लद्दाख के पर्यावरण कार्यकर्ता और शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद उनकी पत्नी गीतांजलि आंग्मो ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक भावुक पत्र लिखा है.
उन्होंने राष्ट्रपति से उनकी आदिवासी पृष्ठभूमि का हवाला देते हुए लद्दाख के लोगों की भावनाओं को समझने की अपील की है.
गीतांजलि आंग्मो ने यह पत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को भी भेजा है. इसमें उन्होंने अपने पति की बिना शर्त रिहाई की मांग की है.
सोनम वांगचुक को शांतिपूर्ण गांधीवादी आंदोलनकारी बताते हुए आंग्मो ने कहा कि वे केवल जलवायु परिवर्तन, शिक्षा सुधार और लद्दाख जैसे पिछड़े जनजातीय क्षेत्र के उत्थान के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
सोनम वांगचुक को पिछले सप्ताह लेह में प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार किया गया था. प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि लद्दाख को छठी अनुसूची का दर्जा और राज्य का दर्जा मिले. सरकार ने उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) लगाया और उन्हें जोधपुर की केंद्रीय जेल भेज दिया.
वांगचुक की पत्नी ने अपने पति के खिलाफ हुई कार्रवाई को विच हंट (राजनीतिक प्रताड़ना) बताया. उन्होंने कहा कि 26 सितंबर को पुलिस अधिकारी ने उन्हें सूचित किया था कि उनके पति को NSA के तहत हिरासत में लिया गया है, लेकिन अब तक उन्हें उनसे बात करने का मौका नहीं दिया गया.
आंग्मो ने कहा कि पुलिस अधिकारी ने आश्वासन दिया था कि जोधपुर पहुंचने पर वे उन्हें सोनम वांगचुक से फोन पर बात कराएंगे, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हुआ. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें उनके कानूनी अधिकारों की जानकारी भी नहीं दी गई.
गीतांजलि ने यह भी दावा किया कि उन्हें उनके गांव फियांग में CRPF की निगरानी में रखा गया है. उनका संस्थान हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स लद्दाख (HIAL) भी सुरक्षा एजेंसियों के निशाने पर है. उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले तीन दिनों में उनके दो सहयोगियों को बिना कानूनी प्रक्रिया के हिरासत में लिया गया.
पत्र में आंग्मो ने लिखा कि सोनम वांगचुक को गिरफ्तारी के समय अपने कपड़े और दवाइयां भी नहीं लेने दी गईं. जबकि सितंबर में 15 दिन का उपवास करने के बाद उनकी तबीयत कमजोर है और उन्हें दवाइयों व बुनियादी सुविधाओं की आवश्यकता है.
गीतांजलि ने पत्र में सवाल उठाया कि क्या जलवायु परिवर्तन, पिघलते ग्लेशियरों, शिक्षा सुधार और जनजातीय क्षेत्र के उत्थान की बात करना अपराध है? क्या यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है? उन्होंने कहा कि उनके पति हमेशा गांधीवादी तरीके से आंदोलन करते रहे हैं.
पत्र में उन्होंने लिखा, आप भी एक आदिवासी पृष्ठभूमि से आती हैं, इसलिए आप लद्दाख के लोगों की भावनाओं को किसी और से बेहतर समझ सकती हैं. उन्होंने राष्ट्रपति से पूछा कि क्या उन्हें अपने पति से मिलने और उनकी हालत जानने का अधिकार नहीं है?
गीतांजलि ने याद दिलाया कि लद्दाख हमेशा से भारतीय सेना का मजबूत सहयोगी रहा है. लद्दाख स्काउट्स सेना की रीढ़ मानी जाती है. सोनम वांगचुक भी कई बार सेना के लिए आश्रय और ढांचे बनाने में योगदान दे चुके हैं.
उन्होंने कहा कि लद्दाख के सपूत को इस तरह अपमानित करना सिर्फ अन्याय नहीं बल्कि सीमा सुरक्षा के लिहाज से रणनीतिक भूल है. उन्होंने कहा कि इस तरह की कार्रवाई संविधान की आत्मा और नागरिक अधिकारों का उल्लंघन है. उन्होंने राष्ट्रपति से गुहार लगाई कि वे हस्तक्षेप करके न्याय सुनिश्चित करें और वांगचुक की रिहाई करवाएं.
इस बीच खबर है कि CPI-M के सांसद अमरा राम को भी जोधपुर जेल में सोनम वांगचुक से मिलने नहीं दिया गया. उन्हें जेल प्रशासन ने नियमों का हवाला देकर रोक दिया. इस पर उन्होंने सरकार से सवाल किया कि आखिर किन शर्तों पर किसी को मुलाकात की इजाजत दी जाएगी.
*I have sent this representation for the immediate release of Shri Sonam Wangchuk to the President of India, Prime Minister of India, Home Minister, Law Minister of India, and the LG of Ladakh, with a cc to DC Leh. pic.twitter.com/6Y0xa46sNK
— Gitanjali J Angmo (@GitanjaliAngmo) October 1, 2025
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