लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि कर्नाटक के अलंद विधानसभा में कांग्रेस के वोटरों का नाम डिलीट करके उनकी पार्टी को नुकसान पहुंचाया गया. उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग के सिस्टम को हैक करके सॉफ्टवेयर से एक साथ कई लोगों के नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए गए.
किसी का नाम वोटर लिस्ट से हटाने की एक प्रक्रिया है. नाम तभी काटा जाता है जब व्यक्ति की मृत्यु हो गई हो, वह कहीं और शिफ्ट हो गया हो, उस पते पर नहीं रहता हो, कानून के अनुसार मतदान के लिए अयोग्य हो गया हो, या उसका नाम गलती से दो बार चढ़ गया हो.
नाम हटाने के लिए Form-7 भरना होता है. यह फॉर्म ऑनलाइन NVSP पोर्टल या वोटर हेल्पलाइन ऐप से भरा जा सकता है. ऑफलाइन के लिए, फॉर्म प्रिंट करके निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (ERO) या सहायक अधिकारी (AERO) को जमा कर सकते हैं.
फॉर्म मिलने के बाद बूथ लेवल अधिकारी (BLO) घर जाकर जांच करते हैं. मृत्यु के मामले में परिवार या पड़ोसियों से जानकारी ली जाती है. शिफ्ट होने पर भी पता किया जाता है कि व्यक्ति अब वहां नहीं रहता.
नाम काटने से पहले निर्वाचन अधिकारी संबंधित मतदाता या परिवार को एक नोटिस भेजते हैं. इसमें पूछा जाता है कि नाम क्यों न हटाया जाए. व्यक्ति को अपना पक्ष रखने का मौका मिलता है.
सारी जांच और जवाब सुनने के बाद निर्वाचन अधिकारी आदेश पास करता है. कारण सही पाए जाने पर नाम हटा दिया जाता है. गलत होने पर नाम सूची में बना रहता है.
गलत तरीके से नाम काटे जाने पर 15 दिनों के भीतर जिला निर्वाचन अधिकारी (DEO) या मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) के पास अपील की जा सकती है. जरूरत पड़ने पर हाई कोर्ट तक भी जाया जा सकता है.
NVSP पोर्टल पर हर आवेदन के लिए मोबाइल OTP, ईमेल वेरिफिकेशन या आधार लिंकिंग जैसी प्रक्रियाएँ होती हैं. कोई भी बाहरी सॉफ़्टवेयर इन सिक्योरिटी लेयर को बायपास नहीं कर सकता. चुनाव आयोग केवल अपनी आधिकारिक वेबसाइट और ऐप को ही मान्य मानता है. बाहरी टूल से डाले गए डेटा को वैध नहीं माना जाएगा. NVSP पोर्टल में कैप्चा वेरिफिकेशन और डेटा एन्क्रिप्शन होते हैं, जो सिस्टम को बॉट या ऑटो-फिल सॉफ्टवेयर से बचाते हैं.
चुनाव आयोग ने कहा है कि कोई भी आम व्यक्ति किसी वोटर का नाम डिलीट नहीं कर सकता. आयोग ने कहा कि अलंद विधानसभा में 2023 के चुनाव में कुछ ऐसी कोशिशें हुई थीं, जिसकी FIR खुद चुनाव आयोग द्वारा दर्ज कराई गई थी. 2018 में अलंद विधानसभा में बीजेपी जीती थी, जो 2023 में कांग्रेस के हाथों हार गई.
राहुल गांधी के आरोपों का जवाब चुनाव आयोग से आना बाकी है, जैसे कि कर्नाटक CID की शंका का समाधान चुनाव आयोग ने क्यों नहीं किया? राहुल गांधी ने कहा कि कर्नाटक CID ने अलंद के मामले में चुनाव आयोग को 18 बार चिट्ठी लिखी है कि उन्हें नाम डिलीट करने वाले कंप्यूटर का IP एड्रेस और OTP भेजने वाले मोबाइल नंबर बताए जाएं. राहुल गांधी ने अलंद विधानसभा के कुछ निवासियों के बयान भी सुनाए, जिन्होंने कहा कि उनके नाम का दुरुपयोग करके वोटरों के नाम डिलीट किए गए.
हालांकि, राहुल गांधी का यह दावा कमजोर है कि जिनके नाम डिलीट हुए हैं, वे कांग्रेस के वोटर हैं, क्योंकि भारत में वोटर किसी पार्टी के नाम पर रजिस्टर नहीं होते हैं.
❌Allegations made by Shri Rahul Gandhi are incorrect and baseless.#ECIFactCheck
— Election Commission of India (@ECISVEEP) September 18, 2025
✅Read in detail in the image attached 👇 https://t.co/mhuUtciMTF pic.twitter.com/n30Jn6AeCr
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