टैरिफ वॉर के बीच भारत का पलटवार: दुनिया का चौधरी कौन, यह तय करेगी दुनिया!
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संयुक्त राष्ट्र महासभा के अधिवेशन में भारत ने अमेरिका में ही कूटनीतिक चुनौती पेश की। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कई बहुपक्षीय बैठकों में हिस्सा लेकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को यह संदेश दिया कि वैश्विक निर्णय सामूहिक सहमति से ही तय होंगे, कोई अकेला देश दुनिया का चौधरी नहीं हो सकता।

यह रणनीति तब सामने आई जब ट्रंप ने व्यापार और टैरिफ को लेकर दादागिरी की नीति अपनाई थी। भारत ने कूटनीति से दिखाया कि साउथ-साउथ सहयोग और बहुपक्षीय मंचों को मज़बूत कर ही वैश्विक स्थिरता सुनिश्चित की जा सकती है।

भारत-ब्राजील-दक्षिण अफ्रीका (IBSA) की मंत्रिस्तरीय बैठक में भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में बड़े सुधार की आवश्यकता पर ज़ोर दिया, ताकि वैश्विक संस्थाएं 21वीं सदी की वास्तविकताओं के अनुसार काम कर सकें।

बैठक में IBSA ट्रस्ट फंड, मैरिटाइम एक्सरसाइज, एकेडमिक फोरम और इंट्रा-IBSA ट्रेड जैसे मुद्दों पर गहन चर्चा हुई। तीनों देशों ने ऐसी बैठकों को और तेज़ गति से करने का फैसला किया। यह संकेत था कि ग्लोबल साउथ की साझेदारी ही भविष्य की दिशा तय करेगी।

BRICS विदेश मंत्रियों की बैठक में भी वैश्विक मंच पर ठोस संदेश दिया गया। रूस-यूक्रेन युद्ध और ट्रंप के टैरिफ वॉर से उपजे संकट के बीच भारत ने UNSC और अन्य प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में व्यापक सुधार को ज़रूरी बताया।

भारत ने यह भी संकेत दिया कि BRICS का अगला एजेंडा खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन और डिजिटल इनोवेशन पर केंद्रित रहेगा। व्यापार पर संरक्षणवाद, टैरिफ अस्थिरता और गैर-टैरिफ बाधाओं के बीच, BRICS बहुपक्षीय ट्रेडिंग सिस्टम की मजबूती के लिए खड़ा है।

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