बिहार के खगड़िया जिले के शहरबन्नी गांव में 5 जुलाई 1946 को जामुन पासवान और सिया देवी के घर रामविलास पासवान का जन्म हुआ था. गांव के रणधीर पासवान बताते हैं कि उस समय गांव की हालत खराब थी और लोगों ने कभी नहीं सोचा था कि ये लड़का बिहार की राजनीति का दिग्गज बनेगा. उस समय शहरबन्नी गांव के लोग चार महीने तक बाढ़ में कैद रहते थे, सड़क एक भी नहीं थी और खगड़िया जाना पटना-दिल्ली जाने जैसा था. नाव ही एकमात्र सहारा थी.
1968 में, लगभग 22 वर्ष की उम्र में, रामविलास पासवान को पुलिस उपाधीक्षक (DSP) की नौकरी का प्रस्ताव मिला. रणधीर पासवान कहते हैं कि कोई साधारण व्यक्ति होता तो नौकरी करता, लेकिन रामविलास पासवान ने ऐसा नहीं किया.
सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास करने के बाद जब रामविलास पासवान अपने गांव खगड़िया के शहरबन्नी पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि कुछ लोग एक दलित की पिटाई कर रहे हैं क्योंकि दलित परिवार 150 रुपये नहीं लौटा पाया था. उन्होंने उस दलित परिवार को बचाया और उनके कागजात फाड़ दिए. इस घटना से पासवान लोगों में लोकप्रिय हो गए और लोग उन्हें विधायक बनाना चाहते थे. फिर उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़कर राजनीति का रास्ता चुना.
रामविलास पासवान ने 1969 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर खगड़िया की अलौली विधानसभा सीट पर उपचुनाव जीतकर अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की. उन्होंने कांग्रेस के एक कद्दावर नेता को 700 वोटों से हराया. उस वक्त उनकी उम्र 23 साल ही थी. 1983 में उन्होंने दलित सेना गठित की, जिसका उद्देश्य वंचित-उत्पीड़ित जातियों के कल्याण के लिए काम करना था.
रामविलास पासवान को सियासी मौसम वैज्ञानिक कहा जाता था क्योंकि वे हवा का रुख भांपकर अपनी सियासी नैया की पाल को उसी दिशा में मोड़ने का हुनर रखते थे. इसी कौशल के चलते वे विभिन्न राजनीतिक पृष्ठभूमियों वाले 6 प्रधानमंत्रियों की कैबिनेट में मंत्री रहे. ये उपाधि उन्हें लालू प्रसाद यादव ने दी थी.
केंद्रीय मंत्री बनने पर राम विलास पासवान ने 162 करोड़ की लागत से कुशेश्वरस्थान-खगड़िया रेल परियोजना को स्वीकृति दी. इस परियोजना की लंबाई 44 किलोमीटर है. अलौली से खगड़िया के बीच ट्रेन परिचालन शुरू हो गया है, जो उनके पैतृक गांव शहर बन्नी को दरभंगा जिले के कुशेश्वरस्थान से जोड़ती है. उन्होंने हाजीपुर से समस्तीपुर वाया महुआ और भगवानपुर नई रेल लाइन के निर्माण के लिए रेल बजट में सर्वे का प्रावधान किया.
*पापा हमेशा कहा करते थे —
— युवा बिहारी चिराग पासवान (@iChiragPaswan) October 8, 2025
जुर्म करो मत, जुर्म सहो मत।
जीना है तो मरना सीखो,
कदम-कदम पर लड़ना सीखो। #ramvilaspaswan pic.twitter.com/9kcc2VswAo
अखिलेश यादव ने आजम खान का हाथ पकड़कर घर में प्रवेश किया, समर्थकों ने कहा - यह दिल का रिश्ता है जो टूटने वाला नहीं
दिल्ली में झमाझम बारिश से मौसम हुआ सुहावना, आईएमडी का अलर्ट जारी
बेंगलुरु सड़कों पर कीलों का जाल! वायरल वीडियो से खुला बड़ा स्कैम
दिल्ली में भारी बारिश से सड़कों पर हाहाकार, जाम से लोग बेहाल
कभी किया था रिजेक्ट, अब गूगल इंडिया ने बनाया स्टार्टअप हेड: रागिनी दास की प्रेरणादायक कहानी
सांड़ों ने लेम्बोर्गिनी को किया तहस-नहस! AI निर्मित वीडियो ने मचाया इंटरनेट पर धमाल
पृथ्वी शॉ का मैदान पर बवाल: सरफराज के भाई मुशीर खान को बल्ला मारने दौड़े!
कराची शादी में एशिया कप ट्रॉफी विवाद: मोहसिन नकवी की बेशर्मी भरी हंसी!
दिल्ली-NCR लबालब! करवा चौथ पर चांद दिखेगा या नहीं?
मैथिली ठाकुर के चुनाव लड़ने की चर्चा पर पिता का बड़ा बयान, लालू यादव के शासन पर उठाए सवाल