दुर्गाेत्सव के छह दिन बीत चुके हैं. नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों का पूजन पूरे विधि-विधान से किया जाता है. शारदीय नवरात्रि में सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा-उपासना की जाती है.
कालरात्रि, मां दुर्गा का रौद्र रूप है. इन्हें मां काली या कालिका के नाम से भी जाना जाता है. कालरात्रि नाम का मतलब है देवी जो काली रात की तरह हैं. मान्यता है कि देवी के इस रूप की आराधना करने से बुरी शक्तियां दूर रहती हैं और अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता. इनकी पूजा करने से सिद्धियां प्राप्त होती हैं.
देवी दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा सुबह और रात्रि दोनों समय की जाती है. साफ और स्वच्छ कपड़े पहन कर पूजा करनी चाहिए. लाल चम्पा के फूलों से मां कालरात्रि प्रसन्न होती हैं. लाल चन्दन, केसर, कुमकुम आदि से माता का तिलक करें. अक्षत चढ़ाएं और माता के सामने सुगंधित धूप और अगरबत्ती लगाएं. रुद्राक्ष की माला से मंत्रों का जाप करें. नवरात्रि में महा सप्तमी का विशेष महत्व होता है. दानव, दैत्य, राक्षस, भूत, प्रेत आदि इनके स्मरण मात्र से ही भयभीत होकर भाग जाते हैं. इनकी कृपा से उपासक भय-मुक्त हो जाता है.
मां कालरात्रि का ध्यान मंत्र:
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥ वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टक भूषणा। वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥
अर्थ है मां के शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है. सिर के बाल बिखरे हुए हैं. गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है. इनके तीन नेत्र हैं. ये तीनों नेत्र गोल हैं. इनकी नाक से अग्रि की भयंकर ज्वालाएं निकलती रहती हैं. इनका वाहन गधा है.
मां कालरात्रि को गुड़ से बनी चीजें बेहद प्रिय हैं. माता के इस स्वरूप को गुड़ से बने भोग-प्रसाद अर्पित करने चाहिए. मां कालरात्रि को प्रसन्न करने के लिए गुड़ का मालपुआ बना सकते हैं. खीर-पूड़ी या हलवा पूड़ी का भोग भी तैयार कर सकते हैं.
महासप्तमी के दिन मां कालरात्रि का पूजन करने से सभी तरह के भय, बाधाएं और नकारात्मकता का नाश होता है. देवी मां बुरी शक्तियों और जीवन की हर कठिनाईयों से भक्तों को मुक्ति दिलाती हैं. कालरात्रि माता की कृपा से व्यक्ति को अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता और उसे जीवन में साहस, आत्मविश्वास और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है.
पौराणिक कथा के अनुसार दैत्य असुर शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज ने जब तीनों लोकों में हाहाकार मचा रखा था, तब देवताओं की गुहार सुनकर भगवान शिव ने देवी पार्वती से राक्षसों का वध कर अपने भक्तों की रक्षा करने को कहा. भगवान शिव की बात मानकर पार्वती माता ने दुर्गा का रूप धारण किया और शुंभ-निशुंभ का वध कर दिया. रक्तबीज के शरीर से निकलने वाले रक्त को कालरात्रि ने अपने मुख में भर लिया और सबका गला काटते हुए रक्तबीज का वध कर दिया.
कालरात्रि जय जय महाकाली। काल के मुंह से बचाने वाली॥ दुष्ट संघारक नाम तुम्हारा। महाचंडी तेरा अवतारा॥
देवी-देवताओं की 14 बार आरती उतारना है. चार बार उनके चरणों पर से, दो बार नाभि पर से, एक बार मुख पर से और सात बार पूरे शरीर पर से. आरती की बत्तियां 1, 5, 7 यानी विषम संख्या में ही बनाकर आरती करनी चाहिए.
नवरात्रि की महासप्तमी पूजा में आज देवी दुर्गा के सातवें रूप मां कालरात्रि की आराधना का दिन है। नकारात्मक शक्तियों का नाश करने वाली मां कालरात्रि हम सबके भीतर नई ऊर्जा और नव उत्साह का संचार करें। pic.twitter.com/aMN4kTbavt
— Narendra Modi (@narendramodi) October 5, 2019
कांग्रेस के लूटतंत्र से देश को मुक्ति, ओडिशा को 60 हजार करोड़ की सौगात!
डेब्यू मैच में 10 विकेट लेकर इंग्लैंड में छाया भारतीय गेंदबाज, टीम इंडिया में क्यों नहीं मिल रहा मौका?
इसे CM बना दो, हम यहां कंचे खेलने आए हैं? - कर्जमाफी मांगने पर किसान पर भड़के अजित पवार
बरेली बवाल पर सीएम योगी का कड़ा रुख: मौलाना भूल गए किसकी है सत्ता, अब न नाकाबंदी, न कर्फ्यू, ऐसा सबक सिखाएंगे कि पीढ़ी दंगा भूल जाएगी
डोंगरगढ़ में नवरात्रि के बीच विवाद: राजकुमार ने ट्रस्ट पर अनदेखी का आरोप लगाया
सुपर ओवर में बवाल: साफ रन आउट, फिर भी बल्लेबाज नॉट आउट!
पंजाबी सिंगर राजवीर जवंदा सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल, ICU में भर्ती
इंडिया गेट पर विदेशी लड़कों का भोजपुरी गाने पर धमाल, वायरल वीडियो ने जीता दिल
हार्दिक पांड्या को तगड़ा झटका, पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल से बाहर! ये ऑलराउंडर लेगा उनकी जगह
हमें पूजा में नहीं बुलाया जाता था... : ट्रांसजेंडर समुदाय ने बनाया अनोखा पंडाल, अर्धनारीश्वर रूप में पूजी जा रही हैं दुर्गा माता