क्या जेन-ज़ी का अगला निशाना ट्रम्प हैं? अमेरिका में भड़की नाराज़गी, क्या नेपाल-फ्रांस जैसे हालात बनेंगे?
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व्हाइट हाउस के पास एक रेस्टोरेंट में डोनाल्ड ट्रम्प का विरोध हुआ। महिलाओं ने उनकी तुलना हिटलर से की। ट्रम्प के साथ उपराष्ट्रपति जे डी वेंस, विदेश मंत्री मार्को रुबियो और रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ भी थे। प्रदर्शनकारी महिलाएं फिलिस्तीन के मुद्दे पर ट्रम्प सरकार के रवैये और वाशिंगटन डीसी पुलिस का नियंत्रण ट्रम्प द्वारा अपने हाथों में लेने से नाराज़ थीं।

ट्रम्प यह साबित करने गए थे कि उनके नियंत्रण में वाशिंगटन डीसी सुरक्षित है, लेकिन महिलाओं ने उनकी हूटिंग की।

यह चार दिनों में दूसरी बार था जब ट्रम्प की हूटिंग हुई। इससे पहले यूएस ओपन के फाइनल में भी उन्हें हूट किया गया था। राष्ट्रपति के लिए यह चिंताजनक है।

लोग ट्रम्प का विरोध क्यों कर रहे हैं? इसका जवाब उनकी ग़लत नीतियों और बयानों में है। एक तरफ़ ट्रम्प विश्व शांति का दावा करते हैं, दूसरी तरफ़ उन्होंने अपने ही लोगों के ख़िलाफ़ सेना उतार दी है। वाशिंगटन डीसी में नेशनल गार्ड के जवानों को तैनात किया गया, जिसे लोग शहर पर कब्ज़ा मान रहे हैं।

लॉस एंजिलिस में भी ट्रंप ने सैनिकों की तैनाती की थी। यह दिखाता है कि वह अपने ही देश के लोगों के ख़िलाफ़ युद्ध लड़ रहे हैं। विरोधी इसे संविधान के ख़िलाफ़ बता रहे हैं। ट्रम्प ने शिकागो, न्यूयॉर्क, बाल्टीमोर, न्यू ऑरलियंस और पोर्टलैंड में भी नेशनल गार्ड तैनात करने की धमकी दी है।

अमेरिकी छात्र भी ट्रम्प से नाराज़ हैं। उन्होंने कैंपस में यहूदी विरोधी गतिविधियों के नाम पर हार्वर्ड, कोलंबिया और प्रिंसटन यूनिवर्सिटी जैसे संस्थानों की फंडिंग रोक दी है और 50 से ज़्यादा यूनिवर्सिटीज़ के ख़िलाफ़ जांच शुरू की है।

आर्थिक मोर्चे पर, ट्रम्प की नीतियों से महंगाई और बेरोज़गारी बढ़ी है। मूडीज़ की रिपोर्ट के अनुसार, 2025 के अंत तक अमेरिका आर्थिक मंदी की चपेट में आ सकता है।

ट्रम्प की टैरिफ नीति से अमेरिकी कंपनियों और लोगों को ही नुक़सान हो रहा है। उन्होंने 1 ट्रिलियन डॉलर की आमदनी का सपना दिखाया था, लेकिन कमाई कम हुई है।

टैरिफ पर अमेरिका की अपील पर अदालत ने ट्रम्प के ख़िलाफ़ फ़ैसला दिया, जिससे वह कोर्ट पर भड़क गए।

ट्रम्प के फ़ैसलों का असर उनकी लोकप्रियता पर दिख रहा है। उनकी अप्रूवल रेटिंग 42% (रॉयटर/इप्सोस) या 40% (गैलप) तक गिर गई है।

अमेरिका एक मजबूत लोकतंत्र है, लेकिन फ्रांस जैसी स्थिति बनने की संभावना है। 2026 के मध्यावधि चुनावों में नुकसान होने पर विरोध और तेज़ हो सकता है।

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