डोंगरगढ़ में नवरात्रि के पावन अवसर पर मां बम्लेश्वरी मंदिर में दाई बमलई पंचमी भेंट का आयोजन धूमधाम से हुआ। इस ऐतिहासिक परंपरा में पहली बार खैरागढ़ राजपरिवार के राजकुमार भवानी बहादुर सिंह शामिल हुए।
मंदिर पहुंचते ही राजकुमार ने मंदिर प्रबंधन और ट्रस्ट व्यवस्था पर निशाना साधा। उनका कहना था कि ट्रस्ट उनकी और उनके वंश की अनदेखी कर रहा है।
राजकुमार भवानी बहादुर सिंह ने कहा कि बमलेश्वरी धाम में सदियों से बैगा पूजा को प्राथमिकता दी जाती रही है, जो उनके पूर्वजों के समय से चली आ रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि अब उनके परिवार को दरकिनार किया जा रहा है।
हमारे दादा ने सेवा भाव से ट्रस्ट की नींव रखी थी, सभी वर्गों को उसमें जगह मिली थी, मगर आज हम ही बाहर कर दिए गए हैं, राजकुमार ने कहा। उन्होंने यह भी कहा कि राजपरिवार की भूमिका को अनदेखा करना आदिवासी समाज की आस्था को ठेस पहुंचाना है।
उन्होंने ट्रस्ट के संचालन पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह अपनी मूल भावना से भटक गया है और संस्थापक परिवार को महत्व नहीं दे रहा है।
राजकुमार ने शासन-प्रशासन से चुनाव प्रणाली में सुधार लाने और फाउंडर मेंबर की राय को अनिवार्य करने की अपील की। उन्होंने चेतावनी दी कि समाज को उसका हक नहीं मिला तो गोंड समाज खुद अपना अधिकार लेने को मजबूर होगा।
भवानी बहादुर की इस बयानबाजी से डोंगरगढ़ में मंदिर प्रबंधन फिर से विवादों में आ गया है।
डोंगरगढ़ रियासत ब्रिटिश काल में खैरागढ़ और राजनांदगांव के साथ छत्तीसगढ़ की प्रमुख रियासतों में से एक थी। राजा घासीदास बहादुरी के लिए प्रसिद्ध थे।
1816 में राजा घासीदास ने डोंगरगढ़ से नागपुर भेजे जा रहे कर की राशि को लूट लिया था। इसके बाद अंग्रेजों ने डोंगरगढ़ का आधा क्षेत्र खैरागढ़ और आधा नांदगांव को सौंप दिया।
स्वतंत्रता के बाद रियासतों के शासकों को राजकीय सम्मान और पेंशन दी गई। 1976 में माँ बम्लेश्वरी मंदिर के संचालन के लिए ट्रस्ट का गठन किया गया, जो आज तक मंदिर की व्यवस्थाएं संभाल रहा है।
राजपरिवार की ओर से ट्रस्ट और मंदिर प्रबंधन को लेकर उठे विवाद ने डोंगरगढ़ के साथ-साथ पूरे प्रदेश में हलचल मचा दी है।
*नवरात्र के बीच डोंगरगढ़ विवादः राजकुमार भवानी बहादुर सिंह ने कहा मेरी अनदेखी कर रहा ट्रस्ट#Dongargarh #Navratri2025 #Navratrispecial pic.twitter.com/L5vvTZa0bH
— Pratik Chauhan (Lalluram.Com) (@pratikchauhan29) September 27, 2025
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