नेपाल में हाहाकार: वित्त मंत्री को जनता ने सड़क पर दौड़ा-दौड़ाकर पीटा!
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नेपाल में राजनीतिक और सामाजिक तनाव गहरा गया है। प्रदर्शनकारियों ने वित्त मंत्री विष्णु पौडेल को मंगलवार को सरेआम सड़क पर घेर लिया और उन पर लात-घूसे बरसाए। यह हिंसक घटना देश में विरोध प्रदर्शन की तीव्रता को दर्शाती है। जनता का गुस्सा अब सीधे राजनैतिक नेताओं को निशाना बना रहा है।

मंगलवार को राजधानी काठमांडू समेत कई शहरों में प्रदर्शनकारियों ने भारी तोड़फोड़ और आगजनी की। इससे देश की राजनीति और कानून-व्यवस्था गंभीर संकट में आ गई है। प्रदर्शनकारियों ने वित्त मंत्री विष्णु पौडेल को सड़क पर दौड़ा-दौड़ाकर हमला किया, जिससे हालात की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है।

इस आंदोलन से सरकार का ढांचा हिल गया है। पहले ही कई मंत्रियों - गृह मंत्री रमेश लेखक, कृषि मंत्री रामनाथ अधिकारी, स्वास्थ्य मंत्री प्रदीप पौडेल और जल आपूर्ति मंत्री प्रदीप यादव - ने इस्तीफा दिया था। अब प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भी अपना पद छोड़ दिया है। यह साफ संकेत है कि बढ़ते जनाक्रोश को रोकना अब सरकार के लिए बहुत कठिन हो गया है।

विष्णुप्रसाद पौडेल नेपाल के प्रमुख कम्युनिस्ट नेताओं में से एक हैं। वे कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ नेपाल (यूएमएल) के उपाध्यक्ष भी हैं। उन्होंने सरकार में उपप्रधानमंत्री और वित्त मंत्री के पद संभाले हैं। पौडेल ने कई बार गृह, उद्योग, जल और रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी भी संभाली है। उनके अनुभव के कारण वे नेपाली राजनीति में प्रभावशाली माने जाते हैं।

प्रदर्शनकारी संसद भवन में घुसकर तोड़फोड़ और आगजनी कर रहे हैं। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्रियों पुष्प कमल दहल प्रचंड और शेर बहादुर देउबा के घरों पर भी हमला किया है। इसके अलावा, इस्तीफा दे चुके गृह मंत्री रमेश लेखक और संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग के आवासों पर भी आग लगा दी गई है। सरकार ने हालात काबू में करने के लिए सख्त कार्रवाई की है, लेकिन हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही।

पुलिस की गोलीबारी में अब तक 19 लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों घायल हैं। देश में तनाव की स्थिति राजनीतिक अस्थिरता और सामाजिक उथल-पुथल का संकेत दे रही है।

नेपाल इस समय अभूतपूर्व संकट का सामना कर रहा है। बढ़ती नाराजगी और असंतोष ने पूरे राजनीतिक तंत्र को चुनौती दे दी है। युवा वर्ग की आवाज हिंसक बगावत का रूप ले चुकी है, जो देश के भविष्य के लिए चिंताजनक है। सरकार की जवाबदेही और सुधार की मांग तेज हो रही है, जिससे नेपाल की स्थिरता और विकास पर गंभीर असर पड़ सकता है।

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