अफगानिस्तान ने ठोका, सऊदी ने दिया धोखा ! नाटो जैसी डील का क्या हुआ?
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अफगानिस्तान से करारी हार के बाद पाकिस्तान को सऊदी अरब से भी झटका लगा है। जिस नाटो जैसी डील का वादा किया गया था, वह हवा-हवाई साबित हुआ।

17 सितंबर, 2025 को शहबाज शरीफ ने सऊदी अरब के साथ एक डील साइन की थी, जिसके बाद उन्हें लगा कि वे मुस्लिम देशों के बादशाह बन गए हैं। पाक फौज के मार्शल आसिम मुनीर को लगा कि पाकिस्तान पर पत्थर भी फेंका गया तो खाड़ी देश मदद के लिए दौड़ पड़ेंगे।

लेकिन 24 दिन के अंदर ही सऊदी अरब ने पाकिस्तान को करारा तमाचा मारा। अफगानिस्तान में आसिम मुनीर की फौज को बुरी तरह पीटा गया। बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी के लड़ाकों ने भी पाकिस्‍तानी सैनिकों पर जमकर हमला किया और उनकी चौकियां तबाह कर दीं।

इस घटना के बाद सऊदी अरब की ओर से कोई बयान नहीं आया। पाकिस्तानी टीवी चैनल्स और सोशल मीडिया पर मातम छा गया। पाकिस्तानी नागरिक और विशेषज्ञ कह रहे हैं कि सऊदी अरब भी सोच रहा होगा कि ये पाकिस्तानी हर दो दिन में किसी न किसी से जंग लड़ रहे होते हैं।

पाकिस्तान की नौटंकी वाली फितरत से दुनिया वाकिफ है, इसलिए सऊदी अरब जैसे देश उस पर कैसे यकीन कर सकते थे? पाकिस्तान की आतंकी सोच को अफगानिस्तान ने मुंहतोड़ जवाब दिया और सऊदी ने उसे उसकी औकात दिखा दी।

सऊदी अरब ने पाकिस्तान की पिटाई के बाद तनाव कम करने की सलाह दी। रियाद ने दोनों देशों से संयम बरतने और बातचीत को प्राथमिकता देने की बात कही। उसने अफगानिस्तान में सीधे सैन्य हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और पाकिस्तान के हक में कोई बयान नहीं दिया।

पाकिस्तान को लगा था कि सऊदी अरब के साथ एग्रीमेंट साइन करने के बाद पूरा मुस्लिम समुदाय शहबाज और मुनीर की सरपरस्ती में दुनिया को हिला देगा। शहबाज ने दावा किया था कि पाकिस्तान पर हमला सऊदी पर हमला माना जाएगा, पाकिस्तान जंग में उतरेगा तो सऊदी भी बम दागेगा, पाकिस्तान और सऊदी दो जिस्म और एक जान हो गए हैं।

पाकिस्तानी यह भी सोच रहे थे कि सऊदी अरब का मतलब अमेरिका है और अमेरिका का मतलब इजराइल, यानी पाकिस्तान एक महाशक्ति बन चुका है। लेकिन अफगानिस्तान ने पाकिस्तानियों की पतलूनें उतार दीं और सऊदी ने भी कह दिया, ‘भाई जान, अपना-अपना देख लो।’

मुस्लिम समुदाय के नाम पर दुनिया को अपनी ताकत दिखाने वाले इस्लामी नाटो जैसे सैन्य संगठन की परिकल्पना करने वाले पाकिस्तान का सपना टूट गया है। और इसके लिए शहबाज और मुनीर जैसे नेता ही जिम्मेदार हैं, जिन्हें सिवाय जंग के और कुछ नहीं सूझता।

17 सितंबर को पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच हुए समझौते में कहा गया था कि एक मुल्क पर हमला दूसरे मुल्क पर हमला माना जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। दुनिया पाकिस्तान के हुक्मरानों और फौज को समझा रही है कि वे अपनी जनता पर ध्यान दें और कर्ज चुकाएं। लेकिन पाकिस्तान को मुफ्त की मलाई खाने की आदत लग गई है। अब अफगानिस्तान जैसा देश भी पाकिस्तान को सबक सिखा रहा है और सऊदी जैसे मुस्लिम देश उसे उसकी औकात याद दिला रहे हैं।

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