दल-बदल से हिली बिहार की सियासत: भूमिहार नेताओं के रुख से NDA परेशान, RJD को राहत?
News Image

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए NDA ने सीट शेयरिंग का ऐलान कर दिया है. अब महागठबंधन का इंतजार है, जिसके सोमवार को घोषित होने की उम्मीद है. घोषणा के बाद चुनाव की तस्वीर काफी हद तक साफ हो जाएगी.

लेकिन सियासी समीकरणों के बीच भूमिहार नेताओं का लगातार दल बदलना सुर्खियों में है. जहानाबाद से मोकामा और लखीसराय तक हवा का रुख बदल रहा है. मगध, शाहाबाद और पटना प्रमंडल में भूमिहार समाज हमेशा निर्णायक भूमिका निभाता रहा है. यह वर्ग मतदान में अनुशासित और राजनीतिक रूप से प्रभावशाली माना जाता है. इसलिए नेताओं का पाला बदलना केवल चेहरों की अदला-बदली नहीं, बल्कि वोट समीकरणों को भी हिला सकता है.

हाल के बड़े बदलावों में पूर्व सांसद जगदीश शर्मा के बेटे और पूर्व विधायक राहुल शर्मा ने जेडीयू छोड़कर राजद का दामन थामा. इसे मगध की राजनीति में बड़ा उलटफेर माना जा रहा है. तेजस्वी यादव इसके जरिए मगध में, और भूमिहार बहुल कई सीटों पर असर डाल सकते हैं. जगदीश शर्मा का भूमिहार समाज पर मजबूत पकड़ है, जिससे RJD को मगध में बड़ा लाभ मिल सकता है, जो नीतीश कुमार के लिए झटका है.

इसके तुरंत बाद जहानाबाद के पूर्व सांसद अरुण कुमार अपने बेटे के साथ जेडीयू में शामिल हो गए. उनकी ज्वाइनिंग पहले टल गई थी, लेकिन राहुल शर्मा के राजद में शामिल होने के बाद उन्हें ग्रीन सिग्नल मिला.

इसी क्रम में, खगड़िया के परबत्ता से विधायक डॉ. संजीव कुमार ने भी JDU छोड़कर राजद का दामन थाम लिया. वहीं, बोगो सिंह, जो कभी JDU के मज़बूत भूमिहार चेहरे थे, अब लालू परिवार के साथ हैं. चर्चा है कि सूरजभान सिंह भी पशुपति पारस का साथ छोड़ सकते हैं. उनकी पत्नी वीणा सिंह मोकामा से राजद की संभावित उम्मीदवार हो सकती हैं, जबकि उनके भाई चंदन सिंह लखीसराय से उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा के खिलाफ मैदान में उतर सकते हैं.

NDA के लिए नुकसान कैसे?

  1. भूमिहार वोट बैंक में सेंध: NDA (खासकर BJP और JDU) लंबे समय से भूमिहार समाज पर निर्भर रही है. नेताओं के पलायन से यह वोट बैंक बिखर सकता है.
  2. स्थानीय असर: बोगो सिंह और डॉ. संजीव जैसे नेताओं की अपने इलाक़े में संगठन और नेटवर्क पर गहरी पकड़ है. उनके जाने से NDA के ग्राउंड स्ट्रक्चर पर असर पड़ेगा.
  3. संदेश का प्रभाव: चुनावी माहौल में जब नेता दल बदलते हैं, तो यह संदेश जाता है कि गठबंधन के भीतर असंतोष है, जो मतदाताओं पर मनोवैज्ञानिक असर डालता है और विपक्ष के पक्ष में माहौल बनाता है.

महागठबंधन के लिए फायदा क्या?

  1. सोशल इंजीनियरिंग को मजबूती: RJD पहले से ही यादव और कुशवाहा वोट बैंक पर मजबूत पकड़ रखती है. अब भूमिहार चेहरे जुड़ने से पार्टी की सोशल इंजीनियरिंग रणनीति और संतुलित हो सकती है.
  2. सर्वसमाज की छवि: भूमिहार जैसे पारंपरिक गैर-RJD समुदाय का पार्टी में आना यह संदेश देता है कि राजद अब सर्वसमाज की पार्टी बनना चाहती है.
  3. प्रतीकात्मक और क्षेत्रीय असर: सूरजभान सिंह, अरुण कुमार और राहुल शर्मा जैसे नाम केवल सीटों तक सीमित नहीं हैं. इनका जातीय और क्षेत्रीय प्रभाव कई विधानसभा क्षेत्रों में निर्णायक असर डाल सकता है.

कुल मिलाकर, भूमिहार नेताओं का NDA से महागठबंधन की ओर जाना NDA के लिए चेतावनी, और RJD के लिए अवसर दोनों है. अगर यह रुझान आगे भी जारी रहता है, तो यह बिहार की पारंपरिक राजनीतिक रेखाओं को बदल सकता है. 2025 का चुनाव न केवल गठबंधनों की लड़ाई होगी, बल्कि सामाजिक समीकरणों की पुनर्रचना की जंग भी होगी.

*

कुछ अन्य वेब स्टोरीज

Story 1

BSF एयर विंग में इतिहास: भावना चौधरी बनी पहली महिला फ्लाइट इंजीनियर!

Story 1

अफगानिस्तान के हवाई हमले में 12 पाकिस्तानी सैनिक ढेर, सीमा पर कई चौकियां भी कब्जायीं

Story 1

बिहार चुनाव में NDA की जीत पर मुख्यमंत्री साय का भरोसा

Story 1

जेमिमा का अद्भुत कैच: हवा में छलांग लगाकर पलटा मैच का रुख!

Story 1

सुन्नी मुसलमानों के बीच खूनी संघर्ष, पाकिस्तान का दावा - 200 तालिबानी लड़ाके ढेर

Story 1

केबीसी 17 के मंच पर बच्चे की बदतमीजी, अमिताभ बच्चन भी हुए हैरान!

Story 1

दिल्ली टेस्ट में भारत का दबदबा, वेस्टइंडीज फॉलोऑन खेलने पर मजबूर

Story 1

क्या दो सीटों पर चुनाव लड़ेंगे तेजस्वी? राघोपुर से क्यों डर रही राजद?

Story 1

रोंगटे खड़े कर देने वाला एडवेंचर: मगरमच्छों के ऊपर पैराग्लाइडिंग, वीडियो देख थम जाएंगी सांसें!

Story 1

अविश्वसनीय! नामीबिया ने दक्षिण अफ्रीका को धूल चटाई, अंतिम गेंद पर ऐतिहासिक जीत!