पहले मचाया तांडव, फिर जेन Z ने की काठमांडू की सफाई; लोग बोले - श्रीलंका-बांग्लादेश से बेहतर हैं नेपाली युवा
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नेपाल में पिछले दो दिनों से सरकार के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हुए थे। कल प्रदर्शनकारियों ने काठमांडू में संसद, सुप्रीम कोर्ट समेत राष्ट्रपति भवन को आग लगा दी और पूरे शहर में तोड़फोड़ की।

लेकिन आज काठमांडू में एक अलग नजारा देखने को मिला। एक दिन पहले जिन जेन Z प्रदर्शनकारियों ने पूरे शहर को खाक कर दिया था, वे एक बार फिर सड़कों पर उतरे, लेकिन इस बार सफाई के लिए।

नेपाल में हुए इन हिंसक विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व कॉलेज जाने वाले छात्रों और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स ने किया, जिसके चलते इसे जेन Z आंदोलन कहा गया।

कल इन प्रदर्शनकारियों ने काठमांडू की कई महत्वपूर्ण इमारतों को आग के हवाले कर दिया और पूरे शहर में हिंसा फैलाई थी।

आज नेपाली युवा एक बार फिर सड़कों पर उतरे, लेकिन हिंसा के लिए नहीं, बल्कि कल हुई हिंसा के बाद शहर की सफाई के लिए। सोशल मीडिया पर नेपाल का यह वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है, जहां लोग नेपाल के जेन Z की तारीफ कर रहे हैं।

सोशल मीडिया पर नेपाली युवाओं का सफाई करते वीडियो वायरल होने के बाद लोग जमकर उनकी तारीफ कर रहे हैं। एक यूजर ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा कि, सत्ता उखाड़ फेंकने के बाद नेपाल का युवा सड़कों की सफाई के लिए निकला है।

एक अन्य यूजर ने कहा कि, नेपाल के युवाओं ने पहले सरकार को उखाड़ फेंका, अब सड़क से गंदगी की सफाई कर रहे हैं।

वहीं, एक अन्य यूजर ने श्रीलंका और बांग्लादेश में हुए जन आंदोलनों से तुलना करते हुए कहा कि, नेपाल के युवा बांग्लादेश के प्रदर्शनकारियों से बेहतर हैं, जो हिंसा के बाद सफाई करने उतरे हैं। जबकि बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना के घर को प्रदर्शनकारियों द्वारा लूटा गया था।

नेपाल सरकार ने 4 सितंबर को बड़ा फैसला लेते हुए फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे 26 सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर बैन लगा दिया था। सरकार ने इसके पीछे तर्क दिया था कि ये सभी प्लेटफ़ॉर्म देश विरोधी एजेंडा चला रहे हैं और इससे नेपाल की शांति को खतरा है।

हालांकि, सरकार का यह फैसला नेपाल के युवा वर्ग को रास नहीं आया। उनका आरोप था कि सरकार ने यह फैसला भ्रष्टाचार, आर्थिक संकट और पारदर्शिता की कमी जैसे व्यापक मुद्दों को दबाने के लिए लिया है। और उन्होंने इसके खिलाफ 8 सितंबर को राजधानी काठमांडू में विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया।

नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भी इसका सम्मान किया और कहा कि विरोध करना जनता का अधिकार है। हालांकि, जब 8 सितंबर को प्रदर्शन शुरू हुआ तो इसने अचानक हिंसक रूप ले लिया।

हिंसा करने वाले संसद में घुस गए और जमकर तोड़फोड़ की। इसके बाद पुलिस ने स्थिति को काबू में लाने की कोशिश की, जिसके चलते पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं, जिससे हिंसा और भड़क गई और अगले दिन इसने और विकराल रूप ले लिया। जिसके चलते 22 लोगों की मौत हो गई।

वहीं केपी शर्मा ओली समेत राष्ट्रपति और कई बड़े मंत्रियों को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा।

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