40 साल पहले लिखी किताब, अब मिला सम्मान: कौन हैं लास्जलो?
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स्वीडिश एकेडमी ने हंगरी के लास्जलो क्रास्जनाहोरकाई को साहित्य का नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की है। यह पुरस्कार उन लेखकों को दिया जाता है जिन्होंने साहित्य में विशेष योगदान दिया हो।

1954 में जन्मे लास्जलो क्रास्जनाहोरकाई को उनकी प्रभावशाली और दूरदर्शी रचनाओं के लिए सम्मानित किया गया है। एकेडमी का कहना है कि उनकी रचनाएं दुनिया में तबाही और डर के बीच भी कला की ताकत को दिखाती हैं। लास्जलो मध्य यूरोपीय परंपरा के एक महाकाव्य लेखक हैं।

उनका पहला उपन्यास सैटानटैंगो 1985 में प्रकाशित हुआ था। यह उपन्यास हंगरी के ग्रामीण इलाके में साम्यवाद के पतन से पहले की कहानी कहता है, जहां बेसहारा लोग एक बंजर खेत पर रहते हैं।

कमिटी ने बताया कि लास्जलो की किताबों में दर्शन, मानवता, अराजकता और आधुनिक समाज के संकटों का बेबाकी से जिक्र होता है। वे उदास कहानियां लिखने के लिए जाने जाते हैं।

उनकी किताबों सैटानटैंगो और द मेलांकली ऑफ रेसिस्टेंस पर फिल्में भी बन चुकी हैं। द मेलांकली ऑफ रेसिस्टेंस एक छोटे से गांव और उसके लोगों की मुश्किल जिंदगी की कहानी है, जो मानव स्वभाव के दोषों और गुणों को दिखाती है। सैटानटैंगो पर 7 घंटे लंबी फिल्म भी बनी थी, जिसकी खूब तारीफ हुई।

विजेता को 11 मिलियन स्वीडिश क्रोना (10.3 करोड़ रुपए), सोने का मेडल और सर्टिफिकेट मिलेगा। पुरस्कार 10 दिसंबर को स्टॉकहोम में दिए जाएंगे। नोबेल एकेडमी ने अब तक फिजिक्स, केमिस्ट्री, मेडिसिन और साहित्य के पुरस्कारों की घोषणा कर दी है।

कमिटी शुक्रवार को शांति के नोबेल पुरस्कार विजेता के नाम की घोषणा करेगी। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भी इस पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया है।

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