दिल्ली में आज क्लाउड सीडिंग का सफल ट्रायल किया गया. इसके दो ट्रायल हो चुके हैं, और तीसरा भी आज ही होगा. IIT कानपुर के सेसना एयरक्राफ्ट ने मेरठ से उड़ान भरी.
खेकरा, बुराड़ी, नॉर्थ करोल बाग, मयूर विहार, सड़कपुर और भोजपुर जैसे इलाकों में क्लाउड सीडिंग का परीक्षण हुआ. पायरो तकनीक से 8 क्लाउड सीडिंग फ्लेयर्स छोड़े गए.
IIT कानपुर की टीम का कहना है कि दिल्ली में अगले कुछ घंटों में बारिश हो सकती है. टीम ने इस ट्रायल का वीडियो भी जारी किया है, जिसमें फ्लेयर्स निकलते दिख रहे हैं.
दिल्ली सरकार में मंत्री मनजिंदर सिरसा ने बताया कि 8 फ्लेयर्स इस्तेमाल किए गए. एक फ्लेयर 2.5 किलो की है और करीब ढाई मिनट तक चलती है. इस पूरे प्रोसेस में आधा घंटा लगा.
ट्रायल के बाद बाहरी दिल्ली के इलाकों में हल्की बूंदाबांदी की संभावना है, लेकिन यह बादलों में नमी पर निर्भर करता है. फिलहाल नमी कम है, क्योंकि तापमान सामान्य से 3 डिग्री कम है. हवा का रुख उत्तर की ओर है, इसलिए बादल उसी तरफ बढ़ सकते हैं.
क्लाउड सीडिंग का तीसरा ट्रायल भी आज ही होगा. ट्रायल के कारण 15 मिनट से 4 घंटे के बीच बारिश हो सकती है. सिरसा ने कहा कि अगले कई दिनों तक उड़ानें जारी रहेंगी. इसका उद्देश्य दिल्ली का प्रदूषण कम करना है.
यह क्लाउड सीडिंग भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) और दिल्ली सरकार के पर्यावरण विभाग की मंजूरी के बाद ही की गई है. राजधानी में कृत्रिम बारिश कराने का यह पहला पूर्ण प्रयास है. यह दिवाली के बाद वायु प्रदूषण में वृद्धि और पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने के बीच किया जा रहा है.
मंगलवार की सुबह दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 305 रहा, जो बेहद खराब श्रेणी में है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, शहर के 38 निगरानी केंद्रों में से 27 ने इसी तरह की रीडिंग दर्ज की.
अधिकारियों ने कहा कि क्लाउड सीडिंग परीक्षण एक व्यापक शीतकालीन प्रदूषण नियंत्रण रणनीति का हिस्सा है. दिल्ली मंत्रिमंडल ने इस साल मई में 3.21 करोड़ रुपये की लागत से ऐसे पांच परीक्षणों को मंजूरी दी थी. खराब मौसम के कारण यह अभ्यास कई बार टला.
क्लाउड सीडिंग यानी बादलों से कृत्रिम बारिश कराने की वैज्ञानिक प्रक्रिया. इसमें वैज्ञानिक बादलों में सिल्वर आयोडाइड, सोडियम क्लोराइड या पोटैशियम आयोडाइड जैसे रसायन छोड़ते हैं. ये रसायन जलवाष्प को आकर्षित कर जलकणों में बदलते हैं, जो भारी होकर वर्षा के रूप में गिरते हैं. इसका असर 15 मिनट से 4 घंटे में दिखता है. इसका मुख्य उद्देश्य प्रदूषण कम करना, सूखे इलाकों में वर्षा कराना और कृषि क्षेत्रों को राहत देना है. यह तकनीक शहरी प्रदूषण से जूझते शहरों के लिए एक संभावित समाधान है. 🌥
*आज दिल्ली में Cloud Seeding का दूसरा ट्रायल किया गया। इसके लिए Cessna एयरक्राफ्ट ने Kanpur से उड़ान भरी और खेकरा, बुराड़ी, नार्थ करोल बाग, मयूर विहार, सड़कपुर और भोजपुर से होते हुए मेरठ एयरपोर्ट पर लैंड किया। इस दौरान pyro techniques का उपयोग करते हुए 8 cloud seeding flares… pic.twitter.com/ntL1PbpGj9
— Manjinder Singh Sirsa (@mssirsa) October 28, 2025
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