ढाका विश्वविद्यालय छात्र संघ (DUCSU) के हालिया चुनावों में इस्लामिक संगठन जमात-ए-इस्लामी से जुड़े छात्र संगठन इस्लामी छात्र शिबिर (ICS) ने बड़ी सफलता हासिल की है। छात्र संघ के 12 प्रमुख पदों में से 9 पर जमात के छात्र संगठन की जीत हुई है।
यह बांग्लादेश के अलग देश बनने के बाद पहला मौका है जब ढाका विश्वविद्यालय के चुनाव में किसी इस्लामिक छात्र संगठन की जीत हुई है। इस नतीजे को बांग्लादेश की राजनीति में बदलाव का संकेत माना जा रहा है क्योंकि ढाका विश्वविद्यालय को बांग्लादेश की राजनीति का नब्ज माना जाता है।
जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश की सबसे बड़ी इस्लामिक राजनीतिक पार्टी है, जो शरिया पर आधारित शासन की वकालत करती है। जमात लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता का विरोध करती है और तालिबान के मॉडल से प्रेरित है।
1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में जमात ने खुलकर पाकिस्तान का समर्थन किया था और मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना की मददगार फोर्स बनकर काम किया था। पाकिस्तान का साथ देने की वजह से जमात को 1971 के बाद कुछ वर्षों तक प्रतिबंध का सामना भी करना पड़ा।
2024 में शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद जमात-ए-इस्लामी तेज़ी से बांग्लादेश में उभरी है। इसी का असर है कि ढाका यूनिवर्सिटी के चुनाव में जमात के छात्र संगठन को जीत मिली। 2026 में होने वाले चुनाव के लिए जमात ने शरिया पर आधारित शासन को बढ़ावा देने की कोशिश तेज कर दी है।
यूनुस की अगुवाई वाली अंतरिम सरकार ने पिछले साल सत्ता में आते ही जमात-ए-इस्लामी पर लगाए गए प्रतिबंध को हटा दिया और उसे चुनाव में भाग लेने की इजाजत दे दी।
उधर ढाका यूनिवर्सिटी में जमात की जीत का असर भी दिखने लगा है। जिस दिन ढाका यूनिवर्सिटी छात्र संघ के नतीजे आए, उसी रात बांग्लादेश के पंचागढ़ में इस्लामिक कट्टरपंथियों ने काली माता मंदिर पर हमला बोल दिया।
ढाका यूनिवर्सिटी के नतीजों के बाद सवाल पूछे जा रहे हैं कि क्या चुनाव में भी जमात-ए-इस्लामी की सरकार आने वाली है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने ढाका यूनिवर्सिटी के नतीजे पर चिंता जताते हुए कहा फरवरी 2026 के आम चुनावों में इसका क्या असर होगा? क्या भारत को अब अपने पड़ोस में जमात के बहुमत वाली सरकार से निपटना होगा?
पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने भी जमात की जीत पर चिंता जताई। श्रृंगला ने कहा जमात-ए-इस्लामी के हाथ खून से रंगे हैं और वह मुस्लिम ब्रदरहुड का भी हिस्सा है।
विश्लेषकों का मानना है कि अगर आम चुनावों में भी ढाका यूनिवर्सिटी की तरह जमात जीती तो भारत को अस्थिर करने की कोशिश बढ़ सकती है। बांग्लादेश में पाकिस्तान की पैठ मज़बूत हो सकती है। ISI की गतिविधियां बांग्लादेश की सीमा से लगे राज्यों में बढ़ सकती हैं और बांग्लादेश फिर से पाकिस्तान बन सकता है जहां हिंदुओं पर ज़ुल्म ढाए जाएंगे।
*#DNAWithRahulSinha | जमात-ए-इस्लामी..बांग्लादेश में कैसे जीती ?
— Zee News (@ZeeNews) September 12, 2025
ढाका यूनिवर्सिटी छात्र संघ में जमात की जीत, पहली बार ढाका यूनिवर्सिटी में जमात की जीत, पाकिस्तान समर्थक है जमात-ए-इस्लामी#DNA #Bangladesh #Pakistan #NepalGenZProtest | @RahulSinhaTV pic.twitter.com/X2lmMe6TFg
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