भारी बारिश के बावजूद सड़क मार्ग से चुराचांदपुर पहुंचे पीएम मोदी, हिंसा पीड़ितों से की मुलाकात
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मणिपुर में करीब दो साल पहले भड़की हिंसा के पीड़ितों के जख्मों पर मरहम लगाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज इंफाल पहुंचे। मैतेई और कुकी समुदाय के बीच जातीय हिंसा शुरू होने के बाद यह उनकी पहली यात्रा थी।

जब पीएम का विमान इंफाल में उतरा, तो वहां तेज बारिश हो रही थी। उन्हें हेलीकॉप्टर से चुराचांदपुर जाना था, लेकिन भारी बारिश के कारण हेलीकॉप्टर का उड़ान भरना संभव नहीं था।

पीएम मोदी को चुराचांदपुर पहुंचकर हिंसा पीड़ित कुकी समुदाय के लोगों से मिलना था और एक जनसभा को संबोधित करना था। खराब मौसम को देखते हुए सुरक्षा अधिकारियों ने उन्हें चुराचांदपुर की यात्रा टालने की सलाह दी, लेकिन पीएम ने इनकार कर दिया।

उन्होंने फैसला लिया कि वे इंफाल से चुराचांदपुर कार से जाएंगे और वहां प्रभावित लोगों से मिलेंगे, चाहे इसमें कितना भी समय क्यों न लगे। इसके बाद सुरक्षा बलों ने सुरक्षा प्रोटोकॉल के तहत पीएम को कार से चुराचांदपुर ले जाने का इंतजाम किया।

लगभग डेढ़ घंटे की यात्रा के बाद पीएम मोदी 61 किलोमीटर का सफर तय करके रैली स्थल पर पहुंचे। चुराचांदपुर पहाड़ी क्षेत्र है, जहां कुकी-जो समुदाय के लोग रहते हैं, जो ईसाई धर्म अपना चुके हैं। वहीं, इंफाल के मैदानी इलाके में हिंदू मान्यता वाले मैतेई समुदाय के लोग रहते हैं।

मई 2023 में दोनों समुदायों के बीच शुरू हुई हिंसक झड़पों में 250 से अधिक लोग मारे गए थे। साथ ही, दोनों समुदायों के लगभग 60,000 लोग विस्थापित हुए थे, जो अब भी सरकार द्वारा बनाए गए अस्थायी शिविरों में रह रहे हैं।

चुराचांदपुर में हिंसा पीड़ितों से मिलने के बाद पीएम मोदी ने हजारों लोगों की जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा, भारत सरकार मणिपुर के लोगों के साथ है। राज्य में आम लोगों के जीवन को सामान्य बनाने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। मैं आपसे वादा करता हूं कि राज्य के लोगों के सपने पूरे करने के लिए कोई कसर बाकी नहीं रखूंगा। उन्होंने राज्य के लोगों से हिंसा का रास्ता छोड़कर शांति का मार्ग अपनाने की भी अपील की।

मणिपुर में 2023 में शुरू हुई जातीय हिंसा के कई कारण हैं। इनमें सामाजिक, राजनीतिक और ऐतिहासिक कारकों का मिश्रण है। मणिपुर में घाटी क्षेत्र में रहने वाले मेइती समुदाय और पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी-जो जनजातियों के बीच लंबे समय से तनाव है। मई 2023 में यह तनाव तब भड़क उठा जब मेइती समुदाय ने अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा मांगा, जिसका कुकी-जो समुदाय ने विरोध किया। कुकी समुदाय को डर था कि इससे उनकी जमीन और विशेषाधिकारों पर असर पड़ेगा।

मणिपुर में जमीन का मालिकाना हक और संसाधनों का बंटवारा हमेशा से विवाद का विषय रहा है। मेइती समुदाय का दावा है कि उन्हें पहाड़ी क्षेत्रों में जमीन खरीदने की अनुमति नहीं है, जबकि कुकी-जो समुदाय अपनी जमीन और संसाधनों की रक्षा के लिए सतर्क हैं। आर्थिक और सामाजिक असमानता, अवैध प्रवास और मादक पदार्थों का मुद्दा, सांस्कृतिक और धार्मिक अंतर, राजनीतिक और प्रशासनिक विफलता, और हथियारों की उपलब्धता जैसे कारणों ने भी हिंसा को भड़काने में भूमिका निभाई।

इन सब वजहों के कारण मई 2023 से शुरू हुई हिंसा में 250 से अधिक लोग मारे गए और लगभग 60,000 लोग विस्थापित हुए। इस हिंसा में चुराचांदपुर और इंफाल जैसे क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित रहे। सरकार ने शांति स्थापित करने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन तनाव अब भी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है।

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