प्रशांत किशोर की जन सुराज ने सोमवार को अपने उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी की, जिसमें 65 नाम शामिल हैं। यह लिस्ट कई मायनों में महत्वपूर्ण है।
जन सुराज ने सामान्य वर्ग की 46 सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा की है। इसके अतिरिक्त, अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 18 और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 1 सीट पर भी उम्मीदवारों के नाम घोषित किए गए हैं। लिस्ट में सामान्य वर्ग के 11 उम्मीदवार हैं।
इस लिस्ट की खास बात यह है कि जन सुराज ने छह लोगों को टिकट दिए हैं जिनके नाम में पासवान टाइटल है। यह केंद्रीय मंत्री की लोजपा (रामविलास) के लिए खतरे की घंटी हो सकती है। लोजपा (रामविलास) एनडीए का हिस्सा है।
रविवार को एनडीए ने सीट बंटवारे की घोषणा की, जिसमें चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास) को 29 सीटें मिलीं। नाराज़गी की खबरों के बावजूद, भाजपा नेताओं ने पासवान को मनाया, जो एनडीए के लिए उनकी अहमियत दर्शाता है। एनडीए बिहार में एक-एक सीट के लिए सावधानी बरत रहा है।
चिराग पासवान दुसाध जाति से आते हैं, जो यादवों के बाद बिहार की दूसरी सबसे बड़ी जाति है। बिहार जातीय सर्वेक्षण के अनुसार, राज्य में दुसाधों की आबादी 5.31% है, और चिराग पासवान को उनका सबसे बड़ा नेता माना जाता है।
2020 में, लोजपा ने 135 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ा और 5.8% वोट हासिल किए, लेकिन केवल एक सीट जीती। बाद में पार्टी दो हिस्सों में बंट गई: चिराग की लोजपा (रामविलास) और उनके चाचा पशुपति पारस की राष्ट्रीय लोजपा।
पारिवारिक कलह के बाद, चिराग पासवान के लिए वापसी मुश्किल मानी जा रही थी। हालांकि, लोकसभा चुनाव में उनका स्ट्राइक रेट 100% रहा, और उन्हें मिली सभी पांच सीटों पर जीत मिली। जन सुराज की दूसरी लिस्ट से पता चलता है कि यह नई पार्टी भी चिराग के वोट बैंक में सेंध लगाने की तैयारी में है।
जन सुराज ने कुशेश्वर स्थान से शत्रुध्न पासवान, रोसड़ा से रोहित पासवान, बखरी से डॉक्टर संजय कुमार पासवान, हरनौत से कमलेश पासवान, राजपुर से धनंजय पासवान और कुटुंबा से महाबली पासवान को मैदान में उतारा है। यह स्पष्ट नहीं है कि जन सुराज ने बिना पासवान टाइटल वाले दुसाध उम्मीदवारों को भी टिकट दिया है या नहीं।
विश्लेषकों का मानना है कि पासवान समाज भी चिराग से पूरी तरह खुश नहीं है और विकल्प के अभाव में लोजपा को वोट देता है। उनका तर्क है कि लोजपा ने पासवान समाज के लिए कुछ खास नहीं किया है। लोकसभा चुनाव में, लोजपा(रामविलास) ने जिन पांच सीटों पर जीत हासिल की, उनमें से केवल दो पर ही दुसाध उम्मीदवार थे: चिराग और उनके बहनोई अरुण कुमार।
अगर जन सुराज इस असंतोष का फायदा उठा पाती है, तो चिराग पासवान को नुकसान हो सकता है।
जन सुराज ने अपनी लिस्ट में कई प्रयोग किए हैं, खासकर सामान्य सीटों पर दलित उम्मीदवारों को उतार कर। हरनौत विधानसभा सीट पर, जहां से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 1995 में समता पार्टी से चुनाव जीता था, जन सुराज ने कमलेश पासवान को उम्मीदवार बनाया है।
इसी तरह, औरंगाबाद की कुटुंबा सीट पर जन सुराज ने महाबली पासवान को मैदान में उतारा है, जिससे मुकाबला दिलचस्प हो गया है। कुटुंबा से कांग्रेस के राजेश राम 2020 में विधायक चुने गए थे और वर्तमान में बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष हैं। कुटुंबा में जन सुराज ने पासवान और चमार जातियों के बीच लड़ाई की कोशिश की है। बिहार में रविदास (चमार) की आबादी करीब दुसाध के बराबर है। कांग्रेस, राजेश राम को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर रविदास नेतृत्व खड़ा करने की कोशिश कर रही है, लेकिन जन सुराज ने कुटुंबा में पासवान उम्मीदवार उतारकर कांग्रेस की राह मुश्किल कर दी है।
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए जन सुराज पार्टी के उम्मीदवारों की दूसरी सूची!! pic.twitter.com/SuyRGATirS
— Jan Suraaj (@jansuraajonline) October 13, 2025
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