उपराष्ट्रपति चुनाव अब और भी दिलचस्प हो गया है। चुनाव से ठीक एक दिन पहले, ओडिशा की बीजू जनता दल (BJD), तेलंगाना की भारत राष्ट्र समिति (BRS), और पंजाब के शिरोमणि अकाली दल (SAD) ने चुनाव से किनारा कर लिया है। इन पार्टियों के नेता अब उम्मीदवारों के लिए वोट नहीं डालेंगे।
पहले बीजेडी ने मतदान से दूर रहने का निर्णय लिया। फिर, बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष के.टी. रामा राव ने घोषणा की कि उनकी पार्टी भी चुनाव में भाग नहीं लेगी। इसके बाद SAD ने भी चुनाव का बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया।
केटीआर ने बताया कि यह निर्णय पार्टी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने पार्टी नेताओं के साथ हुई एक बैठक में लिया। सभी राज्यसभा सांसदों को इस बारे में सूचित कर दिया गया है और उन्हें वोट न करने के लिए कहा गया है।
बीआरएस और बीजेडी के दूर हो जाने से उपराष्ट्रपति चुनाव का समीकरण पूरी तरह बदल गया है। अब जानते हैं कि कुल कितने सांसद वोट डालेंगे और जीत का गणित क्या होगा।
बीआरएस के पास राज्यसभा में 4 सांसद हैं, जबकि लोकसभा में उनका कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। दूसरी ओर, बीजेडी के पास लोकसभा में 7 सांसद हैं, लेकिन राज्यसभा में एक भी सदस्य नहीं है। वहीं SAD के पास लोकसभा में एक सांसद है। इस प्रकार, इन तीनों पार्टियों के हटने से कुल 12 सांसद कम हो गए हैं।
पहले, कुल 782 सांसद होने पर जीत के लिए 392 वोटों की आवश्यकता थी। वर्तमान में, लोकसभा में 542 और राज्यसभा में 240 सांसद हैं, यानी संसद में कुल 782 सदस्य हैं। लेकिन 12 सांसदों के हटने के बाद, अब केवल 770 सांसद ही वोट करेंगे। ऐसे में, जीत के लिए 386 वोट जरूरी होंगे। हालांकि, अगर मतदान के दिन कोई और पार्टी या सांसद पीछे हटता है, तो यह स्थिति बदल सकती है।
संख्या के हिसाब से देखा जाए तो एनडीए के पास बहुमत है। एनडीए के पास कुल 425 सांसद हैं। उपराष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सांसद वोट डालते हैं।
बीआरएस ने 2022 में उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष का समर्थन किया था और मार्गरेट अल्वा को वोट दिया था। तब बीआरएस के पास 16 सांसद थे, जिनमें से 9 लोकसभा से थे। इस बार, बीआरएस ने तेलंगाना के किसानों की स्थिति को देखते हुए चुनाव से दूर रहने का फैसला किया है। पार्टी ने केंद्र की बीजेपी और राज्य की कांग्रेस सरकार पर यूरिया की कमी को दूर करने में विफल रहने का आरोप लगाया है, जिसके कारण किसानों के बीच झड़पें हो रही हैं। पार्टी ने यह भी कहा कि अगर चुनाव में नोटा का विकल्प होता, तो वे उसका उपयोग करते। हालांकि, तेलंगाना कांग्रेस ने बीआरएस के इस फैसले को बेतुका बताया है।
बीजेडी के इस फैसले के पीछे वक्फ संशोधन विधेयक पर राज्यसभा में हुई वोटिंग को माना जा रहा है, जिसके कारण पार्टी को विपक्षी दलों की आलोचना झेलनी पड़ी थी। बीजेडी के 5 सांसदों ने विधेयक के पक्ष में मतदान किया था, जबकि एक सांसद ने वोट नहीं किया और एक विरोध में बाहर रहे। इस बार पार्टी के सांसद ऐसा कुछ न कर पाएं, इसलिए बीजेडी ने दूर रहने में ही भलाई समझी है। बीजेडी पहले एनडीए का हिस्सा थी और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में पार्टी के कुछ नेताओं को मंत्रिमंडल में भी जगह मिली थी। हालांकि, 2009 में बीजेडी ने एनडीए से नाता तोड़ लिया। फिलहाल, बीजेडी न तो एनडीए में शामिल है और न ही इंडिया गठबंधन में। शिरोमणि अकाली दल ने पंजाब में बाढ़ के कारण चुनाव से दूर रहने का फैसला किया है।
उपराष्ट्रपति का चुनाव 9 सितंबर को होगा। मतदान सुबह 10 बजे से शुरू होकर शाम 5 बजे तक चलेगा। वोटों की गिनती शाम 6 बजे से होगी। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन हैं, जबकि विपक्ष (इंडिया गठबंधन) के संयुक्त उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी हैं।
#WATCH | Delhi: BJD MP Sasmit Patra says, Biju Janata Dal has decided to abstain from the vice presidential elections tomorrow. The Biju Janata Dal remains equidistant from both the NDA and INDIA alliances. We are focused on the development and welfare of Odisha and 4.5 crore… pic.twitter.com/hiUuhdgwYh
— ANI (@ANI) September 8, 2025
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