पहले प्रवक्ता, फिर सांसद, अब बन सकते हैं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष!
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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में संगठनात्मक बदलाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है। मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल खत्म होने के बाद नए अध्यक्ष की तलाश शुरू हो गई है। अनुमान है कि दिसंबर 2025 तक भाजपा को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल जाएगा।

इस पद के लिए कई नामों पर चर्चा चल रही थी, जिनमें शिवराज सिंह चौहान, देवेंद्र फडणवीस, धर्मेंद्र प्रधान, पुरुषोत्तम रूपाला, मनोहर लाल खट्टर और भूपेंद्र यादव शामिल थे। लेकिन अब एक नया नाम सामने आया है - डॉ. सुधांशु त्रिवेदी।

भाजपा के तेजतर्रार प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी का नाम भाजपा अध्यक्ष की रेस में जुड़ गया है। दावा किया जा रहा है कि वे इस दौड़ में सबसे आगे हैं। सूत्रों के अनुसार, संगठन के भीतर उनके नाम पर गंभीरता से विचार हो रहा है।

उत्तर प्रदेश से आने वाले सुधांशु त्रिवेदी अपनी धारदार वक्तृत्व कला, इतिहास और राजनीति पर गहरी पकड़ और संगठनात्मक रणनीतियों में अहम योगदान के लिए जाने जाते हैं। उन्हें पार्टी का बौद्धिक चेहरा भी कहा जाता है।

सोशल मीडिया पर भी सैकड़ों यूज़र उन्हें भाजपा अध्यक्ष पद का मजबूत दावेदार बता रहे हैं। उनकी वाकपटुता, गहन ज्ञान और प्रखर राष्ट्रवादी सोच उन्हें अन्य नेताओं से अलग बनाती है। हालांकि, भाजपा ने अभी तक इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।

डॉ. सुधांशु त्रिवेदी भारतीय राजनीति का एक जाना-पहचाना चेहरा हैं। अक्टूबर 2019 में वे उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुने गए थे। उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग से पीएचडी की है। कम उम्र में ही वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के सूचना सलाहकार बने और 35 साल की उम्र में राष्ट्रीय दल के अध्यक्ष के सलाहकार भी रहे।

2014 के आम चुनाव में वे भाजपा की मीडिया और कम्युनिकेशन टीम के अहम सदस्य थे और उन्होंने सुषमा स्वराज, अरुण जेटली और अमित शाह जैसे नेताओं के चुनाव प्रचार को धार दी। 2019 में उन्हें राजस्थान की जिम्मेदारी दी गई, जहाँ उन्होंने बेहतर काम किया।

भाजपा संविधान के मुताबिक, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तभी संभव है जब 37 में से कम से कम आधे राज्यों में संगठनात्मक चुनाव पूरे हो जाएं। भाजपा ने 1 अगस्त 2025 से सदस्यता अभियान और चुनावों का काम शुरू कर दिया है।

भाजपा में हमेशा अध्यक्ष का चुनाव सहमति और आरएसएस की मंजूरी से होता आया है। ऐसे में माना जा रहा है कि जल्द ही पार्टी एक कंसेंसस कैंडिडेट का नाम घोषित करेगी।

अगर सुधांशु त्रिवेदी का नाम आगे बढ़ता है, तो यह भाजपा के लिए न सिर्फ एक संगठनात्मक बदलाव होगा, बल्कि 2025 और आगे की राजनीति में एक बड़ा रणनीतिक संदेश भी होगा।

भाजपा अध्यक्ष पद की रेस अब और दिलचस्प हो चुकी है। क्या पार्टी इस बार किसी अनुभवी मुख्यमंत्री पर भरोसा करेगी या फिर तेजतर्रार बौद्धिक नेता सुधांशु त्रिवेदी को कमान सौंपी जाएगी? इस सवाल का जवाब आने वाले महीनों में मिल सकता है।

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