दिल्ली का लाल किला धीरे-धीरे काला किला बनता जा रहा है। यह बात चौंकाने वाली जरूर है, लेकिन सच्चाई यही है। जिस लाल किले पर हर साल 15 अगस्त को प्रधानमंत्री तिरंगा फहराते हैं, उसकी दीवारों का रंग काला पड़ रहा है।
मुगल बादशाह शाहजहां ने 17वीं सदी में इस किले का निर्माण करवाया था। यूनेस्को ने 2007 में इसे विश्व धरोहर घोषित किया था। लेकिन प्रदूषण के कारण इस किले की लाली अब गायब हो रही है।
लाल किले की दीवारों पर काली परतें:
आईआईटी रुड़की, आईआईटी कानपुर, एएसआई और इटली के फॉस्करी यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने मिलकर इस पर एक गहन शोध किया। शोध में पता चला कि लाल किले की दीवारों पर पड़ने वाली काली परतें उन हिस्सों में ज्यादा हैं जहां गाड़ियों का ट्रैफिक ज्यादा रहता है।
गाड़ियों और औद्योगिक गतिविधियों से निकलने वाले धुएं में सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, कार्बन और सीसा-जस्ता-तांबा जैसी धातुओं के कण होते हैं, जो जिप्सम जैसी परतों के रूप में दीवारों पर जम जाते हैं। बारिश या नमी में ये परतें प्रतिक्रिया करती हैं, जिससे पत्थर के भीतर तनाव पैदा होता है। इससे दरारें पड़ती हैं और दीवारों के कमजोर होने का खतरा बढ़ता जाता है। जब ये परतें टूटती हैं, तो नक्काशी उखड़ने का खतरा भी रहता है। इन परतों की मोटाई 0.05 मिमी से लेकर 0.5 मिमी तक पाई गई हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, 2021 से 2023 तक के आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली में हवा में मौजूद इन जहरीले कणों की मात्रा राष्ट्रीय सीमा से ढाई और तीन गुना अधिक रही।
एसी भी हैं प्रदूषण का बड़ा कारण:
एक दूसरी रिपोर्ट यह बताती है कि देश में सबसे ज्यादा प्रदूषण गाड़ियों से नहीं, बल्कि एयर कंडीशनर (एसी) की वजह से बढ़ रहा है। दिल्ली के थिंकटैंक iFOREST की ओर से किए गए एक नेशनल सर्वे के मुताबिक, वर्ष 2024 में एसी से साढ़े 15 करोड़ टन से ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड पैदा हुई। यह देश में सभी पैसेंजर कारों से होने वाले कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के बराबर है।
अगर हालत ऐसी ही रही तो एसी वर्ष 2030 तक भारत का सबसे बड़ा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन करने वाला उपकरण बन जाएगा। वर्ष 2035 तक तो एसी आज के मुकाबले दोगुने से ज्यादा यानी करीब 33 करोड़ टन कार्बन डाइऑक्साइड पैदा करेगा।
एसी का इस्तेमाल:
दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, अहमदाबाद, पुणे और जयपुर में 3,100 घरों के सर्वेक्षण में पाया गया कि 80 प्रतिशत एसी पांच साल से कम पुराने हैं। लगभग 87 प्रतिशत घरों में एक ही एसी है, जबकि 13 प्रतिशत के पास दो या अधिक हैं। भारत में रिफिलिंग दर विश्व स्तर पर सबसे अधिक है। लगभग 40 प्रतिशत एसी हर साल रिफिल किए जाते हैं, जबकि आदर्श रूप से यह हर पांच साल में एक बार होना चाहिए।
अधिकांश घरों में लोग एसी को 23 डिग्री सेल्सियस और 25 डिग्री सेल्सियस के बीच सेट करते हैं।
ओजोन परत में सुधार:
वर्ल्ड मेटियोरोलिजिकल ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएमओ) की रिपोर्ट के अनुसार, ओजोन लेयर में सुधार हो रहा है। ओजोन परत पृथ्वी को सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों से बचाती है। इसके क्षरण से त्वचा कैंसर, मोतियाबिंद और त्वचा की उम्र बढ़ने जैसी बीमारियां हो सकती हैं। यह फसलों को भी नुकसान पहुंचाती है और फूड चेन को बाधित कर सकती है। डब्ल्यूएमओ का कहना है कि विज्ञान की चेतावनियों पर ध्यान देने और मिलकर कोशिश करने से सुधार संभव है।
*#DNAWithRahulSinha | कौन बिगाड़ रहा है लाल किला की सूरत? आज वर्ल्ड ओजोन डे पर मानव के कल की तस्वीर#DNA #RedFort #Delhi #WorldOzoneDay @RahulSinhaTV pic.twitter.com/xNKuRY9aXT
— Zee News (@ZeeNews) September 16, 2025
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