शॉर्ट्स पहन मंदिर में घुसने पर बवाल, महिला और पंडित के बीच तीखी बहस
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एक महिला के शॉर्ट्स पहनकर मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश करने पर विवाद खड़ा हो गया। मंदिर के पंडित द्वारा टोके जाने पर महिला उनसे भिड़ गई और जमकर हंगामा किया। यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिसने परंपरा, आस्था और आधुनिक सोच के बीच चल रही बहस को फिर से उकसा दिया है।

वायरल वीडियो में, महिला अपने साथी के साथ मंदिर पहुंची थी और शॉर्ट्स पहने हुए थी। जैसे ही उसने मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश की, एक सुरक्षा गार्ड ने उसे रोक दिया और बताया कि मंदिर में प्रवेश के लिए नियमों का पालन करना ज़रूरी है। वहां मौजूद पुजारियों ने भी गार्ड का समर्थन किया और मंदिर की गरिमा बनाए रखने के लिए ड्रेस कोड का पालन करने की आवश्यकता बताई।

महिला इस बात पर भड़क उठी और उसने गार्ड और पुजारियों से बहस करना शुरू कर दिया। उसने तर्क दिया कि कपड़ों को लेकर कोई नियम भगवान ने नहीं बनाए हैं, बल्कि ये नियम पुरुषों ने बनाए हैं। उसने सवाल उठाया कि अगर वह मंदिर में प्रवेश करना चाहती है तो उसे क्यों रोका जा रहा है। उसने यह भी कहा कि वह ऐसे किसी नियम का पालन नहीं करती और अपनी मर्ज़ी से मंदिर में प्रवेश करेगी।

मंदिर परिसर में काफी देर तक बहस चलती रही। महिला लगातार कहती रही कि मंदिर में प्रवेश का अधिकार सभी को है और किसी के भी कपड़ों पर प्रतिबंध लगाना अनुचित है। पुजारी और पहरेदार यह कहते रहे कि ये नियम मंदिर की गरिमा बनाए रखने के लिए बनाए गए हैं और हर श्रद्धालु को इनका पालन करना चाहिए।

अंततः, बहस इतनी बढ़ गई कि महिला और उसका साथी बिना दर्शन किए ही मंदिर से चले गए। जाने से पहले महिला ने पूरी घटना का वीडियो बना लिया, जो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।

यह वीडियो सोशल मीडिया पर दो गुटों में बंट गया है। एक गुट का मानना है कि मंदिर में प्रवेश के लिए कपड़े कोई मानदंड नहीं होने चाहिए और भगवान सबके हैं, इसलिए सभी को अपनी इच्छानुसार मंदिर जाने का अधिकार होना चाहिए। उनका तर्क है कि आस्था कपड़ों से बड़ी होती है।

वहीं, दूसरा समूह महिला के कृत्य की निंदा करता है। उनका कहना है कि मंदिर एक पवित्र स्थान है और वहाँ जाने के लिए अनुशासन और शिष्टाचार ज़रूरी है। उनका मानना है कि मंदिरों में एक ड्रेस कोड होना चाहिए ताकि श्रद्धालुओं की भीड़ में भी सम्मानजनक माहौल बना रहे।

वीडियो पर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं। कुछ लोग महिला के अधिकार का समर्थन कर रहे हैं, जबकि कुछ मंदिर की गरिमा बनाए रखने की आवश्यकता पर ज़ोर दे रहे हैं। सोशल मीडिया पर कई लोग यह भी सुझाव दे रहे हैं कि आगे के विवाद से बचने के लिए मंदिर में पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए एक स्पष्ट ड्रेस कोड स्थापित किया जाना चाहिए।

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