नेपाल में सोशल मीडिया तख्तापलट ? Gen Z क्रांति का भारत के नजरिए से विश्लेषण
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नेपाल में 26 सोशल मीडिया एप्स पर सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाने के बाद हिंसक प्रदर्शन हुए हैं. इसे जेन ज़ी क्रांति का नाम दिया जा रहा है.

हजारों युवा काठमांडू की सड़कों पर उतर आए और संसद भवन में घुस गए. पूरे संसद परिसर को घेर लिया गया. सोशल मीडिया पर बैन के खिलाफ शुरू हुई यह क्रांति हिंसक हो गई, जिसमें 19 लोगों की मौत हो गई. गृहमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा.

क्या यह क्रांति नेपाल में तख्तापलट का कारण बन सकती है? और क्या यह भारत सहित पूरी दुनिया के लिए खतरे का संकेत है?

4 सितंबर 2025 को नेपाल सरकार ने नियमों का पालन न करने पर 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को बैन कर दिया था. सरकार ने कंपनियों को पंजीकरण कराने के लिए 7 दिन का समय दिया.

सोशल मीडिया पर प्रतिबंध से युवाओं में आक्रोश फैल गया. यह असंतोष ऑनलाइन से सड़कों पर आ गया, और संसद जंग का मैदान बन गई.

नेपाल की जनसंख्या लगभग 3 करोड़ है, जिनमें से 90% से अधिक लोग इंटरनेट का उपयोग करते हैं. प्रतिबंध से फेसबुक, व्हाट्सएप और यूट्यूब इस्तेमाल करने वाले करोड़ों लोग प्रभावित हुए हैं.

युवा पीढ़ी सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है. स्कूल और कॉलेज यूनिफॉर्म में युवा सड़कों पर उतर आए. काठमांडू में कर्फ्यू लगाना पड़ा और सेना को तैनात किया गया. कुछ इलाकों में शूट-एट-साइट का आदेश जारी किया गया.

जेन ज़ी डिजिटल टेक्नोलॉजी, इंटरनेट, सोशल मीडिया और स्मार्टफोन के साथ बड़ी हुई है. वे सोशल मीडिया पर सबसे अधिक सक्रिय हैं और अपनी आवाज उठाने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं.

दुनियाभर में लगभग 40 करोड़ कॉन्टेंट क्रिएटर्स सक्रिय हैं, जिनकी वजह से इस मार्केट का वैल्यू 17 लाख करोड़ का है. अकेले भारत में 25 लाख क्रिएटर्स हैं, और यहां का मार्केट 21 हजार करोड़ का है.

दुनिया की 65% और भारत की 34% आबादी सोशल मीडिया पर है. लोग औसतन दिन में 2 घंटे से ज्यादा सोशल मीडिया पर बिताते हैं. 21 करोड़ लोग सोशल मीडिया की लत से परेशान हैं.

सोशल मीडिया सकारात्मक के साथ-साथ नकारात्मक क्रांति का कारण भी बना है.

नेपाल का यह आंदोलन भारत से सटे एक मुल्क में हो रहा है. इसलिए भारत पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है. नेपाल और भारत की सीमा 1,751 किलोमीटर लंबी है.

अगर नेपाल में अस्थिरता बढ़ती है, तो पलायन का खतरा बढ़ जाएगा. भारत ने नेपाल सीमा पर सुरक्षा बढ़ा दी है.

नेपाल में टिकटॉक और वाइबर जैसे चीनी एप्स को बैन नहीं किया गया है, जिससे चीन का प्रभाव बढ़ सकता है. विरोध केपी ओली की सरकार के खिलाफ है, जिनका झुकाव चीन की तरफ है.

अगर इस आंदोलन में केपी ओली सरकार का तख्तापलट होता है, तो यह नेपाल में चीन की BRI परियोजनाओं को सीमित कर सकता है.

सोशल मीडिया पर सेंसरशिप को लेकर पहले भी कई देशों में तख्तापलट हुए हैं. मिस्र में अरब स्प्रिंग के दौरान प्रदर्शनकारियों ने फेसबुक और ट्विटर के माध्यम से संगठित होकर सरकार को उखाड़ फेंका. ट्यूनीशिया में भी सोशल मीडिया की वजह से सरकार को भागना पड़ा था.

नेपाल में जेन ज़ी यानी 13 से 30 साल की उम्र के युवा कुल आबादी का 21% हैं. अगर वे संगठित हो गए, तो कुछ भी मुमकिन है.

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