इजरायल और हमास के बीच दो साल से जारी युद्ध में विराम लगने की उम्मीद जगी है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की गाजा शांति योजना पर दोनों पक्षों ने सहमति जताते हुए सीजफायर का ऐलान किया.
सोमवार, 13 अक्टूबर को दोनों ने एक दूसरे देश के कैदियों को रिहा किया. इजरायल 1700 लोगों को रिहा कर रहा है, वहीं हमास ने 20 इजरायली बंधकों को आजाद किया. इजरायल में जश्न का माहौल था, लेकिन हजारों किलोमीटर दूर, नेपाल में एक परिवार दुख में डूबा था.
738 दिन बाद, बिपिन जोशी के परिवार को पता चला कि उनके बेटे के साथ क्या हुआ. 7 अक्टूबर 2023 को हमास आतंकियों ने उन्हें इजरायल से अगवा कर लिया था. बिपिन का शव उन चार बंधकों में शामिल था, जिन्हें हमास ने इजरायल को लौटाया. अन्य मृतकों की पहचान गाय इलूज, योसी शराबी और डैनियल पेरेज के रूप में हुई.
बिपिन जोशी सितंबर 2023 में लर्न एंड अर्न कार्यक्रम के तहत कृषि अध्ययन के लिए इजरायल पहुंचे थे. 23 वर्षीय बिपिन पहली बार अपने देश से बाहर निकले थे और दक्षिण इजरायल के किब्बुट्ज अलूमीम के सिट्रस फार्म में काम कर रहे थे.
7 अक्टूबर 2023 की सुबह, जब बिपिन खेत में काम कर रहे थे, हमास के आतंकियों ने दक्षिण इजरायल पर हमला किया. इस हमले में 10 नेपाली छात्र मारे गए, 5 घायल हुए और एक किसी तरह बच निकला. बिपिन और एक थाई नागरिक को हमास ने बंधक बना लिया.
गवाहों के अनुसार, बिपिन ने दूसरों की रक्षा करने की कोशिश की थी. उन्होंने एक ग्रेनेड हमलावरों की ओर फेंककर साथियों की जान बचाने का प्रयास किया. उनके साहस ने उनके दोस्तों की जान बचाई, लेकिन कुछ देर बाद ही वे हमास के कब्जे में आ गए.
बिपिन के परिवार को उनकी कोई खबर नहीं मिली. उनकी 17 वर्षीय बहन पुष्पा जोशी अक्सर अपने गांव से 8 घंटे बस से सफर कर काठमांडू जाती थीं ताकि सरकारी अधिकारियों से भाई की रिहाई की अपील कर सकें. नेपाल सरकार ने भी इजरायल से संपर्क किया, लेकिन कोई ठोस जवाब नहीं मिला.
नवंबर 2023 में एक उम्मीद की किरण जगी जब गाजा के एक अस्पताल में बिपिन से मिलते-जुलते व्यक्ति का वीडियो सामने आया. उस वीडियो में बिपिन खुद को नेपाल का छात्र बताते हैं. लेकिन वह वीडियो उनकी जीवित स्थिति का सबूत साबित नहीं हुआ.
बिपिन का परिवार अगस्त 2025 में इजरायल गया, जहां उन्होंने राष्ट्रपति इसाक हर्जोग से मुलाकात की. बिपिन की मां ने भावुक होकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की.
सितंबर में परिवार न्यूयॉर्क गया ताकि संयुक्त राष्ट्र महासभा में बिपिन के मामले को उठाया जा सके. लेकिन 13 अक्टूबर 2025 को जब हमास और इजरायल के बीच 20 बंधकों को रिहा करने पर सहमति बनी, परिवार को उम्मीद थी कि बिपिन उनमें होंगे. लेकिन उनका नाम सूची में नहीं था.
बिपिन को जब हमास ने बंधक बनाया था, उसके कुछ दिन बाद, उन्हें शिफा हॉस्पिटल में देखा गया था, जहां हमास के लड़ाके उन्हें घसीटते हुए ले जा रहे थे. यहीं उन्हें आखिरी बार जिंदा देखा गया था. उनके जिंदा होने की उम्मीद थी.
सोमवार शाम को हमास ने 20 जीवित बंधकों के साथ चार शव भी लौटाए जिनमें बिपिन जोशी भी शामिल थे. इजरायली सेना ने औपचारिक रूप से नेपाली दूतावास को सूचना दी कि बिपिन अब जीवित नहीं हैं.
26 अक्टूबर को जन्मे बिपिन इस साल 25 वर्ष के हो जाते, लेकिन एक युवा छात्र जो अपने सपनों को पूरा करने नेपाल से इजरायल गया, वहीं अपनी जान गंवा बैठा.
Bipin Joshi, a 23-year-old student from Nepal, went to Israel to study agriculture just 25 days before the attack.
— IndiaWarMonitor (@IndiaWarMonitor) October 14, 2025
He was kidnapped, kept as a hostage, and killed.
He tried to save others by stopping a grenade - a true hero till the end.
May his soul rest in peace. 🕊️ pic.twitter.com/377iZFuDPX
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