मंत्री बने थे तो उन्हें रक्षा संबंधी, विदेश संबंधी और वित्त संबंधी हर प्रमुख निर्णय लेने में शामिल करने की बजाय किनारे नहीं किया गया था? क्या नेहरू ने उन पर ब्रिटिशों के साथ गठबंधन करने का आरोप लगाकर गद्दार नहीं कहा था?

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