शांति नहीं तो और भी रास्ते! तालिबान मंत्री की पाकिस्तान को सीधी धमकी
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अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी भारत दौरे पर हैं और इस दौरे को लेकर विवाद गहराता जा रहा है. महिलाओं की अनुपस्थिति वाली प्रेस कॉन्फ्रेंस को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है. मुत्तकी ने सफाई दी है कि पत्रकारों की संख्या सीमित होने के कारण ऐसा हुआ, किसी पर रोक नहीं लगाई गई थी.

मुत्तकी ने स्पष्ट किया कि अफगानिस्तान में महिलाएं शिक्षा प्राप्त कर रही हैं और वे शिक्षा के विरोधी नहीं हैं.

पाकिस्तान के साथ जारी तनाव पर उन्होंने कहा कि अफगान आवाम की पाकिस्तानी आवाम से कोई दुश्मनी नहीं है, लेकिन पाकिस्तान में कुछ ऐसे तत्व हैं जो समस्या पैदा कर रहे हैं.

उन्होंने बताया कि पाकिस्तान की ओर से हमले होते हैं, जिसके खिलाफ अफगान सरकार ने ऑपरेशन शुरू किया था, लेकिन कतर और सऊदी अरब की मध्यस्थता के बाद इसे रोक दिया गया.

मुत्तकी ने कहा, पाकिस्तान के ज्यादातर लोग शांतिप्रिय हैं और अफगानिस्तान के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं. पाकिस्तानी नागरिकों से हमें कोई समस्या नहीं है. लेकिन पाकिस्तान में कुछ तत्व तनाव पैदा कर रहे हैं.

उन्होंने आगे कहा, अफगानिस्तान अपनी सीमाओं और अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करेगा और इसीलिए उसने पाकिस्तान की कार्रवाई का तुरंत जवाब दिया. हमने रात अपने सैन्य लक्ष्य हासिल कर लिए थे, और हमारे मित्र कतर और सऊदी अरब ने भी कहा है कि यह संघर्ष समाप्त होना चाहिए, इसलिए हमने इसे अपनी ओर से फिलहाल रोक दिया है. स्थिति अब नियंत्रण में है.

मुत्तकी ने चेतावनी देते हुए कहा कि जब कोई हमारे आंतरिक मामलों में दखल देने की कोशिश करेगा, तो सभी नागरिक, सरकार के प्रमुख, उलेमा और धार्मिक नेता देश के हित में लड़ने के लिए एकजुट हो जाएंगे.

उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान 40 वर्षों से संघर्ष में है और अब आज़ाद होकर शांति के लिए काम कर रहा है. अगर पाकिस्तान अच्छे संबंध और शांति नहीं चाहता है तो अफगानिस्तान के पास दूसरे विकल्प भी हैं.

अपने देश में महिलाओं की शिक्षा पर प्रतिबंध के मुद्दे पर मुत्तकी ने कहा कि अफगानिस्तान के उलेमा मदारिस और देवबंद के साथ संबंध रखते हैं. वर्तमान में, स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों में 1 करोड़ छात्राएं पढ़ रही हैं, जिनमें से 28 लाख महिलाएं और लड़कियां हैं. धार्मिक मदरसों में स्नातक स्तर तक शिक्षा उपलब्ध है. कुछ जगहों पर सीमाएं हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे शिक्षा का विरोध करते हैं. उन्होंने कहा कि इसे धार्मिक रूप से हराम घोषित नहीं किया गया है, बल्कि कुछ समय के लिए स्थगित किया गया है.

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