उमर खालिद की जमानत याचिका खारिज होने पर पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने नाराजगी जताई है। उन्होंने उस नैरेटिव का समर्थन किया है, जिसके अनुसार खालिद के वकील सुनवाई इसलिए टलवाते रहे क्योंकि मामला उस जज के पास लगा था, जिनकी पहचान ऐसे मामलों में जमानत न देने के लिए रही है।
सरदेसाई यह स्वीकार करते हैं कि उमर खालिद के वकील बार-बार तारीखें मांगते रहे हैं, लेकिन वे इस देरी की रणनीति और फोरम शॉपिंग को सही ठहराने का प्रयास करते हैं। उनका कहना है कि खालिद के वकील तारीखें लेने और सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका (SLP) वापस लेने में सही थे।
दिल्ली हाई कोर्ट ने 2020 के दिल्ली दंगों के आरोपित उमर खालिद और अन्य आरोपितों की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने कहा कि आरोपितों पर लगे आरोप प्रथम दृष्टया सही लगते हैं।
उमर खालिद की जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने कोर्ट को बताया कि खालिद के वकील ही जानबूझकर देरी कर रहे हैं। विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने कहा कि 2023 से 2024 के बीच कुल 14 तारीखों में से 7 बार सुनवाई खालिद के वकीलों ने ही टलवाई।
अभियोजन ने यह भी बताया कि 2022 में हाई कोर्ट से जमानत खारिज होने के बाद खालिद ने लगभग 6 महीने तक सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दाखिल नहीं की और फिर अप्रैल 2023 में दाखिल करने के बाद इसे वापस ले लिया। इसके लिए वकीलों ने परिस्थितियों में बदलाव का हवाला दिया।
यह बदलाव जस्टिस अनिरुद्ध बोस के रिटायर होने के बाद बेंच में बदलाव और मामले को जस्टिस बेला त्रिवेदी के सामने सूचीबद्ध करने से जुड़ा था, जिसे खालिद के वकीलों ने बार-बार बदलवाने की कोशिश की।
ट्रायल कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान खालिद के वकील कपिल सिब्बल ने देरी का ठीकरा सुप्रीम कोर्ट पर फोड़ने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि SLP की सुनवाई टलने और अंत में फरवरी 2023 में इसे वापस लेने की वजह सुप्रीम कोर्ट की धीमी कार्यवाही और बदलती परिस्थितियाँ थीं।
पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ ने भी खालिद के वकीलों की फोरम शॉपिंग और जानबूझकर देरी करने की रणनीति पर आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा कि खालिद के वकील बार-बार सुनवाई टलवाते रहे और सुप्रीम कोर्ट से अपनी जमानत याचिका वापस ले ली, लेकिन ऐसा माहौल बनाया जैसे पूरी न्यायिक व्यवस्था ही उनके खिलाफ काम कर रही हो।
Now even Rajdeep Sardesai, one of the most compromised journalists of our times, has admitted that Umar Khalid and his counsel Kapil Sibal were actively engaged in “bench hunting” and “forum shopping”.
— Amit Malviya (@amitmalviya) September 6, 2025
They deliberately tried to avoid a particular judge, while at the same time… pic.twitter.com/umMQsTw6nm
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