मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई पर एक वकील द्वारा जूता फेंकने की घटना पर आखिरकार उनकी प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने कहा कि इस घटना से उन्हें आश्चर्य हुआ था, लेकिन अब यह एक भूला हुआ अध्याय है।
यह टिप्पणी मुख्य न्यायाधीश गवई, न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने एक मामले की सुनवाई के दौरान की। मुख्य न्यायाधीश ने कहा, सोमवार को जो हुआ, उससे मैं और मेरे विद्वान भाई (न्यायमूर्ति चंद्रन) बहुत स्तब्ध थे। हमारे लिए यह एक भुला दिया गया अध्याय है।
इस घटना के बाद, बार काउंसिल ने वकील राकेश किशोर को पूरे देश में वकालत करने से तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। इसके अतिरिक्त, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन ने भी उनकी सदस्यता रद्द कर दी, जिससे वे सुप्रीम कोर्ट परिसर में प्रवेश नहीं कर सकते।
इस घटना पर राजनीतिक नेताओं, पूर्व जजों और हस्तियों की तीखी प्रतिक्रियाएं आईं। अधिकांश ने हमले की निंदा की, लेकिन कुछ विपक्षी नेताओं ने इसे दलित विरोधी, हिंदुत्व साजिश या धार्मिक पूर्वाग्रह से जोड़ा।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस घटना की निंदा करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश का अपमान संविधान का अपमान है। उन्होंने मनुस्मृति का उल्लेख करते हुए कहा कि जो लोग लोगों के बुनियादी अधिकारों को छीनने की बात करते हैं, उन्हें सजा मिलनी चाहिए।
तृणमूल कांग्रेस के नेता निलंजन दास ने भी इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा वही पार्टी है जो गोडसे को माला पहनाती है और गांधी जी के सामने दीये जलाती है।
असदुद्दीन ओवैसी ने भी पीएम मोदी और भाजपा पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि अगर हमलावर का नाम राकेश किशोर की बजाय असद होता तो उसे कभी जमानत नहीं मिलती और सख्त कार्रवाई होती। उन्होंने दिल्ली पुलिस पर आरोपी पर केस दर्ज न करने का आरोप लगाया और इसे धार्मिक भेदभाव बताया। उन्होंने इस घटना को प्रशांत भूषण के मामले से भी जोड़ा और कहा कि न्यायपालिका और सरकार का रवैया चुनिंदा है।
सुप्रीम कोर्ट के कि उच्च न्यायाधीश का जो अपमान किया गया, हम उसकी घोर निंदा करते हैं और ऐसी विचारधारा अगर सुप्रीम कोर्ट के lawyers के पास होती है, तो वो संविधान का अपमान है।
— Mallikarjun Kharge (@kharge) October 8, 2025
जो विचारधारा इंसान को इंसान ना माने, वो मानसिकता संविधान के अनुसार नहीं है।
मनुस्मृति के नाम पर जो… pic.twitter.com/AcxUlPPbbD
जूताकांड: वकील राकेश किशोर की SC बार एसोसिएशन सदस्यता रद्द, अब नहीं कर पाएंगे वकालत
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