बिहार चुनाव में राजनीतिक बयानबाजी चरम पर है. सत्तारूढ़ दल जहां अपनी उपलब्धियां गिना रहा है, वहीं विपक्ष सरकार की कमियों को उजागर कर रहा है.
भारत में 4G आने के बाद इंटरनेट पैक सस्ते हुए हैं, जिससे हर वर्ग तक इंटरनेट पहुंचा है. डिजिटल इंडिया लक्ष्य में सस्ते डेटा ने बड़ी भूमिका निभाई है और NDA इसे बिहार चुनाव में भुनाना चाह रहा है.
प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को बिहार चुनाव प्रचार की शुरुआत की. अपने पहले भाषण में उन्होंने सोशल मीडिया रील ट्रेंड पर बात की. उन्होंने इसे सरकार की उपलब्धि बताते हुए कहा कि 1GB डेटा की कीमत एक कप चाय से भी कम है. बिहार के युवा इंटरनेट से कमाई कर रहे हैं और अपनी कला दुनिया को दिखा रहे हैं.
मोदी ने रील ट्रेंड की सराहना की और सस्ते डेटा के लिए अपनी पीठ थपथपाई. लेकिन बिहार कांग्रेस ने इस पर उन्हें घेरा है.
कांग्रेस ने राहुल गांधी के रील को लेकर विचार साझा करते हुए पूछा कि रील मुद्दे पर कौन सही है?
कांग्रेस द्वारा शेयर किए गए एक पुराने वीडियो में राहुल गांधी युवाओं पर टिप्पणी करते हुए कहते हैं कि आज के युवा रोजाना 7-8 घंटे रील देखते हैं. उन्होंने कहा कि अंबानी और अडानी के बेटे वीडियो नहीं देखते, वे पैसे गिनने में व्यस्त रहते हैं.
मोदी के बयान और राहुल गांधी की टिप्पणियों ने ऑनलाइन विशेषाधिकार, अवसर और युवाओं की दिशा पर बहस छेड़ दी है. एक तरफ मोदी रील ट्रेंड और सस्ते डेटा की सराहना कर रहे हैं, वहीं राहुल गांधी इसे युवाओं को बर्बाद करने वाला बता रहे हैं.
जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने मोदी के बयान पर कहा, हमें डेटा नहीं, बेटा चाहिए. आप कारखाने गुजरात ले जाएंगे और डेटा बिहार को देंगे ताकि यहां के लोग अपने बच्चों को वीडियो कॉल पर ही देख सकें.
मोदी का भाषण रील बनाने वालों पर केंद्रित था, जो सोशल मीडिया से अच्छा पैसा कमा रहे हैं. वहीं राहुल गांधी ने रील देखने वालों पर ध्यान खींचा है, जो 6-7 घंटे डूम स्क्रोलिंग में बर्बाद कर रहे हैं, जिससे पढ़ाई और काम पर असर पड़ रहा है. रील देखने वाले, रील बनाने वालों से कई गुना ज्यादा हैं.
डॉक्टर लोगों को फोन पर बिताए जाने वाले घंटे कम करने की सलाह देते हैं, क्योंकि यह मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है.
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के सर्वे के मुताबिक, इंटरनेट की लत से सेल्फ कंट्रोल पावर में कमी आती है. इस रिसर्च में माना गया कि सोशल मीडिया तक युवाओं की पहुंच को सीमित करना होगा. सोशल मीडिया साइटों पर बिताए जाने वाले समय को कम करके नुकसानों को कम किया जा सकता है.
अंतर साफ़ है 👇 pic.twitter.com/3nSAW6nOlf
— Bihar Congress (@INCBihar) October 26, 2025
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